इशिका ठाकुर, India News Haryana (इंडिया न्यूज़), Nilokheri Vidhan Sabha : 2024 विधानसभा चुनाव का आगाज हो चुका है चुनाव आयोग के द्वारा हरियाणा विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया गया है । हरियाणा में एक अक्टूबर के दिन मतदान होगा तो वहीं 4 अक्टूबर के दिन मतगणना के जाएगी। विधानसभा चुनाव को देखते हुए कांग्रेस पार्टी के द्वारा चुनाव लड़ने के इच्छुक उम्मीदवारों से आवेदन आमंत्रित किया गया था जिसमें पूरे हरियाणा से 90 विधानसभा सीटों के लिए 2556 आवेदन आए थे। 10 साल भारतीय जनता पार्टी की सरकार हरियाणा में रही लेकिन अब चुनाव होने से बिल्कुल पहले बड़ी संख्या में नेता कांग्रेस पार्टी के बैनर तले चुनाव लड़ने के इच्छुक दिखाई दे रहे हैं जिसके चलते नेताओं के द्वारा बड़ी संख्या में आवेदन किए गए हैं।
इस आवेदन का मुख्य उद्देश्य ही था कि कांग्रेस पार्टी के बड़े नेताओं को यह मालूम हो जाए कि कौन सा नेता कौन सी विधानसभा से चुनाव लड़ना चाहता है और एक सीट पर कितने नेता दावा ठोक रहे हैं। सबसे ज्यादा करनाल जिले की नीलोखेड़ी विधानसभा से आवेदन कांग्रेस के पास गए हैं। यहां से 88 नेताओं ने चुनाव लड़ने की इच्छा रखते हुए आवेदन किया है जो पूरे हरियाणा में सबसे ज्यादा है। यह एकमात्र ऐसी विधानसभा सीट है जहां पर 90 विधानसभा सीट में से सबसे ज्यादा आवेदन गए हुए हैं।
आपको बता दे की नीलोखेड़ी विधानसभा एक आरक्षित सीट है यह पिछले चार प्लान से आरक्षित सीट बनी हुई है। अनुमान लगाया जा रहा है कि आरक्षित सीट होने के चलते यहां पर ज्यादा नेता अपना दावा ठोक रहे हैं। यहां पर 36 बिरादरी की मुख्यता तौर पर यहां पर आबादी है। आरक्षित सीट होने के चलते दूसरे विधानसभा सीट के नेता भी पिछले काफी समय से यहां पर जनता के बीच में जाकर अपना जन समर्थन बढ़ा रहे हैं और यहां से वह चुनाव लड़ने के इच्छुक है जिसके चलते उनके द्वारा भी यहां पर आवेदन किया गया है।
राजनीतिक विशेषज्ञ का मानना है कि नीलोखेड़ी शहर एक काफी विशेष शहर है क्योंकि इसको तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के द्वारा बसाया गया था। माना जाता है कि 1948 में पाकिस्तान से आए हुए शरणार्थियों को रखने के लिए नीलोखेड़ी शहर को बसाया गया था जहां मुख्यता तौर पर हिंदू और सिख पंजाबी समुदाय के लोगों की ज्यादा आबादी है । जवाहरलाल नेहरू का नीलोखेड़ी से खास लगाव बताया जाता था माना जाता है कि वह नीलोखेड़ी को राजधानी बनाना चाहते थे लेकिन ऐसा नहीं हो पाया लेकिन फिर भी आज भी इतिहासकारों का मानना है कि नीलोखेड़ी को जवाहरलाल नेहरू के द्वारा बसाया गया था और आज यह एक विधानसभा के रूप में विकसित है तो यह उनकी ही देन है।
नीलोखेड़ी विधानसभा सीट का गठन 1967 में हुआ था और यहां पर पहली बार भारतीय जनसंघ के एस राम विधायक बनकर विधानसभा में पहुंचे थे। 1967 से लेकर 2019 तक यहां पर 5 बार आजाद विधायक बनकर विधानसभा में पहुंचे हैं। 1996 में एचवीपी पार्टी से विजेंद्र विधायक बने थे। जिन को 24790 वोट प्राप्त हुई थी। 2000 में आईएनएलडी से सतवीर सिंह कादियान 44882 वोट लेकर विधायक बने थे। 2005 में परसानी देवी आईएनसी से विधायक बनी थी जिसको 37396 वोट प्राप्त हुई थी। 2009 विधानसभा चुनाव में आईएनएलडी से मामूराम 47001 वोट लेकर विधायक बने थे। 2014 में भारतीय जनता पार्टी से भगवान दास कबीरपंथी 58354 वोट लेकर विधायक बने थे। 2019 में धर्मपाल 42979 वोट लेकर विधायक बने थे।
नीलोखेड़ी विधानसभा सीट से कांग्रेस के 88 नेताओं के द्वारा विधायक का चुनाव लड़ने के लिए आवेदन भरे गए हैं। अब देखने वाली बात होगी कि कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता 88 नेताओं में से किस पर अपना विश्वास जताते हैं और यहां जनता के बीच में अपना उम्मीदवार बनाकर भेजते हैं।
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