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दिल्ली बॉर्डर पर किसान आंदोलन के 9 महीने पूरे…

बहादुरगढ़/जगदीप राज्यान
तीन कृषि कानूनों को रद्द करवाने और एमएसपी को लेकर नया कानून बनवाने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे किसानों को राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर बैठे हुए आज 9 महीने पूरे हो गए हैं। पिछले 9 महीने से किसान सड़क मोर्चे पर डटे हुए हैं और सरकार से जल्द मांगे मनवाने के लिए आंदोलन को तेज करने की बात कह रहे हैं। आज टिकरी बॉर्डर पर भारी संख्या में किसान पहुंचे। इतना ही नहीं आंदोलन स्थल पर पहुंचे किसानों का हौसला बढ़ाने के लिए हिंदू और सिख धर्म के प्रचारक भी पहुंचे। उन्होंने किसानों से सीधा संवाद किया और उनका मनोबल बढ़ाने की कोशिश की आर्य समाज से जुड़े स्वामी आर्यवेश और धर्म के प्रचारक सरबजीत सिंह टिकरी बॉर्डर पहुंचे।
किसान नेताओं का कहना है कि आंदोलन जब तक जारी रहेगा जब तक कि केंद्र सरकार तीन कृषि कानूनों को रद्द नहीं कर देती और एमएसपी को लेकर गारंटी नहीं दे देते। नेताओं ने बताया कि सिंघु बॉर्डर पर दो दिवसीय राष्ट्रीय किसान अधिवेशन बुलाया गया है। जहां देशभर के किसान नेता मिलकर आंदोलन को तेज करने के लिए अपने विचार रखेंगे और जो फैसले सिंघु बॉर्डर पर लिए जाएंगे वे ज्यों के त्यों टिकरी बॉर्डर पर भी लागू होंगे ।
भारतीय किसान यूनियन राज्यपाल के महासचिव परगट सिंह का कहना है कि वे बीजेपी का खुलकर विरोध करेंगे और आने वाले विधानसभा चुनाव में देश के 5 राज्यों में जाकर बीजेपी को हराने का काम करेंगे। जिस तरीके से किसानों ने मिशन बंगाल को सफल बनाया उसी तरह अब किसान मिशन यूपी भी शुरू करने जा रहे हैं और जल्द ही यूपी में रैली का आयोजन भी किया गया है। यह रैली आने वाले समय में यूपी की राजनीति की दिशा निर्धारित करेगी।
किसान नेताओं का कहना है कि वह बीजेपी का तो विरोध करेंगे। लेकिन साथ ही अन्य पार्टी के राजनेताओं से सवाल भी करेंगे क्योंकि जब टीम के कानून लागू हुए तो अन्य पार्टियां भी इसे लागू करवाने में शामिल थी। और जब आंदोलन चल रहा है तो अलग-अलग पार्टियों की किसानों के समर्थन में क्या भूमिका रही है। इस बारे में राजनेताओं से सवाल ही जाएंगे हम आपको बता दें कि 11 दौर की बातचीत के बाद अब 7 महीने से सरकार और किसानों के बीच बातचीत बंद है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद अब एक बार फिर से किसानों और सरकार के बीच बातचीत शुरू होने की उम्मीद बनी है। यह आंदोलन कब तक चलेगा और आगे चलकर क्या रुख लेगा यह तो आने वाला समय ही बताएगा। लेकिन किसानों के हौसले बुलंद है। किसान हर हालत में जब तक उनकी मांगे पूरी नहीं हो जाती तब तक दिल्ली सीमाओं पर ही आंदोलन करने की बात कह रहे हैं।
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