होम / Indian Army के अधिकारियों के एक वर्ग को 20 वर्ष बाद सर्वोच्च न्यायालय से मिला न्याय 

Indian Army के अधिकारियों के एक वर्ग को 20 वर्ष बाद सर्वोच्च न्यायालय से मिला न्याय 

• LAST UPDATED : October 10, 2024

India News Haryana (इंडिया न्यूज), Indian Army : दिनांक 02 मार्च 2023 को भारत के सर्वोच्च न्यायालय का एक ऐतिहासिक निर्णय आया, जिसमें सेना के मेजर के पद से सेवानिवृत्त अधिकारियों को जो सेवा के दौरान भारतीय सेना द्वारा गठित “अजय विक्रम सिंह कमेटी” की अनुशंसा के अनुसार, ले. कर्नल के पद पर पदोन्नति की अर्हता रखते थे। जिसका उद्देश्य सेना के अधिकारियों को लड़ाई के दौरान युवा और फिट रखने के लिए 13 वर्ष की सेवा पूर्ण होने पर ले० कर्नल के पद पर पदोन्नत करना था और जिसे रक्षा मंत्रालय द्वारा दिनांक 16 दिसंबर 2004 को भारतीय सेना में लागू भी कर दिया गया लेकिन दुर्भाग्य से किसी तकनीकी त्रुटि के कारण इन अधिकारियों के एक वर्ग “रेजिमेंटल कमीशन अधिकारियों” को इसका लाभ नहीं मिला।

Indian Army : ये अधिकारी धीरे-धीरे सेना से सेवानिवृत्त होते चले गए

इन अधिकारियों ने न्याय के लिए तत्कालीन सेना प्रमुख और रक्षा मंत्री के पास प्रार्थना पत्र के माध्यम से गुहार लगाई लेकिन इन्हें कहीं से न्याय नहीं मिला और ये अधिकारी धीरे-धीरे सेना से सेवानिवृत्त होते चले गए। सन 2009 इसी वर्ग के कुछ अधिकारियों के एक बैच को सेना द्वारा अपनी गलती का एहसास होने पर “स्पेशल लिस्ट कमीशन” में परिवर्तित करके और इनकी सर्विस को बढ़ाकर ले० कर्नल के पद पर पदोन्नत कर दिया गया।

जिससे प्रेरणा लेकर इस वर्ग के एक अधिकारी मेजर रविन्द्र सिंह ने न्याय के लिए “सशस्त्र बल न्यायाधिकरण” कोलकाता में वाद दाखिल किया जहां से दिनांक 04 अप्रैल 2011 को इनके पक्ष में फैसला आया। सशस्त्र बल न्यायाधिकरण कोलकाता के फैसले के अनुसार कुछ और अधिकारियों ने उसी वर्ष सशस्त्र बल न्यायाधिकरण लखनऊ और दिल्ली में वाद दाखिल किया जहां से उनके पक्ष में फैसला आया।

एरियर सहित सभी लाभों का भुगतान 6 माह के भीतर कर दिया जाए

रक्षा मंत्रालय ने उपरोक्त “सशस्त्र बल न्यायाधिकरण” के सभी आदेशों को लागू करने के बजाय 2013 में इन देशों के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में वाद दाखिल कर इस पर “स्थगन आदेश” ले लिया। देश सेवा के लिए सीमा पर अपना सर्वस्व न्योछावर करने वाले इन अधिकारियों ने इस मोर्चे पर भी हार नहीं मानी और न्याय के लिए लगातार संघर्ष करते रहे।

लगभग 10 वर्षों के बाद सर्वोच्च न्यायालय ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद पाया की इन अधिकारियों के साथ अन्याय हुआ है और रक्षा मंत्रालय की अपील को खारिज करते हुवे आदेश दिया कि इन अधिकारियों को 16 दिसंबर 2004 से लेफ्टिनेंट कर्नल के पद पर पदोन्नत करते हुए उन्हें पेंशन और एरियर सहित सभी लाभों का भुगतान 6 माह के भीतर कर दिया जाए।

इन सभी अधिकारियों की उम्र 70 से 75 वर्ष के बीच

इस प्रकार लगभग 20 वर्षों के बाद सर्वोच्च न्यायालय के आदेश और रक्षा मंत्रालय, भारत सरकार की सकारात्मक सोच के कारण “अजय विक्रम सिंह कमेटी” की अनुशंसा का लाभ ऐसे सभी 204 अधिकारियों को मिला जो इस पद पर पदोन्नति होने की अर्हता रखते थे। इन सभी अधिकारियों की उम्र 70 से 75 वर्ष के बीच है।

सेवानिवृत्ति के इतने दिनो बाद पदोन्नति होने पर इन अधिकारियों ने रक्षा मंत्री और भारत सरकार तथा ईश्वर के प्रति आभार प्रकट किया। उक्त जानकारी सेना से सेवानिवृत्त एवं उच्च न्यायालय के निर्णय से लाभान्वित ले० कर्नल राम मोहन पाण्डेय ने रक्षा मंत्रालय के शासनादेश संख्या 200 दिनांक 05 अक्टूबर 2024 को साझा करते हुए दी।

Rape Convict Jailed : नाबालिग को शादी की नीयत से बहला-फुसलाकर भगा ले जाने और रेप के दोषी को 20 साल की कैद 

Haryana Roadways Bus Accident : गोहाना-बरोदा रोड पर पलटी हरियाणा रोडवेज की बस, ड्राइवर-कंडक्टर समेत दर्जन भर से ज़्यादा सवारी घायल 

ADVERTISEMENT

लेटेस्ट खबरें

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT