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एक ऐसा मंदिर जहाँ पूरी होती है भक्तों की सारी मुरादें

• LAST UPDATED : October 14, 2021

 

सोहना / संजय राघव

अरावली की तलहटी में स्थित खोबरी वाली माता की मंदिर में भक्तों की पूरी होती है सारी मुरादें । यह मंदिर 300 साल से भी पुरानी मंदिर है। इस मंदिर में आने के लिए लोग कई किलोमीटर तक पेट के बल करते है परिक्रमा

 

अक्सर नवरात्रों के समय लोग वैष्णो माता,कालका माता,शीतला माता आदि मंदिरों में  दर्शन करने के लिए दूर दराज से आते है लेकिन सोहना  ब्लॉक के  गांव दोहला से करीब 2 किलोमीटर दूर एक बेचिराग गांव खोबरी में अरावली पहाड़ी की तहलटी में करीब 300 साल पुराना खोबरी वाली माता का मंदिर है । इस मंदिर की मान्यता है कि यहां पर आने वाले भक्तों की हर वो मनोकामना पूर्ण होती है जिसे लोग माता के मंदिर जाकर मांगते है। माता से मन्नत मांगने वाले भक्त या जिनकी मन्नत पूरी हो गई है वो भक्त करीब 2 किलोमीटर तक पेट के बल परिक्रमा करते हुए मंदिर परिसर तक पहुंचते हैं।अगर मंदिर के महंत की माने तो खोबरी वाली माता करीब 300 साल पहले गांव के ही एक माता के भक्त के सपने में आई थी और खेत के अंदर जब वह काम कर रहा था तो फावड़े से कोई पथरीली चीज टकराई जब उस भक्तों ने उसको हाथों से देखा तो वहां पर स्वयं माता देवी की प्रतिमा प्रकट हो गई और उसके बाद ग्रामीण 300 सालों से लगातार उनकी पूजा करते आ रहे हैं और यहां पर पहुंचने वाले हर भक्तों की मनोकामना भी खोबरी वाली माता पूरी करती है।

इतिहास की बात करें तो पहले जहां यह माता प्रकट हुई थी वहां पर खोबरी गांव हुआ करता था। लेकिन वहां पर कुछ काली शक्तियों के चलते इस गांव में अनर्थ होता रहता था और ग्रामीणों ने खोबरी गांव से पलायन कर लिया जिसके बाद वहां के वासी दोहला गांव में आ गए और तभी से यहा पर रहते है। खोबरी गांव की बात करें तो आज भी वहां पर 300 साल पुराने खंडहर मौजूद है और यहीं पर ग्रामीण भी रहते है ।

मंदिर के पुजारी का कहना है कि करीब 300 साल पहले माता प्रकट हुई थी और नवरात्रि के सातवे दिन मंदिर में जो भी भक्त मनोकामना लेकर आता है माता उसकी मनोकामना को जरूर पूरा करती है ऐसे सैकड़ों उदाहरण यहां के हैं और 300 सालों से यह परंपरा चली आ रही है।

 

आपको बता दें कि मंदिर में ग्रामीणों ने एक कमेटी भी बनाई हुई है । यह कमेटी ग्रामीणों द्वारा दिए गए चढ़ावे से मंदिर का निर्माण कार्य करती है । पहले इस मदिंर में केवल एक ही भवन बना हुआ था लेकिन ग्रामिणों के द्वारा दिए गए चंदों की मदत से मंदिर के चारों तरफ चारदीवारी कराई दी गई है। और तो और कई मंदिरों का निर्माण भी करा दिया गया है।  भक्तों को कोई परेशानी ना हो इसके लिए रास्तों की साफ- सफाई के साथ-साथ मंदिर की देखभाल का भी पुरा ध्यान मंदिर की कमेटी द्वारा किया जाता है ।

 

 

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