India News Haryana (इंडिया न्यूज), International Gita Festival : केंद्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री गजेंद्र शेखावत्त ने कहा कि भारत की पौराणिक संस्कृति, संस्कारों और विचारों को फिर से पुनर्जीवित करने के लिए देश में केवल कुरुक्षेत्र की पावन धरा पर ही अपार संभावनाएं है। इस विषय को लेकर कुरुक्षेत्र की पावन धरा से पूरे विश्व को आस्था के साथ-साथ ऐतिहासिक और वैज्ञानिक दृष्टि से भी समझाया जा सकता है। इसलिए देश की भावी पीढ़ी को आस्था के साथ जोडऩे के लिए देश के सभी संतों और विद्वानों को बार-बार एक मंच पर बैठकर मंथन करना होगा। इतना ही नहीं भविष्य में अखिल भारतीय देवस्थानम सम्मेलन क्षेत्रिय स्तर पर अलग-अलग स्थानों पर होने चाहिए।
केंद्रीय पर्यटन मंत्री गजेंद्र शेखावत मंगलवार को गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज के प्रयासों से और केडीबी के तत्वाधान में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के सीनेट हॉल में अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव के पावन पर्व पर आयोजित पहले अखिल भारतीय देवस्थानम सम्मेलन में बोल रहे थे।
इससे पहले केंद्रीय पर्यटन मंत्री गजेंद्र शेखावत, गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज, राजकोट से संत परमात्मानंद महाराज, अयोध्या श्रीराम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय डा. भीमराव अंबेडकर शोध संस्थान के निदेशक डा. प्रीतम सिंह, कुरुक्षेत्र 48 कोस तीर्थ निगरानी कमेटी के चेयरमैन मदन मोहन छाबड़ा, संत राजेश कुमार, वैष्णो देवी मंदिर के मुख्य पुजारी सुदर्शन महाराज, मां भद्रकाली शक्तिपीठ के संचालक सतपाल शर्मा महाराज ने दीपशिखा प्रज्वलित करके विधिवत रुप से अखिल भारतीय देव स्थानम सम्मेलन का शुभारंभ किया।
इस दौरान सभी संत जनों ने संकल्प भी लिया कि बांग्लादेश में हिंदूओं और मंदिरों की रक्षा के लिए गीता जयंती दिवस पर गीता श्लोकों को समर्पित किया जाएगा। इस दौरान देश के 35 धामों से आए संतों ने अपने परिचय देने के साथ-साथ मंदिरों के प्रति युवाओं की आस्था फिर से बने, जैसे विषयों पर महत्वपूर्ण सुझाव भी दिए।
केंद्रीय मंत्री गजेंद्र शेखावत ने गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज के प्रयासों की प्रशंसा करते हुए कहा कि कुरुक्षेत्र की पावन धरा से स्वामी ज्ञानानंद महाराज की सोच के कारण देश के सभी प्रमुख धामों के संत और संचालक एक मंच पर एकत्रित हुए है। देश में शायद पहली बार संतों के अनूठे संगम को देखने का अवसर मिला है। यह अवसर कुरुक्षेत्र के अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव के पावन अवसर पर देखने को मिला है।
इस अखिल भारतीय देव स्थानम सम्मेलन के मंच से भारत के मंदिरों के प्रति आस्था बने, इसका सूत्रपात महोत्सव के दौरान हो गया है। इस देश की संस्कृति और सभ्यता हजारों वर्ष पुरानी है, लेकिन समय के बदलाव के साथ-साथ अन्य देशों की सभ्यता और संस्कृति लुप्त हो गई, लेकिन भारत की सनातन संस्कृति आज भी संरक्षित है। इस संस्कृति को नष्ट करने के लिए अनेकों आक्रमण और अत्याचार भी हुए। इतना ही नहीं शिक्षा के केंद्रों और चेतना के केंद्र मंदिरों को भी नष्ट करने का प्रयास किया गया।
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