India News Haryana (इंडिया न्यूज), AAP VS INLD : हरियाणा में लोकसभा चुनाव में सत्ताधारी भाजपा और कांग्रेस के हिस्से जहां पांच-पांच सीट हाथ आई तो वहीं इंडी गठबंधन के तहत कांग्रेस की सहयोगी आम आदमी पार्टी को कुरुक्षेत्र सीट पर जीत नसीब नहीं हो पाई। हालांकि कारण चाहे कुछ भी रहे, लेकिन फिर भी आम आदमी पार्टी को हार हजम नहीं हो रही, क्योंकि कुरुक्षेत्र लोकसभा में आने वाले कई विधानसभा सीटों पर कांग्रेस के विधायक काबिज हैं और इन सीटों पर कांग्रेस के विधायक होने के बावजूद आप को अपेक्षित वोट या सहयोग नहीं मिला।
इनेलो ने आप की राह में कांटे बिछाने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी। इसका नतीजा आप के प्रत्याशी डॉ. सुशील गुप्ता की हार के रूप में सामने आया। ऐसा ही कुछ पिछली बार 2019 के लोकसभा चुनाव में हुआ था, जहां रोहतक से चुनाव जीतने वाले दीपेंद्र सिंह हुड्डा को केवल 7503 वोट से हार का सामना करना पड़ा था, जबकि साल 2019 में पहला लोकसभा चुनाव लड़ने वाली जजपा के कैंडिडेट्स को दीपेंद्र की हार के अंतर से कई गुना ज्यादा वोट मिले थे और नतीजन दीपेंद्र को हार का सामना करना पड़ा।
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि बेशक आप को कांग्रेस से चुनाव में मदद की जो उम्मीद थी, वो पूरी नहीं हो पाई लेकिन हार के पीछे इनेलो की बड़ी भूमिका बताई जा रही है। इस बार इनेलो के 78708 वोट मिले जबकि आप को महज 29021 वोट से हार का सामना करना पड़ा है।
ऐसे में माना जा रहा है कि जितने भी वोट इनेलो को मिले हैं, इनमें से ज्यादातर कांग्रेस और आप को मिल सकते थे लेकिन अभय चौटाला द्वारा खुद कुुरुक्षेत्र लोकसभा से चुनाव में उतरने के चलते उनका परंपरागत वोट बैंक छिटका नहीं, नतीजन आप प्रत्याशी को हार का सामना करना पड़ा। ऐसे में आप की हरियाणा में जीत की उम्मीद पूरी नहीं हो पाई।
आप के लिए मंथन करने वाली बात है कि कुरुक्षेत्र लोकसभा में जिन विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस के विधायक हैं या फिर सीनियर नेता हैं, वहां भी आप प्रत्याशी को हार का सामना करना पड़ा। कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट पर आप के लिए प्रतिष्ठा और हरियाणा में इंट्री का चुनाव था। अब हार की समीक्षा हो रही है।
सार्वजनिक परिणामों पर अंदरखाते जो मंथन हो रहा है, उसमें आम आदमी पार्टी के नेता-कार्यकर्ता अपने गठबंधन सहभागी से नाराज बताए जा रहे हैं। कई विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस के विधायक हैं।
राज्यसभा सांसद रणदीप सिंह सुरजेवाला खुद कैथल से आते हैं, लेकिन यहां भी आप को हार का सामना करना पड़ा। इसके अलावा रादौर से बिशन लाल सैनी विधायक हैं लेकिन यहां भी आप प्रत्याशी हार गए। कमोबेश कुछ ऐसा ही रादौर लाडवा हलके में देखने को मिला जहां से कांग्रेस विधायक होने के बावजूद आप हार गई। पूंडरी में सुरजेवाला गुट के सतबीर भाणा हैं लेकिन पार्टी हार गई। इसके विपरीत इनके जिन चार सीटों पर कांग्रेस का कोई बड़ा एमएलए नहीं था, वहां आम आदमी पार्टी ने जीत दर्ज की।
भारतीय चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार ताजा 18वीं लोकसभा चुनाव में हरियाणा में भाजपा का वोट प्रतिशत सबसे ज्यादा 46.11% रहा, वहीं मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस का 43.67% रहा। इसके अलावा अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही इनेलो का 1.74 % और जजपा का 0.87 % रहा। आम आदमी पार्टी ( आप) जिसे गत वर्ष 2023 से राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा प्राप्त है, का प्रदेश में वोट प्रतिशत 3.94 % रहा।
हालांकि उसने केवल एक कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट पर ही चुनाव लड़ा था। बेशक क्षेत्रीय दल अपेक्षित प्रदर्शन नहीं कर पाए, लेकिन मुख्य दलों को थोड़ा झटका जरूर दिया। इस सबके बीच इनेलो और जजपा को क्षेत्रीय दल के तौर पर प्राप्त मान्यता पर सवाल उठ रहे हैं और ऐसा कहा जा रहा कि ताजा लोकसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन के कारण दोनों का हरियाणा में क्षेत्रीय दल का दर्जा चुनाव आयोग द्वारा छीना जा सकता है।
लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद आम आदमी पार्टी लगातार मंथन कर रही है कि हार के पीछे बड़े कारण क्या रहे, बेशक इसमें कांग्रेस विधायकों के विधानसभा क्षेत्र में अपेक्षित वोट न मिलना और इनेलो को 70 हजार से ज्यादा वोट मिलना आप की हार के मुख्य कारण रहे, लेकिन इसके अलावा भी हार के अन्य कारण का पता लगाया जा रहा है। अक्टूबर माह में विधानसभा चुनाव होने हैं और अब इनमें कम ही समय बचा है तो ऐसे में आम आदमी पार्टी की कोशिश है कि विधानसभा चुनाव के लिए आगे की रणनीति बनाई जाए और इसको अमल में लाया जाए।
बेशक आम आदमी पार्टी दिल्ली और पंजाब में सरकार बनाने में सफल रही है लेकिन हरियाणा में अब तक पार्टी का विधानसभा और लोकसभा चुनाव में खाता तक नहीं खुला। पार्टी अबकी बार कुरुक्षेत्र में जीत के आसपास जरूर पहुंच गई लेकिन जीत नसीब नहीं हो पाई और ऐसा ही इतिहास पार्टी का हरियाणा में विधानसभा चुनाव में भी रहा है। आप पार्टी की नजर हरियाणा में विधानसभा चुनाव में जीत पर है।
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