आंदोलन में मृतक किसानों को मुआवजा मिले और शहीद हुए किसानों का स्मारक बने
इंडिया न्यूज, चंडीगढ़।
Abhay Statement इनेलो विधायक अभय सिंह चौटाला ने विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान कहा कि उन्होंने जनहित से जुड़े 15 ध्यानाकर्षण प्रस्ताव दिए थे, जिन्हें बिना कोई कारण बताए नामंजूर कर दिया गया। उन्होंने कहा कि नरमे और कपास की फसल गुलाबी सुंडी के कारण बर्बाद हो गई है, अगर उस पर चर्चा नहीं होगी तो किसान कहां जाएगा। उन्होंने कहा कि केंद्र और प्रदेश की सरकार ने किसानों को एक साल तक हरियाणा-दिल्ली के बार्डर पर बैठाकर रखा और कहा था कि किसी भी कीमत पर कृषि कानून रद नहीं होंगे। जब कृषि कानून बने थे तब हम चाहते थे कि सदन में इन कानूनों पर चर्चा हो। मुख्यमंत्री स्वयं दो लाइन का एक प्रस्ताव लेकर आए थे और कहा था कि जो इसके पक्ष में हैं वो हां कहें और जो खिलाफ होगा वो चर्चा कर लेगा। कांग्रेस तो उस समय वॉकआउट कर सदन से भाग गई थी और सदन में सिर्फ सत्ता पक्ष था जो कृषि कानूनों के पक्ष में था, उस समय मुख्यमंत्री ने सदन में ठोककर कहा था कि ये कानून रद नहीं होंगे, ये कानून रहेंगे, रहेंगे, रहेंगे।
उन्होंने कहा कि किसानों ने एक साल बॉर्डर पर आंदोलन कर केंद्र की सरकार को कानून रद
करने पर मजबूर किया। केंद्र की सरकार ने किसानों के सामने सरेंडर किया और प्रधानमंत्री को किसानों से माफी मांगनी पड़ी और यह माना कि उनसे गलती हुई। उन्होंने कहा कि मैं मुख्यमंत्री से पूछना चाहता हूं कि अब कृषि कानून रद हो गए हैं तो मुख्यमंत्री जो दो लाइन का प्रस्ताव लाए थे जिसमें कहा था कि कानून ज्यों के त्यों रहेंगे क्या उस प्रस्ताव को वापस लेंगे या ज्यों का त्यों रखेंगे।
अभय सिंह चौटाला ने कहा कि बहुत से लोग कहते थे कि कानून वापस नहीं हुआ करते, सिर्फ संशोधन हो सकते हैं, आज वो लोग कहां हैं, क्या आज भी वो अपनी जुबान पर खड़े हैं या नहीं। जैसे सरकार ने किसान आंदोलन में सरेंडर किया, वैसे ही उस प्रस्ताव को भी वापस ले। उन्होंने कहा कि वो एक प्रस्ताव लेकर आते हैं कि कृषि कानून के पक्ष में सरकार जो प्रस्ताव लेकर आई थी, वो वापस लें और मुख्यमंत्री सदन से माफी मांगे कि वो गलत प्रस्ताव लेकर आए थे और उस प्रस्ताव को वापिस लेते हैं।
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