India News Haryana (इंडिया न्यूज), Adulterated Foods : देश में दूध-दही के खाने के लिए अपनी पहचान रखने हरियाणा में धड़ल्ले से मिलावटी खाद्य पदार्थ बेचे जाने के चलते लोगों की जिंदगी दांव पर लगाई जा रही है। सरकार और खुद खाद्य एवं औषधि विभाग के तमाम दावे झूठे और खोखले साबित हो रहे हैं क्योंकि खुद विभागीय आंकड़े इस बात की तस्दीक करते हैं कि हरियाणा में खाद्य पदार्थों में मिलावट का खेल लगातार जारी है।
विभागीय आंकड़ों के अनुसार हरियाणा में 8 महीने की अवधि में भरे सैंपल में से एक चौथाई से ज्यादा की गुणवत्ता बेहद खराब मिली तो वहीं दूसरी तरफ बड़ी संख्या में ऐसे सैंपल भी रहे जो सब स्टैंडर्ड और मिस कैटेगरी में मिले हैं। जिन खाद्य पदार्थों के सैंपल फेल पाए गए, उनमें दूध, पनीर से लेकर मिठाई व मसालों के साथ अन्य खाद्य पदार्थ शामिल हैं।
बता दें कि विभाग ने 1 जनवरी, 2024 से लेकर 31 अगस्त, 2024 तक खाद्य पदार्थों के कुल 1609 सैंपल लिए गए, जिनमें से 1472 के एनालिसिस में 1162 गुणवत्ता पैमाने पर खरे मिले तो 309 सैंपल फेल पाए गए। आंकड़ों से स्पष्ट पता चलता है कि कुल सैंपल में से करीब 27 % मानक पैमाने पर खरा नहीं उतर पाए। आंकड़े ये भी बता रहे हैं कि पूरे प्रदेश में प्रतिदिन केवल सात और माह में केवल 200 सैंपल ही लिए जा रहे हैं।
इसका सीधा सा मतलब ये है कि काफी संख्या में खाद्य पदार्थों की जांच विभाग कर ही नहीं पाता और लोगों को मिलावटी और नकली खाद्य पदार्थ धड़ल्ले से बेचे जा रहे हैं। कम सैंपल लिए जाने का सबसे बड़ा कारण ये है कि खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग में न तो पर्याप्त स्टाफ है और न जांच व निगरानी के लिए पर्याप्त अधिकारी हैं। स्थिति ये है कि इस समय प्रदेश के जिलों में निर्धारित से कम जिला खाद्य अधिकारी हैं। ज्यादातर के पास एडिशनल चार्ज है। विभागीय काम को चलाने के लिए पशुपालन विभाग और स्वास्थ्य विभाग से अधिकारियों को डेप्यूटेशन पर लिया गया है और इनके सहारे ही विभाग चल रहा है।
आंकड़ों में सामने आया है कि प्रदेश के करीब आधा दर्जन जिले ऐसे हैं, जहां खाद्य पदार्थों की क्वालिटी बेहद खराब है। हरियाणा के मिलेनियम सिटी गुरुग्राम में फेल पाए गए 309 सैंपल में से सबसे ज्यादा 47 फूड सैंपल यहां रिपोर्ट हुए हैं। नूंह में दूसरे स्थान पर सबसे ज्यादा 33 खाद्य पदार्थों के सैंपल खराब रिपोर्ट हुए वहीं पानीपत में 32 फूड सैंपल मानक पैमानों पर खरा नहीं उतरे।
इनके अलावा झज्जर में 26, रेवाड़ी में 24, जींद में 16, भिवानी में 14, कैथल में 14, पंचकूला में 13 और सोनीपत में 11 सैंपल फेल मिले। इसी तरह से प्रदेश के रोहतक में 9, फरीदाबाद में 7, फतेहाबाद में 14 , करनाल में 3, कुरुक्षेत्र में 7, नारनौल में 6, पलवल में 4, सिरसा में 6 और यमुनानगर में 2 सैंपल फेल पाए गए।
आंकड़ों में सामने आया कि जो सैंपल फेल मिले हैं उनमें से 241 सैंपल सब स्टैंडर्ड कैटेगरी के मिले हैं और 5 सैंपल सब स्टैंडर्ड वर्ग में रखे गए। इसके अलावा 43 सैंपल अनसेफ कैटेगरी में हैं और इसलिए इस लिहाज से इस तरह के खाद्य पदार्थों का सेवन स्वास्थ्य के लिए किसी गंभीर खतरे से कम नहीं है। इनके अलावा 12 सैंपल सब स्टैंडर्ड और अनसेफ कैटेगरी के मिले हैं।
यह बता दें कि फूड एंड सेफ्टी विभाग द्वारा कुल 1609 सैंपल भरे गए थे, जिनमें से 1472 का एनालिसिस किया गया था और उपरोक्त अवधि में 138 सैंपल का एनालिसिस नहीं हो पाया था। एनालिसिस किए गए 1472 सैंपल में से 1162 पास हुए और 309 फेल हुए। इसके अलावा अन्य वर्ग में 8 सैंपल रखे गए हैं।
खाद्य एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन विभाग के ज्वाइंट कमिश्नर डीके शर्मा ने बताया कि विभाग ने फूड सेफ्टी अधिकारियों के लिए प्रति माह खाद्य नमूने लेने का लक्ष्य निर्धारित किया है। त्योहारी सीजन में विशेष रूप से निगरानी और सैंपलिंग के लिए निर्देश दिए जाते हैं। जहां पर भी व्यापारियों या दुकानदारों द्वारा खाने-पीने की चीजों में मिलावट की जाती है उन पर सख्ती से कार्रवाई की जाती है।