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मिलावटखोरों के हौसले बढ़े, किसान और अन्न खा रहे लोग भुगत रहे परिणाम
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मिलावटखोर लगातार किसानों के आर्थिक रुप से पहुंच रहे नुकसान
India News (इंडिया न्यूज), Adulteration in Seeds Pesticides , चंडीगढ़ : हरियाणा में किसान पहले ही कई समस्याओं से जूझ रहे हैं और उनकी माली हालत भी कोई ज्यादा ठीक नहीं है। हालांकि समय-समय पर सरकारें किसानों की माली हालत तो ठीक करने के लिए बड़े कदम उठाने के दावे करती रही है, लेकिन धरातल पर किसानों की आर्थिक स्थिति में कुछ खास बदलाव नहीं आया।
इसी कड़ी में बता दें कि हरियाणा में कृषि एवं किसान कल्याण विभाग की ओर से किसानों को दवा, खाद व बीज मुहैया कराया जाता है। इसके लिए विभाग ने अलग-अलग जिलों में विक्रेताओं को लाइसेंस दिए हैं। विभाग की कोशिश है कि किसानों को बेहतर क्वालिटी का बीज, कीटनाशक व खाद मुहैया करवाई जाए और ऐसा होने का दावा भी किया जाता है। लेकिन इसके उलट क्वालिटी का बीज, कीटनाशक व खाद की क्वालिटी पैमाने पर खरा नहीं उतरती। इसके लेकर विभाग की तरफ से दवा, खाद व कीटनाशक बेचने व इसके काम से जुड़े लोगों पर रेड की जाती है। आंकड़ों में सामने आया है कि 8 साल की अवधि में व्यापक पैमाने पर मिलावटखोरी के केस सामने आए हैं और करीब 300 को मिलावटखोरी का दोषी पाया गया व जेल भेजा गया है।
8 साल में कई लोगों को हो चुकी है सजा
खाद, बीज और पेस्टीसाइ़ड में मिलावट करने वालों के खिलाफ विभाग ने कई तरह से कार्रवाई की है। विभाग ने साल 2015-16 से लेकर 2022-23 तक 8 साल की अवधि में कार्रवाई करते हुए खाद, बीज व पेस्टीसाइड के व्यापक व काम से जुड़े लोगों के खिलाफ एफआईआर भी करवाई है। उपरोक्त अवधि में हरियाणा में कुल 283 लोगों को दोषी पाया गया और सजा हुई। बता दें कि कुल 104 लोगों को घटिया क्वालिटी का खाद रखने या बेचने दोषी पाया गया है और सजा हुई है।
वहीं पेस्टीसाइड को लेकर मिलावटखोरी का धंधा सबसे ज्यादा जोरों पर है। कुल 283 मिलावटखोरों में से 132 को केवल पेस्टीसाइड में ही मिलावट का दोषी पाया गया है और इसके चलते इन पर एफआईआर हुई व जेल भेजा गया। इसके अलावा कृषि उत्पाद बेचने वाले 47 लोगों को घटिया क्वालिटी की बीज रखना या बेचने या दोनों के लिए दोषी पाया गया है और बाद में जेल भेजा गया। साल 2015-16 में 27 और 2016-17 में 14 मिलावटखोरों में कार्रवाई की गई। इसके बाद साल 2017-18 में 23, 2018-19 में 33, 2019-20 में 74, 2020-21 में 48, 2021-22 में 41 और 2022-23 में 23 लोगों के खिलाफ कार्रवाई हुई।
साल दर साल निर्धारित सैंपल भरने में फेल रहा विभाग
विभाग से प्राप्त आंकड़ों में खुलासा हुआ है कि विभाग बीज, खाद और कीटनाशकों के हर साल निर्धारित से 25 से 30 फीसद सैंपल कम भरे हैं। विभाग ने साल 2019-20 में तीनों के 10258 सैंपल भरने के लक्ष्य रखा था लेकिन विभाग महज 7530 सैंपल भर पाया। इस लिहाज से 27 फीसद कम सैंपल लिए गए।
साल 2020-21 में तीनों के 10250 सैंपल लेने का टारगेट निर्धारित किया गया लेकिन 7352 सैंपल भी लिए गए और इस तरह से करीब 28 फीसद कम सैंपल भरे गए। फिर साल 2021-22 में विभाग ने तीनों के 10260 सैंपल लेने का लक्ष्य रखा और महज 8010 सैंपल भी लिए गए। इस तरह से इस साल करीब 22 फीसद कम सैंपल भरे गए। इसके बाद साल 2022-23 में 10089 सैंपल लेने का टारगेट रखा गया और इनमें से महज 7689 सैंपल ही भरे गए। इस तरह से इस साल खाद, बीज, कीटनाशक के करीब 24 फीसद सैंपल कम लिए गए।
गलती विभाग की, नुकसान अन्न खाने वाले व किसान
नियमों को ताक पर रखते हुए व्यापक पैमाने पर काफी विक्रेता निम्न स्तर का बीज, कीटनाशक व खाद किसानों को बेचते हैं। इससे न केवल किसानों को फसलों में नुकसान होता है, बल्कि अन्न की गुणवत्ता भी इससे प्रभावित होती है। इसी के मद्देनजर विभाग हर साल खाद, बीज व कीटनाशक के सैंपल लेता है लेकिन चीजें उम्मीदों के अनुरूप घटित नहीं हो रही और निर्धारित टारगेट के तहत सैंपल लेने का काम नहीं हो रहा।
ये भी बता दें कि शिकायत मिलने या रूटीन में विभाग की तरफ से समय-समय पर गुण नियंत्रक निरीक्षक के नेतृत्व में गठित टीम द्वारा उक्त चीजों के सैंपल लिए जाते हैं। सैंपल को प्रदेश की अलग-अलग जिलों में स्थित लैब में जांच के लिए भेजा जाता है। लैब से सैंपल फेल होने पर विभागीय उच्च अधिकारियों से परमिशन के बाद संबंधित कंपनी और डीलर के खिलाफ कोर्ट में केस दायर किया जाता है। इसमें जुर्माने के साथ सजा तक का प्रावधान है।