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Aided Colleges Issue : एडेड कॉलेजों के स्टाफ के सरकारी कॉलेजों में समायोजन पर टकटकी

• LAST UPDATED : November 25, 2023
  • सत्ताधारी पार्टी के नेताओं से मिल दबाव बना रहा एडेड कॉलेजों का स्टाफ और एसोसिएशन

डॉ. रविंद्र मलिक, India News (इंडिया न्यूज), Aided Colleges Issue, चंडीगढ़ : हरियाणा के एडेड कॉलेजों का स्टाफ लंबे समय से सरकारी कॉलेजों में उनके समायोजन को लेकर प्रयासरत है, लेकिन फिलहाल तक मामला सिरे नहीं चढ़ा। एडेड कॉलेज का स्टाफ निरंतर सत्ताधारी पार्टियों के दिग्गजों से मुलाकात भी कर रहा है लेकिन धरातल पर स्थिति में कोई बदलाव नहीं है। टीचर्स व नॉन टीचिंग स्टाफ को आश्वासन तो मिल रहे हैं पर मामले को कई साल बाद भी अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका।

चूंकि अब चुनाव नजदीक हैं तो स्टाफ को इस बात का काफी इलम है कि वो सरकार पर दबाव बनाकर अपनी बात मनवा सकते हैं। चूंकि मामला कई साल से पेंडिंग है तो इसकी तह में भी जाना जरूरी है। बता दें कि टीचर्स एसोसिएशन के पदाधिकारी व अन्य स्टाफ पिछले कुछ दिनों से सत्ताधारी पार्टी के कई मंत्रियों, सांसदों, विधायकों व प्रशासनिक अधिकारियों से मामले को लेकर मुलाकात कर चुका है।

प्रदेश में 97 एडेड कॉलेज, 95 फीसदी अनुदान सरकार दे रही

बता दें कि हरियाणा में 97 एडेड कॉलेज हैं और इन कॉलेजों के संचालन को लेकर सरकार 95 फीसदी अनुदान सरकार द्वारा ही दिया जा रहा है। या फिर ये कह सकते हैं कि ये कॉलेज व्यापक स्तर पर सरकार द्वारा ही वित्त पोषित हैं। इन कॉलेजों में स्टाफ की नियुक्ति सरकार द्वारा बनाए रूल्स रेगुलेशन के अनुसार होती है। ये भी बता दें कि पांच फीसदी अनुदान प्रबंधक समितियों द्वारा किया जाता है। ऐसे में एक लिहाज से ये कहना अनुचित नहीं होगा कि करीब-करीब पूरी तरह से ये संस्थान सरकार ही चला रही है, लेकिन बावजूद इसके सरकार का इन पर सीधा नियंत्रण नहीं है।

सत्ताधारी पार्टी के नेताओं, मंत्रियों व अधिकारियों से मिल सरकार पर दबाव बना रहे टीचर्स

मालूम रहे कि चुनाव की आहट है तो ऐसे में टीचर्स एसोसिएशन और एडेड कॉलेजों का स्टाफ भी अपने समायोजन के लिए बेहद सधी रणनीति से आगे बढ़ रहा है। एसोसिएशन के पदाधिकारी व स्टाफ सत्ताधारी भाजपा व जजपा नेताओं से लगातार मुलाकात कर सरकार पर दबाव बना रहे हैं।

पिछले कुछ समय में एसोसिएशन के पदाधिकारी डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला, होम मिनिस्टर अनिल विज, राज्य मंत्री और कमलेश ढांडा के अलावा कई विधायकों मोहन लाल बड़ौली प्रमोद विज, सुभाष सुधा, हरविंदर कल्याण, विनोद भ्याणा, दूड़ा राम, असीम गोयल, रणधीर गोलन, लीला राम गुर्जर, ईश्वर सिंह, रामकरण काला और सोमबीर सांगवान से मुलाकात कर चुके हैं। इनके अलावा वो सांसदों रमेश कौशिक, धर्मबीर सिंह व सुनीता दुग्गल से भी मिल चुके हैं। अधिकारियों की बात करें तो सीपीएस टू सीएम राजेश खुल्लर, वीरेंद्र दहिया और राजीव रत्तन से मिल अपनी बात उनके सामने रख चुके हैं।

स्टाफ बोला-कही बात सरकार को पूरी करनी चाहिए

एडेड कॉलेजों में तैनात स्टाफ लंबे समय से अपने समायोजन के लिए हाथ पैर मार रहा है। स्टाफ का कहना है कि प्रदेश की वर्तमान सरकार ने एडेड कॉलेजों में कार्यरत कर्मचारियों को टेकओवर करके सरकारी महाविद्यालयों में समायोजित करने का वादा किया था, जो अभी तक सरकार ने पूरा नहीं किया। कॉलेज टीचर्स एसोसिएशन और नॉन टीचिंग यूनियन का कहना है कि वो लगातार पिछले 9 वर्षों से टेकओवर के लिए संघर्ष कर रही है।

स्टाफ को एक्सग्रेशिया पॉलिसी, मेडिकल, सैलरी में देरी समेत कई समस्या

कॉलेजों के स्टाफ की कई पहलुओं को लेकर समस्या व आपत्ति है। स्टाफ निरंतर कह रहा है कि वेतन समय पर नहीं मिलता, जिसके चलते उनको आर्थिक मोर्चे पर जूझना पड़ता है। इसके अलावा सातवें वेतनमान के अनुसार एचआरए की फाइल पिछले चार सालों से वित्त विभाग में लंबित है और मामले के निपटान की जरूरत है। एक्स ग्रेशिया पहले एडेड कॉलेजों में कार्यरत स्टाफ को मिलता था, लेकिन नई एक्स ग्रेशिया पॉलिसी को लागू नहीं करने के चलते दिक्कत आ रही है। इसके साथ ही मेडिकल, एनपीएस स्टाफ की डेथ कम रिटायरमेंट ग्रेच्युटी, एलटीसी, सेवा व अवकाश नियमों में बदलाव न होना, सीसीएल जैसे लाभ से इन कॉलेजों में कार्यरत स्टाफ वंचित है।

सरकारी और एडेड कॉलेजों मे पदों की स्थिति जानिए

जानकारी के अनुसार सरकारी कॉलेजों में शिक्षकों के 8137 पद स्वीकृत हैं। इनमें से 3399 रेगुलर और 2016 एक्सटेंशन लेक्चरर कार्यरत हैं। इसके अलावा 4378 पद खाली पड़े हैं। इस लिहाज से सरकारी कॉलेजों में शिक्षकों के लगभग 60% पद खाली पड़े हैं। शिक्षकों की कमी के चलते स्टूडेंट्स की पढ़ाई भी प्रभावित हो रही है। उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही खाली पदों को भरा जाएगा।

ये भी बता दें कि एडेड कॉलेजों में लगभग 1600 शिक्षक और 1147 नॉन टीचिंग कर्मचारी कार्यरत हैं। कॉलेजों के स्टाफ को सरकारी महाविद्यालयों में समायोजित करने हेतु पॉलिसी भी बन चुकी है, जिसे मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री की अनुमति भी मिल चुकी है। अब यह फाइल मुख्यमंत्री की अनुमति से वित्त विभाग को भेजी जानी है। टीचर्स को उम्मीद ही जल्द मामले का समाधान होगा।

कॉलेज टीचर्स एसोसिएशन के महासचिव डॉ. सुदीप ये बोले

इस बारे में कॉलेज टीचर्स एसोसिएशन के महासचिव डॉ. सुदीप ने कहा कि कई अन्य राज्यों जैसे आंध्र प्रदेश, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश की सरकारों ने भी एडेड कॉलेजों के स्टाफ का सरकारी कॉलेजों में समायोजन किया है। हरियाणा में भी एडेड स्कूलों के स्टाफ को भी सरकारी स्कूलों में समायोजित किया है। कॉलेज टीचर्स एसोसिएशन और नॉन टीचिंग यूनियन सरकार से दरख्वास्त है कि स्कूल स्टाफ समायोजन की नीतियों का अनुसरण करते हुए एडेड कॉलेजों के स्टाफ का समायोजन भी सरकारी कॉलेजों में किया जाए। सरकार द्वारा ऐसा करने से सरकारी खजाने को वित्तीय लाभ पहुंचेगा और सरकारी महाविद्यालयों में स्टाफ की कमी भी पूरी होगी।

ये बोले उच्च शिक्षा मंत्री

उधर, एडेड कॉलेजों के स्टाफ की समायोजन के मामले पर गंभीरता से विचार हो रहा है। मामले पर जल्द ही सभी पक्षों से बातचीत की जाएगी और पॉलिसी बनाने पर काम होगा। यह भी देखा जाएगा कि सरकार और कॉलेजों समेत तमाम स्टेकहोल्डर के हितों का ध्यान रखा जाएगा। साथ ही इस पहलू पर भी ध्यान होगा कि किसी के हितों को नुकसान न हो।

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