इंडिया न्यूज, चंडीगढ़
Air Pollution : हरियाणा के साथ लगते एनसीआर और दिल्ली में प्रदूषण का स्तर बढ़ता जा रहा है। इसके खराब स्थिति में पहुंचने के कारण लोगों को सांस लेने में भी परेशानी हो रही है। हवा में बढ़ रहे जहर के कारण लोगों को फेफड़े और सांस संबंधी बीमारियों से भी जूझना पड़ रहा है। अस्पतालों में रेस्पिरेटरी संबंधी बीमारियों के मरीज ज्यादा दिखाई दे रहे हैं। हालांकि ऐसा नहीं है कि प्रदूषण सभी लोगों पर बराबर असर डाल रहा है।
वायु प्रदूषण का सभी वर्गों पर एक जैसा प्रभाव नहीं पड़ता है। रहन-सहन और सुविधाओं के अभाव में प्रदूषण का गरीबों पर ज्यादा असर पड़ता है। उनके पास घर और घर के अंदर के आराम की चीजें नहीं हैं। वे रोजाना ही काम के लिए घरों से बाहर निकलते हैं या रहते हैं। इसके साथ ही प्रदूषण और प्रदूषित जगहों के सीधे संपर्क में रहते हैं। उनके पास वायु प्रदूषण से बचने के लिए एयर प्यूरीफायर जैसे साधन भी नहीं होते हैं।
गरीबों पर प्रदूषण का ज्यादा प्रभाव पड़ने की ये भी एक वजह है कि वे ठंड से बचाव के लिए वे जिन उपायों को अपनाते हैं वे भी आखिरकार उनको और ज्यादा प्रभावित ही करते हैं। जैसे कि ठंड से बचने के लिए आग जलाना, इसमें भी सूखे पत्ते, कूड़ा-कचरा, प्लास्टिक या रबड़ आदि को जलाना, उपले आदि जलाना आदि। ये चीजें गर्माहट तो देती हैं लेकिन उसके विपरीत इनसे निकले वाली विषैली गैसें और हानिकारक तत्व इनके स्वास्थ्य को नुकसान ही पहुंचाते हैं।
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ज्यादातर गरीब लोग सड़कों पर रहते हैं। इस दौरान वाहनों से होने वाला प्रदूषण, धूल आदि की चपेट में आते रहते हैं। इनसे बचाव का भी कोई उपाय इनके पास नहीं होता। वहीं निर्माण कार्यों वाली जगहों, फैक्ट्रीज में लगातार और रोजाना काम करने के कारण इनका ज्यादातर समय प्रदूषण के साथ गुजरता है। एक और जो बड़ी कमी है वह यह कि इनके पास न तो प्रदूषण से बचाव के लिए संसाधन होते हैं और अगर होते भी हैं तो इन्हें इस्तेमाल करने में भी लापरवाही होती है, जो इनकी स्थिति को बद से बदतर करने में योगदान देती है।
गरीबों, खास तौर पर बेघरों, को गर्म कपड़े देने और उनके रहने की जगहों को गर्म रखने के इंतजाम करने की जरूरत है, ताकि उन्हें खुद को सर्दी से बचाने के लिए आग नहीं जलानी पड़े। सभी मकान मालिकों और रेजिडेंट वेल्फेयर एसोसिएशन (फहअ) को अपने यहां के सुरक्षाकर्मियों को इलेक्ट्रिक हीटर देना चाहिए। इससे वे आग नहीं जलाएंगे, जिससे वे खुद प्रदूषण की चपेट में आने से बचेंगे और प्रदूषण के स्थानीय स्रोतों को भी घटाने में मदद मिलेगी।
सरकारों को चाहिए कि प्रदूषण बढ़ने पर सभी निर्माण कार्यों को बंद न करें। कुछ ऐसे निर्माण कार्य भी होते हैं जिनसे वायु प्रदूषण में इजाफा नहीं होता। इनको वगीर्कृत किया जाए। अगर सभी निर्माण कार्यों को बंद कर दिया जाएगा तो इनकी आमदनी पर असर पड़ेगा और ये काम के लिए घरों के बाहर प्रदूषण में ही निकलेंगे। लिहाजा ये भी फिर भी प्रदूषण की चपेट में आते रहेंगे।
सरकारों को और सिविक संस्थाओं को वायु प्रदूषण को हर समय ध्यान में रखते हुए काम करना चाहिए। फिर चाहे कोई निर्माण कार्य हो, फैक्ट्री हो या सामाजिक कार्य। गरीबों में पोषण की कमी को दूर किए जाने के इंतजाम होने चाहिए। पोषणयुक्त आहार न मिलने पर भी प्रदूषण का गंभीर असर रहता है।
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