नारनौल/पवन शर्मा
नारनौल की अनाज मंडी मे सरसों की आवक शुरू हो चुकी है… किसान अपनी फसल मंडियो मे लाने लगे हैं.. इस बार नारनौल में सरसों की आवक नई अनाज मंडी की जगह पुरानी मंडी में ही हो रही है… लेकिन किसान अपनी सरसों की फसल सरकारी एजेंसी को ना बेचकर आढ़तियो को बेच रहे हैं.. जिसकी वजह सरकारी समर्थन मूल्य से ज्यादा बाजार का भाव होना बताया जा रहा है…दक्षिणी हरियाणा के महेन्द्रगढ़ जिले में किसानों की दो प्रमुख फसलें होती हैं, जो सरसो और गेंहू शामिल है…जहां गेंहू की अभी कटाई का काम चल रहा है तो वहीं सरसों मंडी में आनी शुरू हो गई है.
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इस बार सरसों का समर्थन मूल्य 4650 रूपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है… जबकि बाजार में सरसों का खुला भाव 4900 रूपए से लेकर 5200 रूपए तक है.. ऐसे में किसान सरकारी एजेंसी को अपनी फसल न बेचकर बाजार में दुकानदारों को बेच रहे हैं… कारोबारियों की मानें तो इस बार सरकारी खरीद ना के बराबर हो रही है… क्योंकि खुले में सरसो के भाव ज्यादा है… नारनौल मार्केट कमेटी की सैक्रेटरी मुकुल कुमारी भी मानती हैं कि 1 अप्रैल से सरसों की सरकारी खरीद का शेड्यूल जारी हो चुका है… लेकिन सरकारी रेट कम और मार्केट में सरसों का रेट ज्यादा होने के चलते अब तक खरीद नहीं हो पाई है.. उन्होंने आशंका भी जताई कि अगर सरसों का बाजार भाव इसी तरह समर्थन मूल्य से ज्यादा रहा तो किसान अपनी फसल खुले में व्यापारियों को ही बेचेंगे।
इस बार सरसों की अच्छी पैदावार हुई है, इससे किसान भी काफी खुश हैं… सरसो की अच्छी पैदावार के चलते नारनौल की अनाज मंडी में भी भरपूर मात्रा में किसान अपनी फसल लाने लगे हैं… किसानों की मानें तो वो अपनी फसल को सरकारी एजेंसी को ना बेच खुले बाजार में बेचना पसंद कर रहा है.. क्योंकि जहां सरकार ने 4650 रूपए समर्थन मूल्य निर्धारित किए हैं। वहीं उनकी फसल के खुले में दाम 4900 रूपए से लेकर 5200 रूपए तक मिल रहे हैं। किसानो ने मंडी मे अव्यवस्था को लेकर भी नाराजगी जताई। किसानो का कहना है कि यहां ना ही बैठने के लिए टीन शेड लगा है और ना ही पीने के पानी की व्यवस्था है.. ऐसे में मंडी से बाहर बाजार ही फसल बेचने के लिए बेहतर विकल्प है
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