डाटा ऑनलाइन करने के लिए करोड़ों के बजट को अप्रूवल
फिलहाल पशुओं संबंधी 7 में से 5 वैक्सीनेशन-ब्रीडिंग मॉडयूल ही जुड़ेंगे
पशुपालन विभाग का समय भी बचेगा और साथ में कम स्टाफ में काम होगा
डॉ. रविंद्र मलिक, चंडीगढ़।
Animal Vaccine Data हरियाणा में पशुधन कल्याण के लिए निरंतर कई कदम उठाए जा रहे हैं। इसको लेकर कुछ स्कीम केंद्र द्वारा तो कुछ स्कीम प्रदेश सरकार द्वारा लॉन्च की गई है। यूपी की तर्ज पर कुछ समय पहले प्रदेश में पशुओं के लिए आपातकालीन स्थिति में इलाज के लिए मोबाइल वैन सेवा शुरू की गई है। इस आपातकालीन सेवा के जरिए जरूरतमंद पशुओं को पशु मालिक के घर पर समय पर इलाज मुहैया कराया जाएगा। अब इसी कड़ी में सरकार द्वारा एक नया कदम उठाया जा रहा है। सरकार ने फैसला लिया है कि प्रदेश के सभी पशुओं की ब्रीडिंग-वैक्सीनेशन का डाटा अब ऑनलाइन उपलब्ध होगा। इसको लेकर काम भी शुरू हो चुका है। इस पर करीब 6 करोड़ की लागत आनी है। इस राशि से लेपटॉप खरीदे जाने हैं जो इस पूरी प्रक्रिया में काम आएंगे।
इस इनिशिएटिव के तहत अभी पशुओं से संबंधित 2 ही मॉडयूल जोड़े गए हैं और 5 को बाद में जोड़ा में जाएगा। फिलहाल ब्रीडिंग व वैक्सीनेशन संबंधी मॉडयूल पर ही फोकस किया जाएगा। इसके बाद इसमें 5 अन्य मॉडयूल जिनमें पशु का स्वास्थ्य, मृत्यु के आंकड़े आदि को शामिल किया जाएगा। जानकारी अनुसार सभी मॉड्यूल जुड़ने के बाद इस नई पहल के तहत पशुओं का पूरा डाटा मेंटेन होगा। इसमें पता चलेगा कि फिलहाल कितने पशु जीवित हैं और कितनों की किस वजह से मौत हो चुकी है। ऐसे में विभाग अधिकारियों को भविष्य में पशु के लिए लाई जाने वाली स्कीम में आसानी रहेगी।
पूरा डाटा ऑनलाइन के बाद विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों को इससे कई तरह के फायदे होंगे। डाटा कंपाइल होने के बाद एक क्लिक पर पता चल जाएगा कि कितने पशुओं को जरूरी वैक्सीन लग चुकी है और कितनों को अभी लगाना है। वैक्सीन लगने के बाद पशुओं को टैगिंग होती है। इसके अलावा ब्रीडिंग के बारे में भी नवीनतम जानकारी उपलब्ध होगी।
प्रदेश अगर पशु संख्या की बात करें तो आंकड़ा करीब 70 लाख है। इनमें से 43.5 लाख संख्या तो भैंस (बफैलो) की है तो वहीं 19.5 संख्या गाय (मेल-फीमेल) की है। इन दोनों को मिलाकर आंकड़ा 63 लाख बैठता है। इसके अलावा भेड़ बकरियां, सूअर और घोड़े भी हैं। इसके अलावा बता दें कि प्रदेश में भेड़ों की संख्या 2.88 लाख है और बकरियों की संख्या 3.6 लाख है। वहीं सूअरों की संख्या 1.08 लाख है। अगर घोड़ों की बात करें तो आंकड़ा करीब 10 हजार है। ये जानकारी नवीनतम पशु पालन गणना में रिपोर्ट हुई है।
ये पूरा डाटा इंफोर्मेशन नेटवर्क फॉर एनिमल प्रोडक्टिविटी एंड हेल्थ (इनाफ या आईएनएपीएच) एप पर होगा। इस एप पशुओं का विश्वसनीय डाटा उपलब्ध होता है। इसमें पशुओं की ब्रीडिंग, न्यूट्रिशन और हेल्थ सेवाओं संबंधी पूरी जानकारी होती है। इसके जरिए फिर पशुओं संबंधी प्रोजेक्ट्स व मॉनिटरिंग करने में मदद मिलती है। ये डाटा नेशनल डेयरी डेवेलपमेंट बोर्ड ( एनडीडीबी) द्वारा डाला जाता है।
हरियाणा में करीब 140 ब्लॉक हैं। पशुओं को इलाज मुहैया कराने के लिए करीब 70 मोबाइल वैन खरीदी जाने को लेकर मंजूरी दी जा चुकी है और ऐसे में औसतन दो ब्लॉक पर एक मोबाइल तैनात होगी जो आपातकालीन स्थिति में हर समय पशुओं की मदद के लिए तैनात रहेंगी। मिली जानकारी अनुसार ये मोबाइल वैन बेहद ही आधुनिक होंगी। इनमें पशुओं के इलाज में काम आने आधुनिक मशीन होंगी। उनकी बीमारी को डायग्नोस करने के लिए हर लैब फेसिलिटी वैन ही होगी। मोबाइल वैन में एक वेटरनरी सर्जन हर समय रहेगा। इसके अलावा एक एनिमल अटेंडेंट होगा और वैन पर एक ड्राइवर की ड्यूटी रहेगी। ऐसे में साफ है कि अत्याधुनिक पशु ट्रीटमेंट सुविधाओं के साथ बेहतरीन पशु एक्सपर्ट एक कॉल पर कुछ ही मिनट में जरूरत वाली जगह मौजूद होंगे।
इस बारे में जानकारी देते हुए कृषि मंत्री जेपी दलाल ने बताया कि विभाग द्वारा नई स्कीम के तहत प्रदेश के पशुधन पूरा डाटा ऑनलाइन होगा और शुरुआत में 7 में से वैक्सीनेशन व ब्रीडिंग संबंधी मॉड्यूल को शामिल किया जा रहा है। स्कीम के लिए बजट को मंजूरी दी जा चुकी है और ये भी बता दूं कि पशु कल्याण के लिए मोबाइल मेडिकल वैन स्कीम को भी मंजूरी दी जा चुकी है। इसके जरिए जरूरतमंद पशुओं को मालिक के घर ही समय पर आपातकालीन स्थिति में इलाज मिलेगा।
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