India News (इंडिया न्यूज), Anurag Agarwal on Media, चंडीगढ़ : हरियाणा के मुख्य निर्वाचन अधिकारी अनुराग अग्रवाल ने कहा कि लोकसभा आम चुनाव को स्वतंत्र, निष्पक्ष व शांतिपूर्ण ढंग से सम्पन्न करवाने में मीडिया का भी अहम योगदान होता है। इसलिए आदर्श आचार संहिता के दौरान प्रिंट मीडिया को भारतीय प्रेस परिषद और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को समाचार प्रसारण मानक प्राधिकरण (एनबीएसए) द्वारा तय नियमों और दिशा-निर्देशों के अनुसार ही समाचार और विज्ञापन को प्रकाशित एवं प्रसारण करना अनिवार्य है। अग्रवाल लोकसभा आम चुनाव 2024 के संबंध में तैयारियों की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे।
मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने कहा कि आदर्श आचार संहिता लागू होने के बाद किसी भी उम्मीदवार या राजनीतिक पार्टियों द्वारा विज्ञापन सामग्री प्रिंट या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में छपवाने या प्रसारण के लिए दी जाएगी तो उस प्रिंट या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया संस्थान को यह चैक करना अनिवार्य होगा कि उम्मीदवार या राजनीतिक पार्टी द्वारा विज्ञापन को छपवाने का सर्टिफिकेट मीडिया सर्टिफिकेशन एंड मॉनिरिंग कमेटी (एम.सी.एम.सी) द्वारा प्राप्त किया गया हो।
उन्होंने कहा कि यह एम.सी.एम.सी कमेटी केंद्रीय, राज्य और जिला स्तर पर बनी हुई है और उम्मीदवार या राजनीतिक पार्टियों कि लिए यह बिल्कुल भी अनिवार्य नहीं है कि वह केवल हरियाणा की एम.सी.एम.सी कमेटी से ही सर्टिफिकेट प्राप्त करें। उम्मीदवार या राजनीतिक पार्टियां दिल्ली में स्थित एम.सी.एम.सी कमेटी से भी सर्टिफिकेट प्राप्त कर सकते हैं जो हरियाणा में भी मान्य होंगे।
अनुराग अग्रवाल ने भारतीय प्रेस परिषद और समाचार प्रसारण मानक प्राधिकरण द्वारा तय नियमों और दिशा-निर्देशों की जानकारी देते हुए बताया कि आचार संहिता के दौरान मीडिया को सांप्रदायिक, गैर-कानूनी, जाति और राष्ट्र विरोधी समाचारों के प्रसारण से बचना चाहिए। उन्होंने कहा कि चुनाव प्रचार के लिए उम्मीदवारों तथा राजनीतिक दलों द्वारा विभिन्न प्रकार की प्रचार सामग्री छपवाई जाती है, इसलिए प्रकाशक तथा मुद्रक द्वारा छापी गई सामग्री का ब्यौरा संबंधित जिला मजिस्ट्रेट या मुख्य निर्वाचन अधिकारी के कार्यालय में भेजना आवश्यक होता है।
उन्होंने कहा कि यदि किसी व्यक्ति द्वारा किसी उम्मीदवार या राजनीतिक पार्टी के पक्ष में प्रचार सामग्री छपवाई या प्रसारित की जाती है, तो उस स्थिति में मीडिया संस्थान को यह चैक करना होगा कि उस व्यक्ति ने उम्मीदवार या राजनीतिक पार्टी से सहमति ली है या नहीं। अगर उम्मीदवार या राजनीतिक पार्टी की सहमति से प्रचार सामग्री छपवाई या प्रसारित की जा रही है तो विज्ञापन का खर्च उस उम्मीदवार या राजनीतिक पार्टी के चुनाव खर्च में जोड़ा जाएगा। यदि उम्मीदवार या राजनीतिक पार्टी की सहमति के बिना ऐसा कोई प्रचार किया जा रहा है तो उस व्यक्ति के खिलाफ केस दर्ज किया जाएगा।
मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने कहा कि मीडिया द्वारा संतुलित और निष्पक्ष रिपोर्टिंग की जानी चाहिए ताकि नागरिकों तक सही और सच्ची खबर पहुंचे, जिससे वे किसी प्रकार के बहकावे में न आएं। उन्होंने कहा कि मतदाताओं का विश्वास बढ़ाने के लिए इस बार भी वीवीपैट का इस्तेमाल किया जा रहा है। जब मतदाता वोट डालता है तो वीवीपैट की स्क्रीन पर 7 सेकेंड के लिए मतदाता को अपना वोट दिखाई देता है। जिससे मतदाता को यह विश्वास होता है कि उसने जिसे वोट डाला है उसका वोट उसे ही गया है। इसका प्रचार भी मीडिया अधिक से अधिक करे।
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