होम / International Gita Jayanti Mahotsav : कुरुक्षेत्र महोत्सव में पंजाब से पहुंचे कलाकारों ने झूमर की दी प्रस्तुति, बोले- झूमर से निकला भांगड़ा…

International Gita Jayanti Mahotsav : कुरुक्षेत्र महोत्सव में पंजाब से पहुंचे कलाकारों ने झूमर की दी प्रस्तुति, बोले- झूमर से निकला भांगड़ा…

• LAST UPDATED : December 9, 2024

इशिका ठाकुर, India News Haryana (इंडिया न्यूज), Gita Mahotsav Kurukshetra : अंतर्राष्ट्रीय गीता जयंती महोत्सव में पूरे देश के अलग-अलग राज्यों की संस्कृति एक ही मंच पर दिखाई दे रही है। नॉर्थ जोन कल्चरल सेंटर के द्वारा सांस्कृतिक कलाकारों को मंच प्रदान किया गया है, जिसमें पंजाब से आए कलाकार झूमर की प्रस्तुति देकर लोगों का मन मोह रहे हैं।

पंजाब से 13 सदस्यों की एक झूमर पार्टी आई हुई है जो यहां अपने झूमर का प्रदर्शन करते हुए अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव पर आए हुए पर्यटकों का मन मोह रही है। झूमर भांगड़ा की तरह ही होता है। भांगड़ा झूमर में ही से निकला है जो झूमर से तेज स्टेप में किया जाता है, लेकिन यह एक पंजाब की परंपरागत विरासत है इसको संजोए रखने के लिए यह टोली कामकर रही है।

International Gita Jayanti Mahotsav : झूमर कलाकार जसवंत सिंह बोले

झूमर कलाकार जसवंत सिंह ने बताया कि उन्हें खुशी है कि यहां आने का मौका मिला है। उनकी 13 लोगों की टीम यहां पर सांस्कृतिक प्रस्तुति देने के लिए पहुंची है। उन्होंने बताया कि पंजाब का लोकप्रिय भांगड़ा झूमर से ही निकला है, क्योंकि झूमर धीमा था और भंगड़ा तेज होता है। उन्होंने बताया कि इस झूमर में ही कई तरह के स्टाइल किए जाते हैं जिसमें फसलों को लेकर भी टप्पे होते हैं।

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उन्होंने बताया कि उन्हें हर बार यहां आकर खुशी होती है। अपने पंजाब का कल्चर यहां दिखाने का मौका मिलता है। उन्होंने बताया कि वह पूरे देश में घूम चुके हैं और जो भी इस प्रकार के कार्यक्रम आयोजित होते हैं, उस प्रदेश के द्वारा उनको निमंत्रण दिया जाता है और वह वहां पर जाकर झूमर दिखाते हैं। वह लगभग देश के हर राज्य में जा चुके हैं और लगातार अपनी इस परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं।

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कई पीढ़ियां झूमर से लोगों का मनोरंजन कर रहीं

उन्होंने कहा कि जब अयोध्या में राम मंदिर में रामलाल की स्थापना हुई थी, उस समय भी उनको आमंत्रित किया गया था और उन्होंने वहां पर जाकर अपने झूमर से लोगों का मनोरंजन किया था। इसमें वह कई पीढ़ियों से काम करते आ रहे हैं। और यह उनका एक परंपरागत काम है जो पहले उनके बड़े बुजुर्ग करते आ रहे थे। उन्होंने बताया कि जब भारत और पाकिस्तान का बंटवारा हुआ तब उनके बड़े बुजुर्ग पाकिस्तान से भारत में आए थे और यहां पर तब से ही वह झूमर कर रहे हैं। जैसे ही वह झूमर की कला का प्रदर्शन अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव पर करते हैं तो लोगों को यह काफी पसंद आता है।

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