इंडिया न्यूज़, अंबाला : अंबाला नगर निगम के चुनाव के ठीक बाद अंबाला शहर के गोवर्धनगर में हुए मर्डर के मामले में आरोपों का सामना कर रही पार्षद रूबी सौदा की अब परेशानियां बढ़ती हुई दिखाई दे रही हैं। परिवार द्वारा लगातार किए जा रहे विरोध के बीच कोर्ट ने रूबी सौदा के गिरफ्तारी वारंट जारी करते हुए पुलिस को आदेश दिए है कि वह 20 अप्रैल से पहले रूबी को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश करें।
वहीं प्रभावित पक्ष के वकील ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि इस मामले में पुलिस तीन बार गिरफ्तारी वारंट ले चुकी है, लेकिन न जाने किस के दबाव में आकर रूबी सौदा को गिरफ्तार नहीं किया जा रहा। वहीं दूसरी तरफ हरियाणा जनचेतना पार्टी (वी) के पार्षदों ने मंडल आयुक्त के कार्यालय पहुंचकर एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें उन्होंने मांग की कि रूबी सौदा की सदस्यता को लेकर जो सुनवाई चल रही है, जब तक उसका फैसला नहीं आता, तब तक उसे हाउस की बैठक में आने पर रोक लगाई जाए।
अंबाला के चर्चित अरुण हत्याकांड में वकील वरुण शर्मा ने बताया कि 22 मार्च को माननीय न्यायालय ने गिरफ्तारी वारंट जारी किए हैं। उन्होंने बताया कि यह तीसरा गिरफ्तारी वारंट है। वकील ने कहा कि अभी तक 13 महीने बीत चुके हैं, लेकिन अंबाला पुलिस द्वारा अभी तक पार्षद रूबी सौदा की गिरफ्तार नहीं की गई। वरुण शर्मा ने कहा कि हमें लाइ डिटेक्टर टैस्ट से हमें कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन पुलिस को पहले गिरफ्तारी वारंट जारी नहीं करवाने चाहिए थे।
उन्होंने कहा कि इस मामले में 10 आरोपी शामिल है, जिसमें से पुलिस ने 9 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है, लेकिन केवल पार्षद रूबी सौदा के मामले में लाइव डिटेक्टर टैस्ट की बात की जा रही है। वकील वरुण शर्मा कहा कि टैस्ट के नाम पर अंबाला पुलिस रूबी सौदा को बचाना चाहती है। उन्होंने कहा कि सीआरपीसी के सेक्शन 70 में स्पष्टतौर पर लिखा है कि यदि आपने गिरफ्तारी वारंट करवाया गया है तो आरोपी को गिरफ्तार करें या फिर उसका गिरफ्तारी वारंट कैंसिल करवाएं।
लेकिन इस मामले में न तो आरोपी को गिरफ्तार किया गया और न ही वारंट को कैंसिल करवाया गया। अरुण हत्या कांड के वकील वरुण शर्मा ने बताया कि पुलिस द्वारा दर्ज की गई एफआईआर में रूबी सौदा का स्पष्टतौर पर रोल दिखा गया है, जिसमें लिखा गया है कि रूबी सौदा के हाथ में डंडा था और वह मौके पर मौजूद थी।
वकील ने कहा कि इस झगड़े का मुख्य आधार यह है कि रुबी सौदा किसी अन्य पार्टी से चुनाव लड़ रही थी और जो प्रभावित पक्ष है वह किसी अन्य पार्टी को स्पोर्ट कर रहे थे। इसी रंजिश को लेकर यह झगड़ा हुआ है।
वकील ने कहा कि यह पहला मामला है जिसमेंं पुलिस ही गिरफ्तारी वारंट जारी करवा रही है और गिरफ्तार नहीं कर रही। फिर लाइ डिटेक्टर टेस्ट करवाने की बात कर रही है। पुलिस ने उसे बचाने का रास्ता निकाला है। कभी आपने देखा है कि जिस आईओ ने गिरफ्तारी वारंट जारी करवाए हो, वह पुलिस कर्मी उसे कोर्ट में लेकर आता है। वकील ने सवाल उठाया कि क्या यह टेस्ट गिरफ्तारी के बाद नहीं हो सकता था। वकील ने कहा कि आगे भविष्य में हर कोई मुलाजिम ये ही कहेगा कि मेरा भी टेस्ट करवा लो। यह पुलिस की मंशा पर सवाल खड़े कर रहे हैं।
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