Baba Banda Singh Bahadur Memorial Site : लोहगढ़ को मिलेगा नया स्वरूप, ऐतिहासिक धरोहर को पुनर्जीवित करेगी मनोहर सरकार

  • एक जनवरी को लोहगढ़ में विभिन्न विकास कार्यों का शिलान्यास करेंगे मुख्यमंत्री मनोहर लाल

  • लोहगढ़ में बाबा बंदा सिंह बहादुर स्मृति स्थल पर अत्याधुनिक संग्रहालय का करेंगे शिलान्यास

इंडिया न्यूज, Haryana (Baba Banda Singh Bahadur Memorial Site) : आजादी के अमृत महोत्सव के तहत बाबा बंदा सिंह बहादुर के त्याग, बलिदान और शौर्य की कहानी पूरे विश्व में फैले, इसके लिए हरियाणा के मुख्यमंत्री श्रीमनोहर लाल ने लोहगढ़ को नया स्वरूप देने का निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री इस ऐतिहासिक धरोहर को पुनर्जीवित करना चाहते हैं ताकि आने वाली पीढ़ियों को अपने शहीदों की कुर्बानी से प्रेरणा मिल सके। इसी कड़ी में मुख्यमंत्री मनोहर लाल 1 जनवरी, 2023 को बाबा बंदा सिंह बहादुर की ऐतिहासिक स्थली लोहगढ़ में विभिन्न विकास कार्यों का शिलान्यास करेंगे।

पहले चरण में किला, मुख्य गेट तथा चारदीवारी का कार्य

मुख्यमंत्री इस दौरान बाबा बंदा सिंह बहादुर स्मृति स्थल पर एक अत्याधुनिक संग्रहालय का शिलान्यास करेंगे। परियोजना के पहले चरण में किला, मुख्य गेट तथा चारदीवारी का कार्य किया जाएगा। लोहगढ़ में स्थित इस स्मृति स्थल को 20 एकड़ क्षेत्र में विस्तार दिया जाएगा। स्मारक परिसर में पंजाब की महान किला वास्तुकला देखने को मिलेगी। लोहगढ़ में बाबा बंदा सिंह बहादुर द्वारा बनाए गए नानकशाही सिक्के की स्थापना से प्रवेश द्वार की शोभा बढ़ेगी।

संग्रहालय में नजर आएगा बाबा बंदा सिंह बहादुर संपूर्ण जीवन का सार

संग्रहालय में बाबा बंदा सिंह बहादुर के जन्म से लेकर अंतिम दौर तक के संपूर्ण जीवन का सार दिखाया जाएगा। संग्रहालय में बाबा बंदा सिंह बहादुर के जीवन के इतिहास के साथ-साथ नवीनतम तकनीकों के समावेश से आगंतुकों को एक नई दुनिया का आभास होगा। बाबा बंदा सिंह बहादुर के जीवन को प्रदर्शित करने के लिए संग्रहालय में मल्टीमीडिया शो होगा। संग्रहालय की गैलरी-1 में बाबा बंदा सिंह बहादुर की जीवन गाथा दिखाई जाएगी, जो जम्मू में उनकी युवावस्था से शुरू होकर नांदेड़ में समाप्त होगी, जहां वे गुरु गोबिंद सिंह जी के “बंदा” बन जाते हैं।

वहीं गैलरी-2 में बाबा बंदा सिंह बहादुर के शासन के बारे में बताया जाएगा, एक बहुस्तरीय स्क्रीन में दिखाया जाएगा कि बाबा बंदा सिंह बहादुर गुरु के अनुयायियों को मुगलों के गलत कामों के खिलाफ उनके साथ जुड़कर हथियार उठाने के लिए प्रेरित करते हैं। इसके बाद कहानी आगंतुक को पंजाब में बाबा बंदा सिंह बहादुर के प्रभावशाली अभियान और सिदौरा में उनकी अंतिम जीत के बारे में बताती है। कहानी का समापन सिख राज की स्थापना के साथ शानदार लोहगढ़ की राजधानी के रूप में होता है। गैलरी-3 में बाबा बंदा सिंह बहादुर के जीवन की अंतिम घटनाओं को शामिल किया गया है।

परियोजना के चरण-2 में उनकी एक विशालकाय प्रतिमा की स्थापना के लिए एक वैश्विक डिजाइन प्रतियोगिता आयोजित की जाएगी जो एक केंद्रीय आकर्षण होगा। वहीं दूसरे चरण में लोहगढ़ में मार्शल आर्ट्स स्कूल भी स्थापित किया जाएगा।

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