India News Haryana (इंडिया न्यूज), Jhajjar News : आप जानकर हैरान रह जाएंगे कि एक घोड़ी की इतने लाख की बोली लगी। जी हां, यहां मशहूर एशिया का प्रसिद्ध पशु मेलालगता है जहां लेली नाम की घोड़ी भी पहुंची जिसकी 25 लाख रुपए की बोली लगी। लेली के साथ ही गोल्डन किंग नाम का घोड़ा भी आया। दोनों को देखने के लिए पशु कद्रदानों की भीड़ कम नहीं हो रही। लेली ने पिछले माह पंजाब में हुई चैंपियनशिप में सुंदरता में पहला स्थान प्राप्त किया था।
आपको जानकारी दे दें कि यहां झज्जर के बेरी में हर वर्ष माता भीमेश्वरी देवी का मेला लगता है। यहीं पर गधों व घोड़ों का पशु मेला भी लगता है। राजस्थान के पुष्कर के बाद यह एशिया का सबसे बड़ा पशु मेला कहा जाता है। मेले में पंजाब, हरियाणा, यूपी और राजस्थान से व्यापारी पशु लेकर पहुंचते हैं। इन पशुओं को देखने के लिए लोगाें में काफी उत्साह रहता है।
इस बार मेले में आकर्षक कद काठी का घोड़ा गोल्डन किंग और घोड़ी लेली भी पहुंचे। गोल्डन किंग और लेली की सुंदरता हर किसी भाती है। झाड़ौदा निवासी घोड़ा मालिक बबलू पहलवान ने बताया गोल्डन किंग मेले में सबसे ऊंचा व सुंदर घोड़ा है। मेले में वह इसे केवल नुमाइश के लिए लेकर आया है।
65 इंच ऊंची घोड़ी लेली की उम्र मात्र 2 वर्ष है और नुकरी नस्ल की है। लेली सबसे ऊंची और आकर्षक घोड़ी है जो सभी का ध्यान अपनी ओर खींच रही है। मेेले में पशु कद्रदानों ने लेली की कीमत 25 लाख रुपए तक लगा दी है घोड़ी मालिक बबलू पहलवान की मानें तो लेली प्रतिदिन 6 किलो चना, 10 लीटर दूध, देसी घी और चोकर आदि खाती है। उसका हर माह का खर्च करीब 35 से 40 हजार रुपए आता है।
वहीं 70 इंच ऊंचे नुकरा मारवाड़ी नस्ल के गोल्डन किंग घोड़े की बात करें तो यह 5 साल का है। वह भी सुंदरता में कहीं पीछे नहीं है। घोड़ा मालिक बबलू पहलवान ने बताया गोल्डन किंग हर रोज 10 किलो चना, 10 लीटर दूध, कभी-कभी देसी घी और चोकर खाता है।
कुल मिलाकर कहा जाए तो पशु मेले में आने वाले घोड़े व घोड़ियों की कीमत कई लग्जरी गाड़ियों की कीमत को भी मात दे रही है। मेले में घोड़ों को लेकर पहुंचने का अंदाज भी कुछ अलग ही दिखा। कोई घोड़ों को डीजे की धुन पर डांस कराते मेले में लाया जा रहा है जिसके दौरान घोड़े-घोड़ियों द्वारा करतब भी दिखाए जा रहे हैं।
बेरी में लगने वाले पशु मेला मुगलों के समय से चलता आ रहा है। मेले में बंजारा, कुम्हार व खटीक आदि जाति के लोग अपने घोड़े-गधों को विशेष रूप से सजाते हैं और मेले में बेचने के लिए लाते हैं। यह मेला साल में 2 बार नवरात्र के समय में ही लगाया जाता है। भारत में इस पशु मेले को केवल 2 ही जगह एक बेरी और दूसरा राजस्थान के पुष्कर में लगाया जाता है।
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