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Beti Bachao Beti Padhao Campaign हरियाणा को मिली बड़ी सफलता

• LAST UPDATED : November 25, 2021

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 (2020-2021) के हाल ही में जारी आंकड़ों के तहत लिंगानुपात में हुई 57 अंकों की वृद्धि
इंडिया न्यूज, चंडीगढ़।
Beti Bachao Beti Padhao Campaign प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा जनवरी-2015 में हरियाणा की धरती पानीपत से शुरू किए बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान के प्रदेश में सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं। पिछले 5 वर्षों में 57 अंकों की बढ़ोतरी के साथ लिंग-अनुपात में काफी सुधार हुआ है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल द्वारा निरंतर बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान की मॉनिटरिंग व उनके कुशल मार्गदर्शन के कारण ही प्रदेश में इसका प्रभावी क्रियान्वयन संभव हो पाया। मुख्यमंत्री ने अभियान से जुड़े अधिकारियों, जिला उपायुक्तों को भी इस उपलब्धि के लिए बधाई दी और कहा कि अब जल्द ही प्रदेश में लिंगानुपात के आंकड़े 950 तक पहुंच जाएंगे। इस अभियान की शुरुआत के बाद ही प्रदेश में लिंगानुपात बढ़ाने और कन्या भ्रूण हत्या की संभावना को पूरी तरह से मिटाने के लिए सक्रिय उपाय किए गए।

2015 में ही प्रकोष्ठ ने शुरू कर दिया था कार्य (Beti Bachao Beti Padhao Campaign)

मुख्यमंत्री के अतिरिक्त प्रधान सचिव डॉ. अमित अग्रवाल ने इस संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि इस अभियान की सफलता सुनिश्चित करने के लिए उस वक़्त तुरंत एक प्रकोष्ठ का गठन किया गया था जिसने मई 2015 में ही काम करना शुरू कर दिया था। इसके बाद लिंग-निर्धारण की संभावना को खत्म करने के लिए प्रसव पूर्व निदान तकनीक (पीएनडीटी) व एमटीपी अधिनियम के तहत व्यापक स्तर पर कदम उठाए गए। उन्होंने बताया कि गत पांच वर्षों में करीब 1,000 छापे मारे गए, जिनमें 275 छापे अंतरराज्यीय स्थानों पर थे। इस दौरान लिंग-निर्धारण व एमटीपी एक्ट के तहत 970 एफआईआर दर्ज की गईं।

दिसंबर 2014 में 871 था लिंगानुपात (Beti Bachao Beti Padhao Campaign)

नागरिक पंजीकरण प्रणाली (सीआरएस) के अनुसार दिसंबर, 2014 में हरियाणा में जन्म के समय लिंगानुपात 871 था जो दिसंबर, 2020 में बढ़कर 922 हो गया था। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 (2015-1016) के अनुसार प्रदेश में बच्चों के जन्म के समय लिंगानुपात 836 था और अब राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 (2020-2021) में यह 57 अंक की बढ़ोतरी के साथ लिंगानुपात 893 हो गया है। उन्होंने बताया कि लिंग निर्धारण को कम करने के लिए छापेमारी के अलावा लिंग चयन दवाओं जैसी गतिविधियों को रोकने के लिए भी प्रभावी कदम उठाए गए और इसके लिए 80 से अधिक छापेमारी की गई। इसके अलावा, लिंग निर्धारण परीक्षण करने वाले नैदानिक केंद्रों आदि की पहचान करने के लिए स्वयंसेवकों का सहयोग लिया गया। इस संबंध में सटीक जानकारी देने वाले मुखबिरों को एक लाख रुपए की राशि प्रोत्साहन रूप में देने का निर्णय लिया गया। पिछले पांच वर्षों की अवधि में ऐसे मुखबिरों को अब तक करीब 3 करोड़ रुपए दिए गए हैं। इसके अलावा, हॉकी और कुश्ती जैसे खेलों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाली महिला खिलाड़ियों ने भी लोगों की मानसिकता को बदलने के लिए व्यापक प्रभाव डाला है और इससे भी लिंग-अनुपात में वृद्धि होना संभव हो पाया। लाडली, आपकी बेटी-हमारी बेटी जैसी अन्य पहलों ने भी लिंगानुपात को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

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