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Bhiwani: जिले का एक अनोखा स्कूल.

PUBLISHED BY: • LAST UPDATED : July 3, 2021

भिवानी

भिवानी जिला प्रशासन(Bhiwani District Administration) ने  स्कूल के विकस के लिए 62 प्रजातियों के 1700 पेड़ और हजारों पौधें लगाए है. स्कूल प्रशासन पेड़ और पौधे लगाकर पर्यावरण को हरा-भरा कर शहर के बीचो-बीच ऑक्सीजन चैंबर के रूप में काम कर रहा है.

भिवानी जिले(Bhiwani District) का एक स्कूल ऐसा है, जो पर्यावरण संरक्षण का संदेश देकर अपनी अलग पहचान बनाएं हुए हैं. भिवानी जिला प्रशासन  ने संचालित शहर का हलवासिया विद्या विहार स्कूल इन दिनों पर्यावरण संरक्षण को लेकर अपनी अलग पहचान रखता है. स्कूल परिसर के 9 एकड़ क्षेत्र में भवन परिसर को छोडक़र बाकी सारे स्थान पर हजारों पेड़ व पौधें कतारबद्ध तरीके से लगे हुए हैं, जो किसी भी अच्छे गार्डन से बेहतर प्रतीत होते हैं.पंचकूला के राजेंद्रा गार्डन की तर्ज पर भिवानी के इस स्कूल में 62 प्रजातियों के 1700 के लगभग पेड़ लगे हुए हैं. इसके अलावा हजारों की संख्या में पौधें इसे एक गार्डन की रूपरेखा देते नजर आते हैं.

भिवानी जिला प्रशासन(Bhiwani District Administration) ने नियुक्त प्रशासक और राज्य पुरस्कार प्राप्त प्राध्यापक दीवानचंद रहेजा ने बताया कि स्कूल परिसर में हजारों की संख्या में पेड़-पौधों के अलावा बॉटनिकल गार्डन और रोज गार्डन बनाया गया हैं. जिसमें बॉटनी से संबंधित बच्चों को ज्ञान दिया जाता हैं. इसके अलावा स्कूल परिसर में बड़े ग्रॉसी प्लॉट है, जहां पर शहर के प्रबुद्ध लोग जिला प्रशासन की इजाज़त लेकर टहलते हैं. एक गार्डन के रूप में शहर के बीचोबीच स्थित यह स्कूल परिसर भिवानी शहर के लिए ऑक्सीजन चैंबर का काम करता हैं. कोरोना महामारी को देखते हुए अब गार्डन के रूप में विकसित इस स्कूल में अश्वगंधा, स्वयंपुष्पी, गिलोय, तुलसी, अदरक आदि औषधीय पौधों का भी रोपण किया गया हैं, ताकि स्वास्थय का ख्याल पर्यावरण के माध्यम से रखा जा सकें. प्रशासक दीवानचंद रहेजा ने बताया कि बरसात के मौसम में प्रांगण में सैंकड़ों पौधों का रोपण इस वर्ष भी किया जाएगा. पेड़-पौधों वातावरण मे भीष्ण गर्मी के बीच भी तापमान को कम किया हुआ हैं तथा भरपूर मात्रा में ऑक्सीजन भी यहां उपलब्ध हो रही हैं. यहां पर जो पेड़ और पौधें लगाएं गए है, उनमें से काफी पेड़-पौधों ऐसे है, जो हिमाचल प्रदेश जैसे ठंडे वातावरण में मिलते हैं. यही वातावरण शहर के लोगों और छात्र-छात्राओं को स्कूल में पहुंचने के लिए प्रेरित करता हैं.

गार्डन के रूप में विकसित स्कूल के पेड़-पौधों की जानकारी देते हुए स्कूल प्राचार्यं विमलेश आर्य ने बताया कि यहां पर विभिन्न प्रकार के फलों आम, चिक्कू, अमरूद, आंवला, अनार के पौधों के अलावा गुलमोहर, चमेली, चंपा आदि के पेड़ हजारों की संख्या में कतारबद्ध तरीके से लगाएं गए हैं. पर्यावरण प्रदूषण को रोकने के उद्देश्य से खराब प्लास्टिक की बोतलों को पगडंडियों में लगने वाली ईंटों को तर्ज पर लगाकर सजाया गया हैं, ताकि पर्यावरण संरक्षण के संदेश को भली प्रकार से समझा जा सकें.

 स्कूल परिसर में अभिभावक के रूप में पहुंचे विनोद कुमार ने बताया कि उन्हे यहां स्कूल प्रांगण में पहुंचते ही ऐसा महसूस होता है कि वे किसी बड़े पहाड़ी गार्डन में पहुंच गए है. क्योंकि यहां पहुंचते ही उन्हे हजारों की संख्या में शहर के बीचोबीच पेड़-पौधों को देखकर ऐसा दृश्य मालूम होता है कि वे किसी हिमाचल प्रदेश जैसी पहाड़ी क्षेत्र में आ गए हो.

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