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Giving Expired Milk To Children : मिड डे मील कर्मचारियों की बड़ी लापरवाही – एक्सपायरी डेट का पैकेट वाला दूध बच्चों को दिया, बिगड़ी तबियत

  • मिड डे मील सुपरवाइजर की बड़ी लापरवाही
  • एक्सपायरी डेट का पैकेट वाला दूध बच्चों को दिया
  • डीईईओ विनोद से बात की गई तो तो उन्होंने कहा कि यह मामला मेरे संज्ञान में नहीं

इशिका ठाकुर, India News Haryana (इंडिया न्यूज), Giving Expired Milk To Children : करनाल के बांसों गेट पर राजकीय प्राथमिक पाठशाला स्कूल चलाया जा रहा है, जहां पर पांचवी तक के बच्चे पढ़ाई करने के लिए आते हैं। यहां पर मिड डे मील सुपरवाइजर की बड़ी लापरवाही या फिर यह कहे की जानबूझकर स्कूल के बच्चों को पैकेट वाला दूध एक्सपायरी डेट कर दिया जाता है। जो पाउडर फॉर्म में होता है।

यह एक्सपायरी डेट वाला दूध उनको काफी ज्यादा मात्रा में दिया जाता है जिसको लेकर बच्चे स्कूल से घर चले जाते हैं और जैसे ही एक बच्चा घर जाकर पाउडर से दूध बनाकर पीता है तो उसको उल्टियां शुरू हो जाती है। जब दूध की एक्सपायरी डेट चेक की गई तो उस पर 17-12-2023 मैन्युफैक्चरिंग में पाई गई थी और इसकी डेट मैन्युफैक्चरिंग से 6 महीने तक की होती है उसके बाद यह एक्सपायर हो जाता है जो पैकेट पर भी लिखा हुआ है।

Giving Expired Milk To Children : यह मामला मेरे संज्ञान में नहीं : डीईईओ

जब इस बारे में शिक्षा विभाग में तैनात डीईईओ विनोद से बात की गई तो तो उन्होंने कहा कि यह मामला मेरे संज्ञान में नहीं है आप लोगों के द्वारा जब इस मामले के बारे में बताया गया है तभी यह मामला मेरे संज्ञान में आया है और अभी तीन-चार दिन की छुट्टी है छुट्टी के बाद रिपोर्ट लेकर जांच की जाएगी हालांकि उन्होंने इस बात की पुष्टि की है कि मिड डे मील में कोई भी कच्चा खाद्य पदार्थ बच्चों को खाने में नहीं दिया जाता, अगर दिया गया है तो वह उनकी लापरवाही है और मामला से संज्ञान में आ गया है तो नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।

एक्सपायरी डेट हुए दूध के पैकेट की तस्वीर

जिसकी भी इसमें लापरवाही है उसके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए

समाजसेवी राम मेहर ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि वह स्कूल के बाहर एक समाज सेवा का काम करते हैं और एक सेंटर चला रहे हैं, जिसमें गरीब बच्चों को फ्री में शिक्षा देने का काम करते हैं। सरकारी स्कूल के बच्चे उनके पास फ्री में ट्यूशन पढ़ने के लिए आते हैं। जो बच्चे के द्वारा उनको बताया गया कि उनको उल्टियां हुई थी तो उन्होंने पूछा कि क्या वजह थी। उन्होंने कहा कि हमने दूध पिया था उसके बाद उल्टियां शुरू हो गई और दूध स्कूल से मिला था।

इसके बाद उन्होंने वह दूध चेक किया तो उसकी एक्सपायरी डेट मिला। उसके बाद स्कूल से भी संपर्क किया गया, लेकिन उन्होंने उनको कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया उनका साफ तौर पर कहना है कि जिसकी भी इसमें लापरवाही है उसके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। यह एक बड़ी लापरवाही है जिसकी वजह से बच्चे की तबीयत ज्यादा भी खराब हो सकती थी। उन्होंने कहा इस मामले पर वह शिक्षा विभाग को लिखित में शिकायत देंगे।

स्कूल टीचर ने बच्चों की तबियत पर बात करने की बजाय उल्टा धमकाने लगी

कोचिंग सेंटर में काम करने वाली एक अध्यापिका सुरेश कुमारी ने कहा कि बच्चों से जब हमने दूध के वह पैकेट मंगवाए थे उसमें एक्सपायरी डेट हुए दूध मिला है। जिसके बाद हमने स्कूल की मैडम को फोन किया और थोड़ी देर बाद स्कूल की मैडम हमारे पास आती है और हमको वह पैकेट देने के लिए धमकाती है। हालांकि जब उनसे इस मामले में कार्रवाई करने की बात की जाती है तो उन्होंने इस पर कोई भी बात नहीं की बल्कि उल्टा उनको ही धमकाते हुए दिखाई दी है।

परिवार वालों को धमकाया

स्कूल के बच्चों का कहना है कि जब उनको मिड डे मील में काम करने वाली हेल्पर के द्वारा वह पैकेट दिए गए हैं और उनको यह भी बोला गया था कि इस बारे में टीचर को मत बताना और वह बच्चे सभी अपने घर लेकर इस पैकेट को चले जाते हैं, जिसके बाद एक बच्चे की तबीयत बिगड़ जाती है और उसको उल्टियां शुरू हो जाती है।

उन्होंने कहा कि उन्होंने चेक नहीं किया था कि उसकी एक्सपायरी डेट क्या है और जो उनको ट्यूशन पढ़ाते हैं, उसके के द्वारा उसको चेक किया गया था जिसमें वह एक्सपायरी मिले हैं। उन्होंने कहा कि उनकी मैडम वह पैकेट लेने के लिए उनके घर भी आई थी जिसमें वह उनके परिवार वालों को धमकाती है और पुलिस को उनके घर आने की धमकी देते हुए कहती है कि अगर पैकेट नहीं दिए तो पुलिस तुम्हारे घर पर आएगी।

एक्सपायरी डेट हुए दूध के पैकेट की तस्वीर

जब तक कानूनी कार्यवाही नहीं होगी तब तक ये घटनाएं नहीं रुकेंगी

तो कहीं ना कहीं मिड डे मील विभाग की यह बड़े लापरवाही आज करनाल में देखने को मिली है जहां बच्चों को एक्सपायरी डेट के दूध दिए जाते हैं। गनीमत यह रही कि सिर्फ इसमें एक बच्चे ने इसको पिया था जिसको उल्टी हुई है अगर सभी बच्चे इसको पी लेते तो उनकी तबीयत और भी ज्यादा खराब हो सकती थी, ऐसे में इनके ऊपर निश्चित तौर पर कार्रवाई बनती है।

मिड डे मील की ये पहले घटना नहीं है। इससे पहले भी प्रदेश की कई जिलों में इस तरह की लापरवाही सामने आई है। पिछले महीने ही एक सरकारी स्कूल में मिड-डे-मील का खाना खाने के बाद कई बच्चों की तबीयत बिगड़ गई थी। जिसमें बच्चों की जान पर बन आई थी। सरकार,स्वास्थ्य विभाग, मिड डे मील संचालक न जाने कब इस तरह की घटनाओं को रोकने का काम करेंगे। जब तक इस तरह की लापरवाही करने वालों पर कानूनी कार्यवाही नहीं होगी तब तक ये घटनाएं नहीं रुकेंगी।

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Anurekha Lambra

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