डॉ. रविंद्र मलिक, India News (इंडिया न्यूज), BJP 75 Years Policy, चंडीगढ़ : हरियाणा की राजनीति में इन दिनाें कई मसलों पर जमकर सुगबुगाहट जारी है। भाजपा और जजपा के बीच गठबंधन का मुद्दा इन दिनों आई कैंडी बना हुआ है और हर किसी की जुबान पर इसकी चर्चा है। वहीं अगले साल चुनाव होने जा हैं, जिसको लेकर सभी पार्टियों ने टिकट के लिए जुगत तेज कर दी है। हर पार्टी में एक सीट पर कई-कई दावेदार हैं। सत्ताधारी भाजपा में टिकट के लिए एक अघोषित नियम है, जिसने पार्टी के कई नेताओं के लिए दिक्कत खड़ी कर दी हैं।
एकाध अपवाद को छोड़ दें तो भाजपा ने एक तरह साफ कर रखा है कि 75 साल से ज्यादा आयु के नेताओं को टिकट नहीं दी जाएगी और ऐसे की उम्मीद करना भी बेमानी वाली बात है। इसी कड़ी में भाजपा की सहयोगी जजपा के डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला के बीरेंद्र सिंह और उनकी पत्नी के भाजपा के आयु पैमाने में फिट नहीं बैठने के कटाक्ष ने इस चर्चा को एक बार फिर से हवा भी दे दी। भाजपा के इस पैमाने के चलते कई पार्टी नेताओं के माथे पर शिकन उभर आया है।
भाजपा में कई नेता ऐसे हैं जो या तो जीवन के 75 बसंत देख चुके हैं या फिर आसपास हैं। ऐसे में अब इन नेताओं की सांसें भी ऊपर-नीचे हो रही हैं कि किन विकल्पों के साथ इस प्रदेश की राजनीति में सर्वाइव कर सकते हैं। ज्यादातर में अब भी राजनीतिक महत्वाकांक्षा बची हुई है और वो घर बैठने के मूड में नहीं दिख रहे।
साथ ही दूसरी पार्टियों में भी ऐसे नेता हैं जो फिलहाल वो वहां संतुष्ट नहीं हैं और भाजपा में आने पर गहन मंथन कर रहे हैं, लेकिन 75 आयु वाले भाजपा के पैमाने में खरे नहीं उतर पा रहे हैं। दूसरे दलों से भाजपा में आने की चाह रख रहे 75 साल से अधिक वाले नेता भी ठिठक गए हैं। गौरतलब है कि भाजपा में इस समय कई ऐसे नेता हैं, जो लगातार फील्ड में सक्रिय हैं लेकिन भाजपा के 75 साल के नियम के चलते वह अगला चुनाव नहीं लड़ पाने से मरहूम रह सकते हैं।
भाजपा को समर्थन देने वाले निर्दलीय रणजीत सिंह जीवन के 78 बसंत देख चुके हैं, लेकिन उनकी राजनीतिक महत्वकांक्षाएं न तो खत्म हुई हैं और न ही वो राजनीति को अलविदा कहने के मूड में हैं। भाजपा ने उनको निर्दलीय होने के बावजूद मंत्री बनाया। उनकी सरकार में खासी सुनवाई भी है।
वो बार-बार कह रहे हैं कि चुनाव तो वो हर हाल में लड़ेंगे। अगर भाजपा टिकट देती है तो हिसार लोकसभा सीट से चुनाव लड़ेंगे। लेकिन यहां पर भाजपा का आयु पैमाना आड़े आ रहा है। उनका कहना है कि पिछली बार उन्होंने कुरूक्षेत्र से टिकट मांगी थी, लेकिन पार्टी ने हिसार से देने की बात कही। अब यहां देखना रोचक होगा कि अगर वो निर्दलीय लड़ते हैं तो भाजपा का क्या रुख रहेगा या फिर कोई अन्य दल उनको टिकट दे सकती है। ये सब फिलहाल तक संभावनाएं व क्यास हैं लेकिन राजनीति में कब क्या हो जाए कुछ कहीं कहा जा सकता।
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