India News Haryana (इंडिया न्यूज), Stir In Haryana Politics : हरियाणा में पिछले 10 साल से भगवा पार्टी की सत्ता है और पार्टी लगातार तीसरी बार सत्ता में आने के लिए जमकर प्रयास कर रही है। पहले कार्यकाल की तुलना में दूसरे कार्यकाल में बीजेपी का वोट प्रतिशत न केवल कम हुआ, बल्कि विधायकों की संख्या भी घटकर 40 रह गई। वहीं दूसरी तरफ मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के वोट बैंक और विधायकों में इजाफा हुआ और गत लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने न केवल भाजपा को हैरान और परेशान किया बल्कि 5 सीटों पर जीत प्राप्त की।
सीट कम आने के चलते हरियाणा भाजपा को पार्टी हाईकमान के कड़े रवैया का सामना करना पड़ा बल्कि पार्टी हाईकमान ने आगे की विधानसभा चुनावी तैयारी को लेकर निर्देश जारी कर दिए। इन्हीं तैयारी के तहत यूनियन होम मिनिस्टर अमित शाह हरियाणा का दौरा हो चुका है जिसके जरिए भाजपा दावा कर रही है कि उनके इस दौर से प्रदेश में वोट बैंक बढ़ेगा।
अक्तूबर में होने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर भाजपा निरंतर तैयारियों में जुटी है और भाजपा तीसरी बार सत्ता में आने के लिए एक खास रोडमैप पर काम कर रही प्लानिंग के अंतर्गत भाजपा की कोशिश है कि प्रदेश के सभी 19 हजार से ज्यादा पोलिंग बूथ पर खुद को मजबूत किया, खासकर ग्रामीण इलाकों में जहां पार्टी का जनाधार लोकसभा चुनाव में खिसका है। प्रदेश के 7 हजार से ज्यादा गांव में 2 करोड़ से ज्यादा मतदाता हैं जिनमें ग्रामीण ज्यादा है। पार्टी का दावा है कि इस के पास 3 लाख पन्ना प्रमुखों की मजबूत टीम है और इस टीम को अभी से सक्रिय कर दिया गया है।
उल्लेखनीय है कि रोहतक में आयोजित चुनावी बैठक में विधानसभा चुनाव को लेकर गहन मंथन करने के बाद अलग-अलग जगह पर बैठकर भी की जा रही हैं। मुख्यमंत्री और केंद्रीय पावर मिनिस्टर मनोहर लाल भी लगातार हरियाणा पर अपना ध्यान केंद्रित कर रहे हैं और बैठकों में हिस्सा ले रहे हैं। भाजपा के एक सीनियर नेता की मानें तो भाजपा की ओर से उम्मीदवारों की पहली सूची जुलाई के अंतिम सप्ताह या अगस्त के पहले सप्ताह में जारी की जा सकती है।
विधानसभा चुनाव की तैयारी के तहत हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी द्वारा आगामी विधानसभा चुनाव के लिए आवेदन पत्र आमंत्रित किए गए हैं। प्राप्त जानकारी अनुसार इच्छुक कांग्रेसजन निर्धारित आवेदन पत्र प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में 5 जुलाई से उपलब्ध रहेंगें। यह भी बताया कि आवेदन करने की अंतिम तिथि 31 जुलाई 2024 निर्धारित की गई है। यह भी बता दे कि गत लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस ने लोकसभा सीट वाइस कैंडिडेट्स के आवेदन मांगे थे और 10 लोकसभा सीटों पर 300 से ज्यादा उम्मीदवारों ने आवेदन किया था और टिकट को लेकर खास मारामारी वाली स्थिति थी। राजनीतिक जानकारों का मानना है टिकटों के लिए मारामारी वाली स्थिति विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस में रहने वाली है
गौरतलब है कि भारतीय जनता पार्टी 2014 में हरियाणा में सत्ता में है। 2014 के लोकसभा चुनाव में पार्टी को 7 सीटों पर जीत मिली थी और उसके बाद 2014 के विधानसभा चुनाव में 47 सीटों पर जीत हासिल करके भाजपा ने सरकार बनाई। 2019 के लोकसभा चुनाव में 58.02 प्रतिशत वोट के साथ पार्टी ने सभी 10 सीटों पर जीत दर्ज की और फिर विधानसभा चुनाव में 43 सीटें जीतकर जजपा एवं निर्दलीय विधायकों के साथ मिलकर सरकार बनाई। इस बार के लोकसभा चुनाव में भाजपा को 5 सीटों पर ही जीत मिली है जबकि पिछले भर की तुलना में उसके वोट बैंक में भी 11 प्रतिशत की गिरावट आई है। ऐसे में तीसरी बार हरियाणा में सरकार बनाने की रणनीति के साथ भाजपा शीर्ष नेतृत्व अभी से प्रयासों में जुट गया है।
गत लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने 5 सीट जीती और भाजपा को पांच सीटों का नुकसान हुआ जिसके चलते कांग्रेस उत्साहित नजर आ रही है तो वहीं भाजपा को झटका लगा। हरियाणा में 2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को 40 सीटों पर जीत मिली थी तो कांग्रेस के 31 विधायक चुनकर आए थे। जजपा को 10 सीटों पर जीत मिली थी तो इनेलो व हलोपा के एक-एक विधायक निर्वाचित हुए थे। बाकी आजाद उम्मीदवारों को जीत मिली थी।
अबकी बार के संसदीय चुनाव में पिछले चुनाव की तुलना में कांग्रेस को 15 फीसदी अधिक वोट मिले है जबकि जजपा क वोट बैंक 4 प्रतिशत कम हुआ है। गत लोकसभा चुनाव क्षेत्रीय पार्टियों इनेलो और जजपा के लिए बेहद खराब अनुभव से कम साबित नहीं हुए क्योंकि वोटर्स ने दोनों पार्टियों को एक तरह से नकार दिया। ऐसे में आने वाले चुनाव में मुख्य टक्कर भाजपा और कांग्रेस के बीच मानी जा रही है
लोकसभा चुनाव में पांच सीट घटने के बाद भाजपा शीर्ष नेतृत्व विधानसभा चुनाव को लेकर नए सिरे से रणनीति बनाने में जुटा है। नायब सैनी को प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाए जाने के बाद यह भी चर्चा निरंतर है कि उनकी जगह पर प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी किसी और को दे दी जाएगी। क्योंकि उनके पास बतौर मुख्यमंत्री बड़ी जिम्मेदारी है तो कहीं ना कहीं प्रदेश अध्यक्ष का पद भी उनके पास होने के चलते संगठन का काम प्रभावित हो रहा है।
इसी रणनीति के तहत बीजेपी कभी भी नए प्रदेश अध्यक्ष के नाम की घोषणा करती है।।विधानसभा चुनाव से करीब साढ़े 3 माह पहले ही भाजपा लगातार बैठकें कर रही है। चुनावों को लेकर केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के प्रभारी भी नियुक्त कर दिया है , ऐसे में यह माना जा रहा है कि अब चुनावों से पहले जल्द ही भाजपा की ओर से प्रदेशाध्यक्ष की नियुक्ति भी कर दी जाएगी । पार्टी में प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी के लिए फिलहाल कई जाट एससी और अन्य वर्ग के पार्टी नेता कतार में है।
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