India News (इंडिया न्यूज), BJP Leader Birender Singh, चंडीगढ़ : इनेलो और जजपा की रैलियों के बाद भाजपा के कद्दावर नेता चौधरी बीरेंद्र सिंह ने 2 अक्टूबर को मेरी आवाज सुनो रैली का आयोजन किया। इस आयोजन को उन्होंने बार-बार गैर राजनीतिक करार दिया था, लेकिन इसमें सियासत की बात न हो, ऐसा कहां संभव था। रैली के जरिए उन्होंने न केवल अपनी पार्टी भाजपा को घेरा बल्कि खुला अल्टीमेटम भी दे दिया कि उनके पास सारे विकल्प खुले हैं और साथ ही कुछ मामलों पर संतुलन भी बनाया। किसानों और खिलाड़ियों के मुद्दे पर जहां भाजपा सरकार को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ी वहीं कांग्रेस हाईकमान सोनिया गांधी और दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की तारीफ करके सीधे-सीधे संकेत दिया कि वह कांग्रेस भी ज्वाइन कर सकते हैं।
इसके अलावा भाजपा को अपने तेवर दिखाते हुए कहा कि अगर भाजपा ने जजपा से गठबंधन रखा तो वह किसी भी हालत में भाजपा में नहीं रहेंगे। सीधे तौर पर उन्होंने साफ कर दिया कि भाजपा को या तो जजपा को या उनको साथ लेकर चलना होगा। भाजपा को दोनों में से किसी एक को चुनना होगा। एक तरह से गेंद उन्होंने भाजपा के पाले में डाल दी और अब यह भाजपा को तय करना है कि आने वाले चुनाव से पहले वह क्या फैसला करे।
उन्होंने भाजपा के साथ सत्ता में सहयोगी जजपा को जमकर निशाने पर लिया और साथ ही डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला को घेरने में कोई कसर बाकी नहीं रखी। उन्होंने साफ-साफ कहा कि भाजपा-जजपा और बीरेंद्र सिंह में से किसी एक को चुन ले। अगर भाजपा के साथ जजपा के साथ गठबंधन अस्तित्व में रहता तो बीरेंद्र सिंह यहां नहीं रहेंगे। साथ ही उन्होंने जजपा को घेरते हुए यह भी कहा कि दुष्यंत चौटाला ने जमकर भ्रष्टाचार फैलाया है।
उन्होंने कहा कि जजपा ने जितना बड़ा धोखा किया है, शायद ही किसी ने किया हो। उन्होंने कहा कि उनके पास लोग आते हैं और बताते हैं कि जजपा के पास सीधे काम लेकर जाओ तो 8 फीसदी और किसी को बीच में लेकर जाओ को 10 फीसदी तक काम की रिश्वत देनी पड़ती है। भाजपा को अगर लगता है कि जजपा वोट दिलवाएगी तो ये गलतफहमी है।
बीरेंद्र सिंह के जजपा के साथ भाजपा का गठबंधन रहने की स्थिति में पार्टी छोड़ना का ऐलान कर दिया। अब गेंद पूरी तरह से भाजपा के पाले में है। अपने भाषण में बीरेंद्र सिंह ने बगावती तेवर दिखाए और सुनवाई न होने पर बड़ा कदम उठाने का आभास भी दे दिया। चूंकि अब राजस्थान में विधानसभा चुनाव हैं और फिर लोकसभा चुनाव तो ऐसे में भाजपा को कोई फैसला करने से पहले काफी मंथन करना होगा।
चूंकि अब बीरेंद्र सिंह ने सार्वजनिक तौर पर बोला है तो पीछे हटने का सवाल ही नहीं है। ऐसे में भाजपा को सभी नफे नुकसान का आकलन कर आने वाले चुनाव से पहले कोई फैसला लेना होगा। इस बात से भी हर कोई इत्तेफाक रखता है कि चुनाव से पहले जो फैसला लिया जाएगा, उससे प्रदेश की राजनीति पर व्यापक प्रभाव पड़ेगा।
रैली में चौधरी बीरेंद्र सिंह ने कई दफा अपनी पार्टी को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ी। उन्होंने तीन कृषि कानून और किसानों के मामले पर भाजपा पर तीखा हमला करते हुए कहा कि वह पूरी पार्टी में अकेले ऐसे व्यक्ति थे जो किसानों के मुद्दे पर मुखर रहे। उन्होंने लगातार किसानों का साथ दिया और कमेरे वर्ग की वकालत में कोई कसर नहीं छोड़ी। सरकार द्वारा लिए गए कृषि कानून किसानों के खिलाफ थे। साथ ही यौन शोषण के आरोपी को लेकर भाजपा सांसद के खिलाफ धरने पर बैठी प्रदेश के खिलाड़ियों के समर्थन में भी वो बोले। उन्होंने कहा कि प्रदेश की खिलाड़ियों की लड़ाई में भी वह पीछे नहीं हटे और उन्होंने खिलाड़ियों की वकालत करने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी।
बीरेंद्र सिंह ने अपने भाषण में कांग्रेस की भी जमकर तारीफ की। उन्होंने अपने कहा कि कांग्रेस में जो सम्मान मिला, वो शायद ही किसी अन्य नेता को मिला हो। आगे कहा कि मैंने केंद्र में मंत्री बनाने पर पीएम नरेंद्र मोदी का धन्यवाद किया था तो साथ में ये भी कहा कि मैं कभी राजीव गांधी और सोनिया गांधी के खिलाफ कुछ नहीं बोलूंगा। रैली में भी उन्होंने एक तरह से अप्रत्यक्ष रूप से साफ कर दिया कि विकल्प यहां भी मौजूद है। उनके भाषण से पहले पंजाब से रैली में आए पूर्व सांसद जगमीत बराड़ ने कांग्रेस के भूपेंद्र सिंह हुड्डा का नाम लेते हुए कहा कि अगर हुड्डा और बीरेंद्र सिंह मिल जाएं तो दोनों हरियाणा फतह कर सकते हैं। दोनों की 90 में से 80 विधानसभा सीट आएंगी।
बीरेंद्र सिंह ने कहा कि ऐसा नहीं है कि उनको भाजपा में सम्मान नहीं मिला। उनको पार्टी ने केंद्रीय मंत्री बनाया। इसके लिए वो भाजपा व पीएम नरेंद्र मोदी के शुक्रगुजार हैं। लेकिन ये भी नहीं भूलना चाहिए कि वो खुद, राव इंद्रजीत, रमेश कौशिक, कृष्ण पंवार समेत कई नेता भाजपा में आए तो पार्टी सत्ता में आई। इससे पहले कहां इतना दम था। हमने सरकार लाने में पूरा जोर लगाया तो फिर मंत्री भी बनाया गया। सबने मेहनत की।
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