डॉ. रविंद्र मलिक, चंडीगढ़।
पिछले कुछ समय से कई राज्यों में अतिक्रमण के खिलाफ अभियान वहां की सरकार या अथॉरिटी द्वारा चलाया जा रहा है। देश की राजधानी दिल्ली और यूपी जैसे राज्यों इन अभियानों की लेकर विशेष चर्चा में हैं। हरियाणा में चाहे कोई सरकार रही हो, लेकिन सरकारी या ग्राम पंचायतों की भूमि पर अतिक्रमण का मामला निरंतर चर्चा में रहा है। प्रदेश में विशेष रूप से ग्रामीण एरिया में जो ग्राम पंचायत की भूमि है, उस पर कब्जे के मामले भी सामने आते रहे हैं। इसी कड़ी में हरियाणा सरकार के पंचायत मंत्री देवेंद्र सिंह बबली ने साफ कर दिया है कि अगर कहीं ऐसी जानकारी सामने आई तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। आगे मामले में सामने आया है कि प्रदेश के लोगों के जिन जगहों पर अवैध कब्जा कम या ज्यादा है, वो भी निरंतर संबंधित विभाग की रडार पर हैं। संबंधित विभाग के अधिकारियों द्वारा दी गई जानकारी में सामने आया है कि तालाबों की जमीन पर आंशिक कब्जे या अतिक्रमण के करीब 350 मामले संज्ञान में हैं।
हालांकि सही आंकड़ा तो अधिकारी नहीं दे पाए, लेकिन जो भी बताया वह इतना बताने के लिए काफी है कि तालाबों की जमीन पर भी निरंतर कब्जा या अतिक्रमण ग्रामवासियों द्वारा किया गया है। ऐसे में जब पंचायत मंत्री ने ऐसा वक्तव्य दिया तो कहीं न कहीं साफ है कि हरियाणा सरकार अब अतिक्रमणकारियों के खिलाफ कार्रवाई से बिल्कुल पीछे नहीं हटने वाली है।
विभाग के चीफ इंजीनियर शंकर जुनेजा ने बताया कि किसी भी तालाब की जमीन के नक्शे या निशानदेही दो तरीके से होती है। तालाब प्राधिकरण द्वारा मौके पर जाकर तालाब की जगह को चेक किया जाता है और विभाग के अधिकारी तालाब की जगह का नक्शा या निशानदेही करते हैं। इसके बाद रेवेन्यू विभाग के अधिकारी या कर्मचारी इसको लेकर दस्तावेज तैयार करते हैं। अगर दोनों विभागों के रिकॉर्ड में कोई अंतर पाया जाता है तो उन जगहों को चिन्हित कर लिया जाता है। हरियाणा में 998 ऐसे तालाब मिले हैं जहां दोनों विभागों के रिकॉर्ड में इन तालाबों की जगह में अंतर मिला है। इनमें से 350 मामले आंशिक अतिक्रमण के हैं।
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