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Haryana 2024 : बाय-बाय-2024, चुनावी राजनीति, खेल में सफलता और किसान आंदोलन, ऐसे सुर्खियों में रहा हमारा हरियाणा

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India News Haryana (इंडिया न्यूज), Haryana 2024 : साल 2024 हरियाणा के लिए एक ऐतिहासिक साल साबित हुआ है, जहां एक ओर राज्य ने चुनावी हलचल और बड़े राजनीतिक बदलाव देखे, वहीं दूसरी ओर पेरिस ओलंपिक में हरियाणा के खिलाड़ियों के शानदार प्रदर्शन ने देश को गौरवान्वित किया। इसके साथ ही किसानों के विरोध प्रदर्शन ने पूरे साल राज्य की सामाजिक और राजनीतिक चर्चाओं को प्रभावित रखा।

Haryana 2024 : चुनावी राजनीति का रंग

आपको बता दें कि 2024 के चुनावी मौसम में हरियाणा ने कई अहम राजनीतिक घटनाक्रम देखे। बीजेपी ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल को हटाकर ओबीसी नेता नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बनाया। इस कदम से पार्टी विधानसभा चुनाव में 90 में से 48 सीटें जीतने में सफलता मिली। हालांकि, लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने बीजेपी को झटका देते हुए 10 में से 5 सीटें जीत हासिल की थीं।

वहीं चुनावों से पहले ही जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) और बीजेपी का गठबंधन टूटने के बाद जेजेपी को विधानसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था। उधर, आम आदमी पार्टी (आप) का खाता भी खुल नहीं सका था। इसके अतिरिक्त कांग्रेस की अंदरूनी कलह ने पार्टी को नुकसान पहुंचाया। वरिष्ठ नेता किरण चौधरी ने पार्टी छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया था। उनकी बेटी श्रुति चौधरी ने विधानसभा चुनाव जीतकर सैनी सरकार में मंत्री पद संभाला। वहीं विधानसभा चुनाव से कुछ माह पहले पूर्व मुख्यमंत्री और राजनीति के दिग्गज ओमप्रकाश चौटाला का 89 वर्ष की आयु में निधन हो गया जिससे हरियाणा के एक राजनीतिक इतिहास का अंत हो गया है।

खेल में हरियाणा का दबदबा

वहीं खेलों की बात करे तो पेरिस ओलंपिक 2024 में भारतीय दल के 117 एथलीटों में से 24 हरियाणा के थे। भारत के कुल छह पदकों में से चार हरियाणा के खिलाड़ियों ने जीते थे।

  • नीरज चोपड़ा ने भाला फेंक में रजत पदक जीता।
  • मनु भाकर ने 10 मीटर एयर पिस्टल और 25 मीटर पिस्टल मिश्रित युगल में दो कांस्य पदक हासिल किए।
  • अमन सेहरावत ने पुरुषों की फ्रीस्टाइल कुश्ती (57 किग्रा) में कांस्य पदक जीता।

कुश्ती खिलाड़ी विनेश फोगाट ने ओलंपिक में अयोग्यता के बाद कांग्रेस का दामन थामा और जुलाना से चुनाव जीतकर विधानसभा में अपनी जगह बनाई। उनके साथी बजरंग पूनिया ने भी कांग्रेस में शामिल होकर उनका समर्थन किया।

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किसानाें का आंदोलन भी रहा जारी

किसानों के एमएसपी गारंटी, कर्ज माफी और पेंशन जैसी मांगों को लेकर सालभर विरोध प्रदर्शन जारी रहे। किसान संगठनों ने एसकेएम और केएमएम के बैनर तले शंभू और खनौरी सीमा पर डेरा डाला। सरकार ने किसानों के दिल्ली मार्च के प्रयासों को विफल कर दिया। यह मुद्दा मनोहर लाल और सैनी सरकार दोनों के लिए चुनौती बना रहा।

नफे सिंह राठी की हत्या बनी सुर्खियां

फरवरी में झज्जर के बहादुरगढ़ में इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) के प्रदेश अध्यक्ष नफे सिंह राठी की हत्या ने राज्य की राजनीति को हिला दिया। यह हत्या राजनीतिक चर्चाओं और विवादों का केंद्र बनी रही। कुछ भी हो 2024 हरियाणा के लिए राजनीति, खेल और सामाजिक आंदोलनों का अभूतपूर्व संगम लेकर आया। जहां बीजेपी ने लगातार तीसरी बार सत्ता पर कब्जा जमाया, वहीं किसानों और खिलाड़ियों ने अपने संघर्ष और सफलता के झंडे गाड़े। यह साल हरियाणा के इतिहास में लंबे समय तक याद रखा जाएगा।

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