डॉ. रविंद्र मलिक, India News, इंडिया न्यूज़, CAG Report, चंडीगढ़ : हरियाणा में ग्रामीण और शहरी जल आपूर्ति को विभिन्न केंद्र प्रायोजित और राज्य योजनाओं के माध्यम से वित्त पोषित किया जाता है। राज्य में ग्रामीण जल आपूर्ति जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के अधिकार क्षेत्र में है, जो 1.65 करोड़ ग्रामीण आबादी (2011 की जनगणना के अनुसार) की जलापूर्ति आवश्यकता को पूरा करता है। इसी कड़ी में कैग की रिपोर्ट में सामने आया है कि विभाग कई मोर्चों पर फेल रहा है और कई तरह की अनियमितताएं पाई गई हैं।
नियमानुसार ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में पानी की निर्धारित आपूर्ति में तो कमी पाई ही गई है, साथ में पानी की गुणवत्ता भी सवालों के घेरे में रही है। बड़े पैमाने पर सैंपल फेल हो रहे हैं। इसके अलावा पानी के टैरिफ भी नहीं वसूले गए, जिससे सरकारी खजाने को भी काफी नुकसान पहुंचा है।
हरियाणा में सामान्य श्रेणी के लाभार्थियों के लिए रू. 40 प्रति माह और अनुसूचित जाति (एससी) श्रेणी के लाभार्थियों के लिए रू.20 प्रति माह के रूप में उन गांवों, जो किसी भी नगरपालिका क्षेत्र के अंतर्गत नहीं आते हैं, में जल प्रभारों के टैरिफ की दरों को अधिसूचित किया।
आंकड़ों में सामने आया है कि कि अप्रैल 2016 से मार्च 2021 के दौरान उपभोक्ताओं से रू.263.64 करोड़ (रू.128.17 करोड़ गांव में और शहरी में 135.47 करोड़) की राशि का जल उपयोगकर्ता प्रभार वसूल किया जाना था, जबकि जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के चयनित मंडलों के संबंध में जल प्रभारों के बकाया के रूप में रू.187.34 करोड़ (ग्रामीण: रू.119.29 करोड़; शहरी: रू.68.05 करोड़) की शेष राशि छोड़ते हुए, मंडल कार्यालयों द्वारा इस अवधि के दौरान केवल रू.76.30 करोड़ ही वसूले गए। बाकी राशि लंबित रही।
ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल आपूर्ति के मानदंड जल जीवन मिशन (केंद्र प्रायोजित योजना) के दिशानिर्देशों के अनुसार गैर-डेजर्ट क्षेत्रों के लिए 55 लीटर प्रति व्यक्ति प्रतिदिन और डेजर्ट क्षेत्रों/नाबार्ड द्वारा वित्तपोषित परियोजनाओं के लिए 70 लीटर प्रति व्यक्ति प्रतिदिन के अनुसार तैयार किए गए हैं।
जुलाई 2022 तक ग्रामीण क्षेत्रों में पानी की कमी वाली 1,737 बस्तियां (55 लीटर प्रति व्यक्ति प्रतिदिन मानदंड से नीचे) थी। इसके अलावा मार्च 2021 तक, 89 शहरों में से 9 शहरों में पानी की कमी (135 लीटर प्रति व्यक्ति प्रतिदिन मानदंड से नीचे) थी।
14वें वित्त आयोग (2015-2020) के अनुसार स्थायी पेयजल आपूर्ति प्रणालियों को ‘औपचारिक प्रबंधन मॉडल के अंतर्गत संचालित होने वाली प्रणालियों, जिनके पास 100 प्रतिशत घरेलू मीटर स्थापित हैं तथा जिनकी पानी की दरों और सब्सिडी से निवल राजस्व कम से कम प्रणाली के संचालन एवं रखरखाव (ओएंडएम) की लागत को पूरा करने के लिए पर्याप्त है’ के रूप में परिभाषित किया गया है।
इसने दोनों ग्रामीण और शहरी घरों, वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों और संस्थानों में व्यक्तिगत कनेक्शनों की 100 प्रतिशत मीटरिंग की भी सिफारिश की है और व्यक्तिगत कनेक्शन केवल तभी प्रदान किए जाने चाहिए जब चालू पानी के मीटर स्थापित हों। जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग में जानकारी अनुसार कई कमी पाई गई। इसमें सामने आया कि विभाग ने मीटर कनेक्शन लगाने के लिए कोई कदम नहीं उठाया बल्कि विभाग का ध्यान मीटर कनेक्शन के स्थान पर घरेलू कनेक्शन उपलब्ध कराने पर है।
इसके अलावा लेखापरीक्षा ने ग्रामीण और शहरी जल आपूर्ति योजनाओं से उत्पन्न प्राप्तियों की तुलना में संचालन एवं रखरखाव व्यय के डेटा (विभाग की वेबसाइट से ) का विश्लेषण किया और राजस्व संग्रह, ग्रामीण क्षेत्रों के लिए कुल रखरखाव व्यय का केवल एक प्रतिशत और शहरी क्षेत्र के मामले में, 2016-17 से 2020-21 की अवधि के लिए रखरखाव व्यय का कुल 15 प्रतिशत था।
2017-18 में विभाग द्वारा राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम के अंतर्गत राशि मांग (रू. 26.06 करोड़ का केंद्रीय अंश और राज्य के अंश के रूप में 19.74 करोड़) वित्त विभाग, हरियाणा के पास भेजी गई थी (अप्रैल 2017)।
केंद्रीय अंश के रूप में 26.06 करोड़ का लेटर ऑफ क्रेडिट (एलओसी) वित्त विभाग द्वारा जारी (19 मई 2017) किया गया था, लेकिन राज्य का संबंधित अंश जारी नहीं किया गया था। 19.74 करोड़ का उक्त राज्य का अंश वित्त विभाग, हरियाणा द्वारा अक्टूबर 2017 में जारी किया गया था। निर्देशों के अनुसार केंद्रीय अंश प्राप्त होने के 15 दिनों के भीतर राज्य का अंश कार्यान्वयन एजेंसी को जारी किया जाना था।
जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग और हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण विभाग ने नागरिकों को जल आपूर्ति से संबंधित शिकायत दर्ज कराने के लिए टोल फ्री नंबर जारी किया था। इसको लेकर पाया गया कि जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग द्वारा 24 तथा 72 घंटों के मध्य 20,451 शिकायतों (13 प्रतिशत) पर कार्रवाई की गई थी, 1,12,257 शिकायतों (71 प्रतिशत) पर 72 घंटों के बाद कार्रवाई की गई थी।
विभाग इन शिकायतों के संबंध में प्रासंगिक/समर्थक अभिलेख प्रस्तुत करने में विफल रहा। अभिलेखों का रखरखाव न करने के कारण लेखापरीक्षा 2,403 अपेक्षित शिकायतों के कारणों/स्थिति का पता नहीं लगा सकी। हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण में, यह अवलोकित किया गया था कि 1,898 शिकायतों (58 प्रतिशत) का समाधान 24 घंटे से 72 घंटे के अंदर किया गया था और 141 शिकायतों (चार प्रतिशत) का समाधान 72 घंटे के बाद किया गया था।
यह देखा गया था कि 141 शिकायतों पर तीन दिनों के बाद ध्यान देने के लिए कोई कारण दर्ज नहीं किए गए थे। पूर्ण विवरण दर्शाने वाला डेटा ऑनलाइन पोर्टल पर उपलब्ध नहीं है। नगर निगमों में यह पाया गया कि सभी शिकायतों का समाधान 24 घंटे से 72 घंटे की समयावधि के अंदर किया गया दर्शाया गया था, परंतु शिकायतों को समाधान करने के लिए मंडल कार्यालय द्वारा लिए गए वास्तविक समय का पता लगाने के लिए कोई अभिलेख नहीं रखा गया था
कैग की रिपोर्ट में ये भी सामने आया है कि घरों में सप्लाई होने वाला पानी न तो पीने लायक है और न ही ये निर्धारित मात्रा में दिया जा रहा है। इसके अलावा हरियाणा के 25 स्थानों से पानी के नमूने लिए गए।
इनमें से एक सेट को करनाल की सार्वजनिक स्वास्थ्य इंजीनियरिंग विभाग (पीएचईडी) की लैब में और दूसरे सेट को विश्लेषण के लिए श्री राम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल रिसर्च नई दिल्ली भेजा गया। रिपोर्ट के मुताबिक पानी की शुद्धता तय मानकों पर खरी नहीं उतरी वहीं, 32 में से 23 स्थानों पर जलापूर्ति प्रति व्यक्ति आपूर्ति से कम पाई गई है। शहरी क्षेत्र में 3.16 लाख कनेक्शनों में मीटर नहीं थे। 16 फीसदी लोगों ने माना कि एक दिन छोड़कर पानी की सप्लाई होती थी।
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