इशिका ठाकुर, India News Haryana (इंडिया न्यूज), Nayab Singh Saini : विधानसभा चुनाव को लेकर सभी पार्टियों के द्वारा अपने उम्मीदवारों को लेकर मंथन किया जा रहा है। अगर मौजूदा सरकार और भारतीय जनता पार्टी की बात करें तो वह भी हर एक सीट पर पिछले कई दिनों से मंथन कर रही है, जिसमें नए नेताओं को अवसर देने से लेकर मुख्यमंत्री नायब सैनी की सीट को लेकर भी चर्चा की जा रही है।
सूत्रों के हवाले से खबर आ रही है कि मुख्यमंत्री नायब सैनी करनाल विधानसभा को छोड़कर लाडवा विधानसभा से चुनाव लड़ने जा रहे हैं। इसका कारण यह माना जा रहा है करनाल विधानसभा में सैनी समाज का वोट कम है, जबकि लाडवा विधानसभा में सैनी समाज का अच्छा वोट बैंक है। अगर मुख्यमंत्री लाडवा विधानसभा से विधायक का चुनाव लड़ते हैं तो उनके सामने कौन-कौन सी समस्या खड़ी हो सकती है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार बीजेपी की कई दिनों से चल रही बैठक में मंथन किया जा रहा है कि मुख्यमंत्री नायब सैनी को सुरक्षित सीट से चुनाव लड़वाया जाए, ताकि वह जीत हासिल कर सके। करनाल विधानसभा सीट की बात करें तो वहां पर अगर भारतीय जनता पार्टी द्वारा सिटिंग एमएलए और मुख्यमंत्री नायब सैनी को भाजपा का प्रत्याशी बनाया जाता है तो उनके सामने कई समस्याएं खड़ी हो सकती हैं जबकि विधानसभा चुनाव में जातिगत वोट बैंक भी काफी मायने रखता है और करनाल विधानसभा में सैनी समाज का वोट बैंक काफी कम है।
ऐसे में लाडवा विधानसभा को सैनी समाज का वोट बैंक का गढ़ माना जाता है, जिसके चलते मुख्यमंत्री के लिए यह एक सुरक्षित सीट मानी जा रही है और वहीं से चुनाव लड़ने का अनुमान मुख्यमंत्री का लगाया जा रहा है ताकि वह अपनी जाति का वोट बैंक प्राप्त कर सके और उसके साथ-साथ दूसरी बिरादरी का वोट लेने से वह यहां पर जीत हासिल कर सके।
हरियाणा में 90 विधानसभा सीटों पर भारतीय जनता पार्टी के द्वारा कई दौर की चर्चा उम्मीदवारों को लेकर हो चुकी है। हालांकि बीते दिन ही जहां सुबह के समय हरियाणा भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मोहनलाल का बयान आया था कि मुख्यमंत्री लाडवा विधानसभा से चुनाव लड़ने जा रहे हैं, लेकिन शाम के समय करनाल में खुद मुख्यमंत्री ने बयान दिया कि वह करनाल विधानसभा से चुनाव लड़ने जा रहे हैं। कहीं न कहीं अभी उम्मीदवारों को लेकर भारतीय जनता पार्टी के द्वारा पर्दा नहीं उठाया जा रहा।
इसका यह कारण माना जा रहा है अगर मुख्यमंत्री का नाम अभी से लाडवा विधानसभा से उम्मीदवार के तौर पर सामने आता है तो वहां पर भीतरघात का खतरा हो सकता है, क्योंकि लाडवा विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी के पूर्व एमएलए और बहुत ही वरिष्ठ नेता विधायक की टिकट लेने की दौड़ में आगे माने जा रहे हैं।
ऐसे में अगर मुख्यमंत्री को लाडवा विधानसभा से भाजपा के द्वारा प्रत्याशी बनाया जाता है तो कहीं न कहीं भीतर घात का सामना मुख्यमंत्री को करना पड़ सकता है, क्योंकि वहां पर दूसरे अन्य भाजपा नेताओं का पहले ही काफी अच्छा प्रभाव रहा है। ऐसे में इस मौके पर अगर उनको टिकट काटकर मुख्यमंत्री को टिकट दिया जाता है तो यह समस्या उनके सामने खड़ी हो सकती है।
हर किसी को मालूम है कि हरियाणा में विधानसभा चुनाव में जातिगत वोट बैंक काफी अहम होता है और मुख्यमंत्री के लिए लाडवा विधानसभा से चुनाव लड़ने का मुख्य कारण भी यही माना जा रहा है कि उनके समाज का यहां पर बहुत अच्छा वोट बैंक है जिसके चलते वह यहां पर आसानी से जीत हासिल कर सकते हैं लेकिन आपको बता दें कि मुख्यमंत्री से अलग यहां पर सैनी समाज से कई नेता अलग-अलग पार्टी से संबंध रखते हैं और सैनी समाज कुछ नेता दूसरी पार्टी और आजाद तौर पर विधानसभा चुनाव लड़ने के इच्छुक भी हैं।
ऐसे में अगर यहां से मुख्यमंत्री चुनाव लड़ते हैं तो उनको अपने समाज को साथ लेकर चलना भी एक बहुत ही बड़ी चुनौती होगी, क्योंकि उनके सामने उन्हीं के समाज के कई नेता लक्ष्मण रेखा के तौर पर खड़े हुए हैं जिससे उनके समाज की वोट भी आपस में बांट सकती है हालांकि यह तो देखने वाली बात होगी कि समाज का कितना वोट बैंक उनको यहां से प्राप्त होता है और उनका समाज उन पर कितना विश्वास जताता है। यह भी मुख्यमंत्री के सामने एक बड़ी चुनौती हो सकती है।
भारतीय जनता पार्टी के कार्यकाल में किसान आंदोलन हरियाणा ही नहीं पूरे भारत में भारतीय जनता पार्टी के लिए बड़ी चुनौती रहा है जिसका परिणाम लोकसभा चुनाव में भी देखने को मिला है, जहां हरियाणा में 2019 में भारतीय जनता पार्टी ने 10 की 10 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल की थी तो वहीं इस बार पांच लोकसभा सीटों पर ही भारतीय जनता पार्टी सिमटकर रह गई है। क्योंकि हरियाणा ओर हरियाणा का लाडवा विधानसभा क्षेत्र कृषि आधारित राज्य है और यहां पर बड़ी संख्या में किसान है और काफी किसान भारतीय जनता पार्टी से नाराज चल रहे थे जिसके चलते पांच सीटों पर हार की वजह किसान आंदोलन माना जा रहा है।
हालांकि आचार संहिता लगने से पहले हरियाणा सरकार और मुख्यमंत्री के द्वारा हरियाणा के किसानों के लिए कहीं बड़ी घोषणाएं जरूर की गई है लेकिन देखने वाली बात होगी कि लाडवा विधानसभा से चुनाव लड़ने के दौरान उनको किसान वर्ग का कितना समर्थन प्राप्त होगा। तो यह भी मुख्यमंत्री के सामने एक बड़ी चुनौती हो सकती है।
मुख्यमंत्री नायब सैनी अगर लाडवा विधानसभा से चुनाव लड़ते हैं तो उनके सामने चौथी सबसे बड़ी चुनौती यह हो सकती है कि उनका विधानसभा लाडवा से संबंध न होना और बाहरी होने के नाते उनका कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि यहां पर उनके समाज का वोट बैंक काफी है लेकिन केवल समाज के वोट बैंक से भी है जीत हासिल नहीं कर सकते। ऐसे में किसी भी प्रत्याशी को 36 बिरादरी की वोट मिलनी जरूरी होती है।
मुख्यमंत्री नारायणगढ़ से रहने वाले हैं और ऐसे में उनका इसका भी नुकसान हो सकता है क्योंकि हर कोई यह चाहता है कि उनका विधायक उनके बीच में से रहने वाला हो, ताकि वह हर समय उनके सुख-दुख में काम आए। ऐसे में मुख्यमंत्री के लिए यह भी एक बड़ी चुनौती लाडवा विधानसभा से चुनाव लड़ने के दौरान हो सकती है।
हालांकि वह कुरुक्षेत्र लोकसभा से सांसद जरूर चुने गए थे, लेकिन लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव में काफी अंतर होता है। ऐसे में अब देखने वाली बात होगी कि आने वाले विधानसभा चुनाव में लाडवा विधानसभा सीट से अगर मुख्यमंत्री चुनाव लड़ते हैं तो उसके परिणाम क्या रहते हैं और आने वाले विधानसभा चुनाव में किसकी सरकार बनती है।
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