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Deepender Singh Hooda : परिसीमन के पहले जातीय जनगणना जरूरी : दीपेन्द्र हुड्डा

• LAST UPDATED : August 2, 2024
  • बीसीए वर्ग की जनसंख्या के अनुपात में सीटें आरक्षित जाएं

India News Haryana (इंडिया न्यूज), Deepender Singh Hooda : सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने संसद में नियम 377 के तहत मांग की कि लोकसभा, विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों के लिए होने वाले परिसीमन के बाद सामाजिक और राजनैतिक संतुलन बनाए रखने के लिए बीसीए वर्ग के लिए भी एससी व एसटी की तर्ज पर उनकी जनसंख्या के अनुसार आरक्षण का प्रावधान किया जाए। उन्होंने कहा कि इसके लिए परिसीमन के पहले जातिगत जनगणना करानी बेहद जरूरी है, ताकि उसी के आधार पर बीसीए वर्ग की जनसंख्या के अनुपात में सीटें आरक्षित की जा सकें और लोकतांत्रिक व्यवस्था में अति पिछड़ा वर्ग  की राजनैतिक सहभागिता बढ़ सके। 

Deepender Singh Hooda : बीसीए वर्ग काफी मेहनतकश और हुनरमंद वर्ग

उन्होंने सरकार से मांग रखी कि परिसीमन के बाद लोकसभाविधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों में जातिगत जनगणना के आधार पर अति पिछड़े वर्ग (बीसीए) को राजनैतिक प्रतिनिधित्व देने के लिए जरूरी है कि एससी/एसटी की तर्ज पर उनके लिए भी कुछ विधानसभा, लोकसभा सीटें आरक्षित की जाएं। सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि हरियाणा में जहां से वे चुनकर आए हैं, देखा जाता है कि बीसीए वर्ग मेहनतकश और हुनरमंद वर्ग है।

समाज के विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान

समाज के विकास में इनका महत्त्वपूर्ण योगदान है। बीसीए वर्ग की संख्या काफी है और ये हर गाँव में रहते हैं, लेकिन अधिकतर निर्वाचन क्षेत्रों में इनकी बहुतायत नहीं होती, इसलिए इन्हें आरक्षण दिया जाना बेहद जरूरी है। बीसीए के तहत कुम्हार प्रजापति समाज, विश्वकर्मा समाज, जांगड़ा समाज, पांचाल समाज, धीमान समाज, सुथार समाज; स्वर्णकार सोनी समाज, जोगी समाज, धोबी समाज, कश्यप समाज, पाल गड़रिया समाज, तेली समाज, कम्बोज समाज आदि अनेक समाज बीसीए वर्ग के अंतर्गत आते हैं। अन्य प्रदेशों में इन्हें भूमिहीन पारंपरिक शिल्पकार, दस्तकार, कलाकार आदि के रूप में अति-पिछड़ा वर्ग के तौर पर जाना जाता है।

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