Caste Factor in Haryana Politics : जाट दिग्गजों में खुद को बड़ा लीडर स्थापित करने की जुगत

चुनाव से पहले एक्शन मोड में सभी पार्टियों के जाट नेता  
डॉ रविंद्र मलिक, चंडीगढ़ (Caste Factor in Haryana Politics) : हरियाणा में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं और इसकी तैयारियों को लेकर सभी राजनीतिक दल एक्शन मोड में आ चुके हैं। राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के जरिए हरियाणा में प्रदेश कांग्रेस ने दमखम दिखाने की कोशिश की और देश भर में हाथ से हाथ जोड़ो अभियान शुरु कर पिछले मोमेंटम को बरकरार रखने की तैयारी की है। वहीं भाजपा ने इसकी जवाब में गोहाना में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की रैली रखी थी लेकिन किन्ही कारणों वो आ नहीं सके।
मोबाइल पर संबोधन के दौरान जाटलैंड व भूपेंद्र सिंह हुड्डा के गढ़ सोनीपत के गोहाना में लोगों से सभी 10 लोकसभा सीट जीतवाने की अपील की। सोनीपत के गोहाना रैली रखने के कई कारण थे। आने वाले लोकसभा व विधानसभा चुनाव को देखते हुए जाट वोटर्स की भूमिका बेहद अहम है और समुदाय के वोटर निर्णायक भूमिका में होंगे। सभी पार्टियों के जाट दिग्गज भी समुदाय के लोगों के बीच पैठ बनाने में जुट गए हैं ताकि चुनावी वैतरणी को तरने में आसानी रहे

जाट वोटर्स में हुड्डा की खासी पैठ

इस बात में कोई मुगालता नहीं है कि फिलहाल सभी पार्टियों के जाट दिग्गजों में नेता प्रतिपक्ष व कांग्रेस लीडर भूपेंद्र सिंह हुड्डा की समुदाय के लोगों में सबसे ज्यादा पैठ है। सोनीपत, रोहतक व झज्जर के अलावा अन्य जिलों के जाट वोटर्स में उनकी स्वीकार्यता पहले से कहीं ज्यादा बढ़ी है। पिछले लोकसभा चुनाव व खुद की व बेटे दीपेंद्र की हार ने उनको रणनीति बदलने पर मजबूर कर दिया। इसी के तहत वो जाट वोटर्स को लुभाने व उनमें खुद की पैठ मजबूत करने के लिए हर संभव कोशिश कर रहे हैं।
जाट वोटर्स में उनकी पैठ कम करने के लिए अन्य दलों के जाट व गैर जाट लीडर हर संभव कोशिश कर रहे हैं लेकिन फिलहाल तक कोई बड़ी सफलता उनको नहीं मिली है।  हुड्डा की जाट ही नहीं गैर जाट वोटर्स में भी स्वीकार्यता है। वहीं कांग्रेस में रणदीप सुरजेवाला व किरण चौधरी भी बड़े जाट चेहरे हैं लेकिन इतने प्रभावी नजर नहीं आते हैं क्योंकि ये अपने अपने विधानसभा क्षेत्रों या थोड़ा बहुत आगे ही प्रभावी नजर आते हैं।

दुष्यंत की जाट वोटर्स में खुद का मजबूत करने की जुगत

भाजपा के साथ सत्ता में सहयोगी जजपा के डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला पिछले बार 10 सीट जीतकर सत्ता में आए थे। उनको जाट वोटर्स का बड़ा हिस्सा मिला था लेकिन कुछ मुद्दों पर उनकी समुदाय के लोगों के साथ तल्खियां बढ़ गई। राजनीतिक जानकारों की मानें तो दुष्यंत के लिए जाट समुदाय के लोगों के साथ इन दूरियों का कम करना आसान नहीं होगा। ये भी गाहे बगाहे देखने को मिल ही जाता है कि वो हुड्डा पर खासे हमलावर रहते हैं।
उनको खासा इल्म है कि जाट वोटर्स में खुद की पैठ व स्वीकार्यता बढ़ाने के लिए हुड्डा का कमजोर होना जरूरी है जो कि उनके लिए आसान नहीं लग रहा है । फिलहाल दुष्यंत के सामने कई चुनौतियां हैं। खुद मुख्य सत्ताधारी भाजपा के साथ तो उनके मतभेद जारी ही हैं तो पार्टी के विधायकों की नाराजगी भी समय समय पर दिख जाती है। जाट समुदाय के लोगों से नाराजगी को दूर करना उनके लिए बड़ा चैलेंज है।

अभय के सामने जाटों में टूटता कैडर बचाने की चुनौती

कभी सत्ता के शिखर पर रही इनेलो पिछले करीब दो दशक से सत्ता से दूर है और पार्टी का सत्ता से वनवास खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है। पिछले कुछ सालों में पार्टी का जाट समुदाय में वोट कैडर टूटा है। पार्टी के जाट लीडर अभय सिंह निरंतर प्रयास कर रहे हैं कि वो समुदाय के वोटर्स में अपना रूतबा बढ़ा दोबारा से अपना सुनहरी दौर वापस लाएं। इसी कड़ी में वो फरवरी में प्रदेश भर में पैदल यात्रा निकालेंगे।

भाजपा के जाट दिग्गज भी खुद को मजबूत करने में जुटे

यूं तो सत्ताधारी भाजपा में भी कई सीनियर जाट धुरंधर हैं और वो भी विधानसभा चुनाव से पहले समुदाय के लोगों में खुद को मजबूत करने में जुटे हैं। लेकिन समुदाय के लोगों में उनकी पैठ की बात करें तो एकाध को छोड़कर बाकी के लिए चीजें  सुखद नहीं कहीं जा सकती हैं। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष ओपी धनखड़ भाजपा में बड़ा जाट चेहरा हैं और उन्होंने पार्टी के संगठन को मजबूत करने में खासा रोल अदा किया है।
पिछली बार चुनाव में अपनी सीट नहीं बचा पाए। राजनीतिक जानकारों की मानें तो उनकी स्वीकार्यता जाट वोटर्स में सीमित है और उनको इस दिशा में ज्यादा प्रयास करने की जरूरत है। वहीं पार्टी के अन्य जाट दिग्गजों में कृषि मंत्री जेपी दलाल, सुभाष बराला, महिपाल  ढांडा और कमलेश ढांडा आदि भी हैं। पार्टी और खुद मुख्यमंत्री मनोहर लाल को आने वाले चुनाव को देखते हुए इनसे खासी उम्मीद होगी।

बीरेंद्र सिंह हुए सक्रिय तो बलराज कुंडू भी खुद को जाटों स्थापित करने की जुगत

पूर्व केंंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह भाजपा में बड़ा जाट चेहरा हैे लेकिन पिछले कुछ समय से उनकी छटपटाहट रह रह कर धरातल पर स्पष्ट नजर आ रही है। वो जल्द ही एक रैली  मेंअपना शक्ति प्रदर्शन भी करेंगे। पिछले कुछ समय से वो निरंतर सार्वजनिक कार्यक्रमों में नजर भी आ रहे हैं और उनकी कोशिश है कि जाट वोटर्स में खुद को मजबूत करें। वो सांसद बेटे व पूर्व आईएएस बृजेंद्र सिंह के भविष्य को लेकर भी असमंजस की स्थिति में नजर आ रहे हैं।
राजनीतिक जानकारों की मानें तो निकट भविष्य में वो कोई बड़ा फैसला ले सकते हैं। वहीें निर्दलीय विधायक बलराज कुंडू भी इन दिनों खासे चर्चा में हैं। वो भी पैदल यात्रा निकाल रहे हैं। उनकी भी कोशिश है कि खुद को बड़े जाट लीडर के रूप में स्थापित किया जाए।
Harpreet Singh

Share
Published by
Harpreet Singh

Recent Posts

Chalo Theatre Festival 2024 : बंद गली के आखिरी मकान ने झकझोरा…जिंदगी से रूबरू कराती है थियेटर की दुनिया

पाइट में चलो थियेटर उत्सव, कैबिनेट मंत्री महिपाल ढांडा ने कहा- मंच से जुड़ें बच्‍चे,…

31 mins ago

Abhay Chautala Taunts Dushyant : ‘जो हमें खत्म करना चाहते थे, वो आज खुद ही’…अभय ने साधा पूर्व डिप्टी सीएम पर निशाना 

India News Haryana (इंडिया न्यूज), Abhay Chautala Taunts Dushyant हरियाणा विधानसभा चुनाव में मिली करारी…

1 hour ago

77th Sant Nirankari Samagam : तीन दिवसीय संत निरंकारी समागम का शुभारंभ, पहले दिन लाखों की संख्या में पहुंचे श्रद्धालु 

परमात्मा को जीवन में शामिल करने से होता है मानवीय गुणों का विस्तार : निरंकारी…

2 hours ago

Minister Anil Vij ने शहीद स्मारक के आर्ट वर्क का बारीकी से किया निरीक्षण, स्मारक में यह होगा आकर्षण का केंद्र

विज ने अंबाला छावनी के शहीद स्मारक, बैंक स्क्वेयर एवं 12 क्रॉस रोड पर नाले…

2 hours ago