डॉ. रविंद्र मलिक, India News (इंडिया न्यूज़), Chaudhary Devi Lal Jayanti, चंडीगढ़ : हरियाणा में पिछले कुछ दिनों से राजनीतिक सरगर्मियां बेहद तेजी से बढ़ी हैं। सभी पार्टियां अगले साल होने वाले लोकसभा और विधानसभा चुनावों की तैयारियों में जुटी हुई हैं। इसी कड़ी में 25 सितंबर यानि आज चौ. देवीलाल की 110वीं जयंती पर 2 राज्यों में चौटाला परिवार द्वारा दो रैलियों का आयोजन किया जा रहा है। चौटाला परिवार के दोफाड़ होने के बाद अजय चौटाला और अभय चौटाला की राहें अलग हो चुकी हैं।
जजपा द्वारा 25 सितंबर को राजस्थान के सीकर में रैली की जा रही है तो वहीं इनेलो द्वारा हरियाणा के कैथल में रैली रखी गई है। भाजपा और कांग्रेस समेत सभी दलों के दिग्गज नेताओं की नजर इन दोनों रैलियों पर टिकी हैं। जजपा की कोशिश है कि ज्यादा से ज्यादा भीड़ जुटाकर किसी तरह से राजस्थान की राजनीति में पैर जमाए जाएं। दूसरी तरफ इनेलो की कोशिश है कि देशभर के विपक्षी नेताओं के सामने रैली में जनसैलाब एकत्रित कर संदेश दिया जाए कि इनेलो में अब भी जान है और लोगों पर पार्टी की पकड़ है। हालांकि ये रैलियों में आई भीड़ के बाद ही पता चलेगा कि दोनों में किसकी रैली सफल रही या फिर फ्लॉप रही।
इनेलो सत्ता वापसी के लिए हरसंभव कोशिश कर रही है और इसी कड़ी में 25 सितंबर को होने वाली रैली को इसके प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। रैली में इनेलो ने कांग्रेस दिग्गज सोनिया गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, नीतीश कुमार, लालू प्रसाद यादव, शरद पवार, उद्धव ठाकरे व ममता बनर्जी के राज्यसभा सदस्य, सीताराम येचुरी, सतपाल मलिक, हनुमान बेनीवाल, जयंत चौधरी, फारूक अब्दुल्ला, अखिलेश यादव, तेजस्वी यादव, चौधरी बिरेंद्र सिंह और आरएलडी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शेर सिंह राणा को भी न्योता दिया है।
पार्टी की कोशिश है कि रैली के जरिए ज्यादा से ज्यादा भीड़ जुटाकर वो अपनी ताकत का अहसास करवाए। पिछले साल इनेलो की इसी मौके पर 25 सितंबर को हुई रैली में फतेहाबाद में विपक्ष की एकजुटता नजर आई थी। इसमें राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी प्रमुख शरद पवार, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, राष्ट्रीय जनता दल नेता तेजस्वी यादव और नेशनल कॉन्फ्रेंस प्रमुख फारूक अब्दुल्ला सहित कई दलों के नेता शामिल हुए थे।
ये किसी से छुपा नहीं है कि एनडीए की बैठक में बुलावे से पहले जजपा बैकफुट पर थी। पार्टी हरियाणा में भाजपा के साथ सत्ता में बेशक सहयोगी है, लेकिन जिस तरह से भाजपा नेता लगातार जजपा से पिंड छुड़वाने की वकालत व मांग कर रहे थे, उससे जजपा काफी परेशानी में थी। लेकिन एनडीए की बैठक में बुलाए जाने के बाद पार्टी को राहत मिली। जजपा अब लगातार कह रही है कि राजस्थान में उसका आधार है।
राजस्थान में सत्ता का ताला उसकी चाबी से खुलेगा। राज्य में सत्ताधारी कांग्रेस और भाजपा में सीधी टक्कर है। ऐसे में भाजपा को अगर जजपा से थोड़ा बहुत सहारा भी मिलता है तो पार्टी के लिए बूस्ट होगा। लेकिन ये तो चुनाव के बाद ही पता चलेगा कि जजपा के राजस्थान में प्रभाव के दावे कितने मजबूत हैं। ऐसे में जजपा द्वारा राजस्थान में खुद को मजबूत कर भाजपा पर भी दबाव बनाने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है।
जजपा लगातार इस कोशिश में है कि राजस्थान में पार्टी की जो पुरानी राजनीतिक विरासत रही है, उसका ज्यादा से ज्यादा माइलेज लिया जाए। जजपा नेता व डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला लगातार कह रहे हैं कि पहले इनेलो राजस्थान में चुनाव लड़ती थी और जीतती थी, लेकिन अब जजपा राजस्थान में चुनाव लड़ने और जीतने में सक्षम है। उन्होंने कहा कि साल 2003 में जजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अजय चौटाला की मेहनत की वजह से छह विधायक राजस्थान में बने थे। दुष्यंत चौटाला ने कहा कि राजस्थान में जजपा 25-30 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है और सीकर में पार्टी ऐतिहासिक रैली करेगी।
इनेलो पिछले करीब 20 साल से सत्ता से दूर है और पार्टी का सत्ता से वनवास खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है। अबकी बार पार्टी को उम्मीद है कि शायद पुराने दिन बहुरेंगे। पार्टी की कोशिश है कि ज्यादा से ज्यादा भीड़ रैली में जुटे, ताकि सत्ता के गलियारों में पार्टी की मजबूती का संदेश जाए।
रैली से पहले इनेलो के महासचिव अभय सिंह चौटाला ने रैली को सफल बनाने के लिए राज्यभर का दौरा इसमें आने के लिए सबको निमंत्रण दिया है। इससे पहले पैदल यात्रा भी आयोजित की और इसके जरिए पार्टी के पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश की। पार्टी के महज अभय सिंह चौटाला ही एकमात्र विधायक हैं। अभय का दावा है कि 80 फीसदी राष्ट्रीय स्तर के विपक्षी नेता रैली में आएंगे।
वहीं इनेलो की तरफ से कभी धुर विरोधी रही कांग्रेस को भी निमंत्रण दिया गया है। अभय सिंह चौटाला ने सोनिया गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे को रैली में शामिल होने के लिए बुलाया है, लेकिन हरियाणा में पार्टी इसके विरोध में है। इनेलो गठबंधन चाहती है लेकिन फिलहाल पार्टी की एकतरफा कमान संभाल रहे भूपेंद्र सिंह हुड्डा साफ कर चुके हैं पार्टी को गठबंधन की कोई जरूरत नहीं है।
अभय ये भी कह चुके हैं कि अगर पार्टी हुड्डा को भी भेजती है तो उनको हुड्डा से कोई परहेज नहीं है और उनकी हुड्डा से कोई दुश्मनी थोड़े ही है, लेकिन देखना ये होगा कि रैली में आने को लेकर कांग्रेस का क्या रुख रहेगा। वहीं दूसरी तरफ खुद चौटाला परिवार से अभय के भाई अजय और चाचा रणजीत चौटाला का कहना है कि जिन लोगों ने ओपी चौटाला को जेल भेजा अब अभय उन लोगों की गोद में बैठ रहे हैं।
भाजपा के दिग्गज चौधरी बीरेंद्र सिंह को भी इनेलो ने न्यौता दिया है। पिछले कुछ समय में बीरेंद्र सिंह और ओपी चौटाला में नजदीकियां भी सामने आई हैं। अब देखना ये रोचक होगा कि बीरेंद्र सिंह क्या रैली में जाएंगे और अगर वो रैली में गए तो भाजपा का क्या रूख रहेगा। चूंकि दोनों ही राजनीतिक परिवार हैं तो बीरेंद्र सिंह पारिवारिक उठ बैठ का हवाला दे सकते हैं। लेकिन ये भी किसी से छिपा नहीं है कि बीरेंद्र सिंह भाजपा से अंदरुनी तौर पर खासे नाराज हैं और इनेलो भी भाजपा की धुर विरोधी है।
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