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Cm Jai Ram Thakur Says प्रगति और प्रकृति के बीच सामंजस्य जरूरी

• LAST UPDATED : December 18, 2021
वायु प्रदूषण को कम करने के लिए प्रदेश में शीघ्र ही राज्य स्वच्छ ईंधन नीति लाएगी सरकार
मुख्यमंत्री ने जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने के लिए ठोस उपाय करने पर बल दिया
लोकिन्दर बेक्टा, शिमला। 
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि प्रगति और प्रकृति के बीच सामंजस्य बनाकर ही जलवायु परिवर्तन से संबंधित चुनौतियों से प्रभावी तरीके से निपटा जा सकता है। यह बात मुख्यमंत्री ने शनिवार को यहां पर्यावरण, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा आयोजित सुदृढ़ हिमालय सुरक्षित भारत, जलवायु परिवर्तन सम्मेलन-2021 की अध्यक्षता करते हुए कही। मुख्यमंत्री ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के कारण पारिस्थितिकी तंत्र पर विपरित प्रभाव पड़ रहा है। जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने के लिए हमें जमीनी स्तर पर ठोस उपाय करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश सरकार सिंचाई सुविधाओं को मजबूत करने, कृषि उत्पादन बढ़ाने, सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार, आर्थिक सुरक्षा और ग्रामीण बुनियादी ढांचे जैसे पर्यावरणीय स्थिरता, जलवायु परिवर्तन अनुकूलन और दीर्घकालिक सामुदायिक सशक्तिकरण पर ध्यान केन्द्रित कर रही है। जयराम ठाकुर ने कहा कि राज्य में सतत विकास और पर्यावरण की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कई महत्वपूर्ण कार्य किए हैं। ग्लोबल वार्मिंग के कारण ग्लेशियर तेजी से पिघलते हैं। वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड के स्तर को कम करने के लिए प्रदेश सरकार हरित ईंधन जैसे जल विद्युत और सौर ऊर्जा के प्रयोग पर ध्यान दे रही है। उन्होंने कहा कि प्रदेश जल विद्युत संसाधनों में बहुत समृद्ध है और भारत की कुल क्षमता का लगभग 25 प्रतिशत हिमाचल प्रदेश में है। राज्य की कुल जल विद्युत क्षमता में से अभी तक 10,519 मेगावाट का दोहन किया जा चुका है। उन्होंने कहा कि वायु प्रदूषण को कम करने के लिए प्रदेश में शीघ्र ही राज्य स्वच्छ ईंधन नीति लाई जाएगी। जयराम ठाकुर ने कहा कि जलवायु परिवर्तन की समस्या से निपटने के लिए सामूहिक प्रयास करने की आवश्यकता है।

जलवायु परिवर्तन के कारण विश्व में कई तरह की प्राकृतिक आपदाएं आ रही : लिनेयर ( Many types of natural disasters are occurring in the world due to climate change)

भारत में जर्मनी के राजदूत वाल्टर जे. लीनेयर ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के कारण विश्व में कई तरह की प्राकृतिक आपदाएं आ रही हैं। इस समस्या से निपटने के लिए सभी को प्रयास करने की आवश्यकता है। उन्होंने सम्मेलन के आयोजन की सराहना करते हुए कहा कि वैज्ञानिक इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करेंगे।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने सीसी एवं डीआरआर पर नाॅलेज नेटवर्क के लिए दिशा-निर्देश भी जारी किए। उन्होंने जलवायु परिवर्तन पर राज्य कार्य योजना भाग-2 और हिमाचल प्रदेश में सीएएफआरआई कार्यक्रम भी लांच किया।

शैक्षणिक शोध संस्थानों में स्थानीय क्षेत्रों से सम्बन्धित चुनौतियों का अध्ययन किया जाना चाहिए : वांगचुक

स्टूडेंट एजुकेशनल एंड कल्चरल मूवमेंट ऑफ लद्दाख के अध्यक्ष सोनम वांगचुक ने हिमाचल प्रदेश द्वारा पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में किए गए महत्वाकांक्षी उपायों की सराहना की। उन्होंने जलवायु साक्षरता की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि आपदाओं को रोकने के लिए समय पर सार्थक कदम उठाए जाने चाहिए। शैक्षणिक शोध संस्थानों में स्थानीय क्षेत्रों से सम्बन्धित चुनौतियों का अध्ययन किया जाना चाहिए।

हर क्षेत्र की आपदा प्रबंधन योजना बनाई जानी चाहिए : कमल किशोर 

राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के महानिदेशक कमल किशोर ने कहा कि हर क्षेत्र की आपदा प्रबंधन योजना बनाई जानी चाहिए। उन्होंने सभी राज्यों में राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल के गठन की आवश्यकता पर बल दिया। वरिष्ठ सलाहकार विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग भारत सरकार डाॅ. अखिलेश गुप्ता ने कहा कि ग्लोबल वार्मिंग विश्व भर में एक बड़ी चुनौती है। उन्होंने बहु जोखिम चेतावनी प्रणाली तंत्र विकसित करने की आवश्यकता पर बल दिया।