इंडिया न्यूज, (Haryana News) : मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि देश के वातावरण के अनुसार दी जाने वाली शिक्षा ही वास्तविक शिक्षा है। इस शिक्षा के द्वारा ही व्यक्ति आत्मनिर्भर बनेगा और देश भी आत्मनिर्भर बनेगा। मुख्यमंत्री आज राजभवन में राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय की अध्यक्षता में आयोजित राज्य के निजी विश्वविद्यालयों के कुलपति व कुलसचिवों के साथ आयोजित बैठक को सम्बोधित कर रहे थे।
नई शिक्षा नीति-2020 जीवन मूल्यों को आत्मसात करने वाली शिक्षा नीति
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने उच्च शिक्षा विभाग के कार्यों की समीक्षा के लिए आयोजित दो दिवसीय बैठक बुलाने पर राज्यपाल का आभार जताया। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति को लागू करने में निजी विश्वविद्यालयों की महत्वपूर्ण भूमिका है। नई शिक्षा नीति में जीवन मूल्यों से जुड़ी शिक्षा को शामिल किया गया है, ताकि व्यक्ति का सामूहिक विकास सुनिश्चित हो और वह आत्मनिर्भर बने। उन्होंने स्वामी विवेकानंद का उदाहरण देते हुए कहा कि शिक्षा केवल ज्ञान का ढेर नहीं है बल्कि जीवन मूल्यों को आत्मसात करने का माध्यम है और इसके बिना शिक्षा अधूरी है।
उन्होंने कहा कि लार्ड मैकाले की शिक्षा के कारण हम वास्तविक जीवन उपयोगी शिक्षा प्राप्त नहीं कर पाए। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में जीवन मूल्यों को प्राथमिकता दी गई है, ताकि हम उसे आत्मसात कर अपने उद्देश्यों को प्राप्त कर सकें। उन्होंने कहा कि शिक्षा के नाते सरकारी व निजी विश्वविद्यालयों का उद्देश्य एक ही है। उन्हें न केवल एक-दूसरे की बल्कि दुनियाभर के विश्वविद्यालयों की सर्वश्रेष्ठ प्रणालियों को अंगीकार करना चाहिए।
संसाधनों के क्षेत्र में विश्वविद्यालय आत्मनिर्भर बनें
उन्होंने कहा कि चाहे सरकारी हो या निजी विश्वविद्यालयों, सभी को संसाधनों के क्षेत्र में आत्मनिर्भर होना चाहिए और इसके लिए एलुमनी बहुत बड़ा योगदान दे सकते हैं। सभी विश्वविद्यालय इसके लिए वर्ष में एक दिन एलुमनी-डे का आयोजन कर दूनियाभर गए हुए अपने ऐलुमनिज को आमंत्रित कर सकते हैं। आत्मनिर्भरता के लिए एलुमनी फंड्स के अलावा सीएसआर फंड से भी सहायता ली जा सकती है।
उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों के पास नौजवानों की काफी बड़ी वर्कफोर्स होती है और इन युवाओं को शिक्षा देने के साथ-साथ विभिन्न प्रकार के सर्वे आदि कार्यों में भी शामिल किया जा सकता है। इससे विश्वविद्यालयों को राजस्व की प्राप्ति होगी वहीं छात्रों का बौद्धिक विकास होगा। विश्वविद्यालय सरकार के अनेक विभागों को अपनी स्किलफुल कंस्लटेंसी देकर भी वित्तीय संसाधन उत्पन्न कर सकते हैं। मानव रचना और अशोका विश्वविद्यालय इस विषय में काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों को अनुसंधान के क्षेत्र में नवीनतम तकनीकों और ज्ञान के बारे में अपडेट करते रहना चाहिए।
रोजगार के लिए हुन्नरमंद शिक्षा जरूरी
मुख्यमंत्री ने कहा कि बेरोजगारी को खत्म करने के लिए युवाओं को हुन्नरमंद बनाना जरूरी है। तकनीकी शिक्षा का जितना फैलाव होगा, युवा उतना ही आत्मनिर्भर बनेगा और उसे सहज ही रोजगार भी मिल जाएगा। नई शिक्षा नीति में कौशल विकास को प्रमुखता दी गई है। हमारी शिक्षा ऐसी हो जिसके केंद्र में रोजगार हो, लेकिन वह संस्कारवान भी बनाए।
बैठक में हरियाणा के उच्चतर शिक्षा मंत्री मूलचंद शर्मा, उच्चतर शिक्षा परिषद के चेयरमैन प्रोफेसर बीके कुठियाला, उच्चतर शिक्षा के वाइस चेयरमैन डॉ. केसी शर्मा व मुख्यमंत्री के राजनीतिक सलाहकार भारत भूषण भारती भी मौजूद रहे।