डॉ. रविंद्र मलिक, India News (इंडिया न्यूज़), Complaints against Haryana Police, चंडीगढ़ : हरियाणा पुलिस प्रदेश में निरंतर बेहतर कानून व्यवस्था के दावे करती है और पुलिस अधिकारियों का कहना होता है कि प्रदेश में अपराधियों पर निरंतर शिकंजा कसा जा रहा है, लेकिन इससे परे धरातल पर एक चीज और उभरकर आ रही है कि खुद पुलिस अधिकारियों की ढीली कार्यशैली और उनके द्वारा आम आदमी को प्रताड़ित किया जाना। जी हां, यह हम नहीं कह रहे, बल्कि स्टेट पुलिस कंप्लेंट अथॉरिटी (एसपीसीए), हरियाणा के पास आई शिकायतों में इसका खुलासा हुआ है।
इतना ही नहीं, पुलिस के खिलाफ जो शिकायतें आई हैं, उनका नेचर बेहद गंभीर किस्म का है। इनमें पुलिस अधिकारियों के खिलाफ शिकायतों में रेप, अटेम्प्ट टू रेप, पुलिस हिरासत में मौत, चोट पहुंचाने से लेकर डिटेन करना और पैसा उगाही आदि हैं। हालांकि सभी शिकायतें सही नहीं पाई जाती, लेकिन इतना जरूर है कि इस तरह की शिकायतों से कहीं न कहीं पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठना लाजमी है। ऐसे में जरूरी है कि नियम ताक पर रखने वाले और आमजन को प्रताड़ित करने वाले पुलिस मुलाजिमों पर कड़ी कार्रवाई हो।
स्थिति की गंभीरता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पुलिस के बेहद सीनियर अधिकारियों के खिलाफ भी निरंतर शिकायतें आई हैं। 2019 से लेकर 29 सितंबर 2022 तक पौने 4 साल की प्राधिकरण से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार 25 आईपीएस अधिकारियों के खिलाफ शिकायत आई है। इनमें से साल 2019 में 5 और 2020 में 1 आईपीएस अधिकारी के खिलाफ शिकायत आई। इसके बाद 2021 में अधिकारियों के खिलाफ 6 शिकायतें आई हैं।
वहीं पिछले साल 2022 में पहले 9 महीने में सबसे ज्यादा 13 आईपीएस अधिकारियों के खिलाफ शिकायत आई है। डीएसपी लेवल के अधिकारियों के खिलाफ भी व्यापक पैमाने पर अथॉरिटी को शिकायत प्राप्त हुई है। इनमें से सबसे ज्यादा 22 शिकायतें साल 2022 में महज 9 महीने में आई हैं। इसके बाद साल 2021 में 11 अधिकारियों के खिलाफ अलग-अलग तरह की शिकायतें आई हैं। सन 2019 में 8 और 2020 में 4 अधिकारियों के खिलाफ शिकायत आई है।
सामने आया है कि पिछले कुछ वर्षों में स्टेट पुलिस कंप्लेंट अथॉरिटी ने नियम तोड़ने वाले और काम में लापरवाही बरतने वाले एसपी और डीएसपी के खिलाफ विभाग के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी को रिकमेंडेशन भेजी हैं। साल 2021 में बेरी के डीएसपी नरेश कुमार के खिलाफ विभागीय एक्शन की रिकमेंडेशन भेजी गई है। इसी मामले में झज्जर के एसपी अशोक कुमार की एक्सप्लेनेशन के लिए लिखा। इसके पीछे कारण बताया गया है कि सेक्शन 302 के एक मामले में उन्होंने जांच को सुपरवाइज करने में गंभीरता नहीं दिखाई।
साथ में मामले की दोबारा जांच को कहा। साल 2022 में चरखी दादरी में एक मामले में डीएसपी बल सिंह के खिलाफ भी कार्रवाई की रिकमेंडेशन भेजी गई। साल 2022 में ही महेंद्रगढ़ में एक डीएसपी के खिलाफ कार्रवाई के लिए लिखा। इसी साल सोनीपत में एक मामले में तत्कालीन एसपी की कार्यशैली पर अथॉरिटी ने सवाल खड़े किए। साल 2023 में डीएसपी वीरेंद्र सिंह के खिलाफ सख्त कार्रवाई के लिए रिकमेंडेशन एसीएस को भेजी। इतना ही नहीं 2023 में ही करनाल में एक मामले में डीएसपी मनोज कुमार (उस वक्त इंस्पेक्टर) को लेकर भी रिकमेंडेशन एसीएस को भेजी गई है।
वहीं सामने यह भी आया है कि सबसे ज्यादा शिकायत कांस्टेबल, हेड कांस्टेबल एएसआई, एसआई और इंस्पेक्टर के खिलाफ आ रही हैं। पौने चार साल की अवधि में इनके खिलाफ सबसे ज्यादा 671 शिकायतें आई हैं। इन सभी के खिलाफ पिछले साल 9 महीने की अवधि में सबसे ज्यादा 284 शिकायतें आई हैं, इसके बाद 2021 में 206 शिकायतें आईं तो 2020 में 61 और 2019 में 120 शिकायतें आई हैं।
पिछले कुछ समय में यह भी सामने आया है कि इस वर्ग में पुलिस कर्मचारियों के खिलाफ सबसे ज्यादा करप्शन के मामले पकड़ में आए हैं और निरंतर उन पर एंटी करप्शन ब्यूरो शिकंजा कस रही है। इस लिहाज से उनके खिलाफ 45 महीने में औसतन हर माह 16 शिकायत आई हैं। ऐसे में जरूरी है कि पुलिस अधिकारियों की कार्यशैली को सरकार दुरुस्त करने के लिए जरूरी कदम उठाए।
हरियाणा स्टेट पुलिस अथॉरिटी ने पुलिस अधिकारियों के खिलाफ आई शिकायतों को वर्गीकृत किया है। अथॉरिटी द्वारा शिकायतों के नेचर के आधार पर उनको करीब दर्जन भर कैटेगरी में अलग-अलग रखा है। स्टेट पुलिस अथॉरिटी के पास पुलिस अधिकारियों के खिलाफ इनमें रेप या अटेम्प्ट टू रेप, पुलिस कस्टडी में मौत, गंभीर चोट पहुंचाना, वसूली और बिना आधार डिटेन करना करना आदि शामिल है। इसके अलावा पुलिस के खिलाफ संगठित अपराध में भूमिका निभाने की भी कंप्लेंट है।
इन दिनों जिस लिहाज से एंटी करप्शन ब्यूरो भ्रष्टाचारियों के खिलाफ शिकंजा कस रही है उस लिहाज से इस मामले में पुलिस विभाग के नियम तोड़ने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ शिकायतों को लेकर भी जरूरी कार्रवाई करना आवश्यक है।
पुलिस के खिलाफ व्यापक पैमाने पर रिश्वतखोरी की शिकायतें आ रही हैं। पिछले कुछ समय से शायद ही कोई ऐसा दिन जा रहा हो जब करप्शन ब्यूरो द्वारा पुलिस विभाग के मुलाजिम रिश्वत लेते नहीं पकड़े जा रहे हों, लेकिन फिर भी ब्यूरो द्वारा रिश्वतखोर अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ आई शिकायतों पर कार्रवाई को ज्यादा पुख्ता तौर पर अमलीजामा पहनाना जरूरी है।
पुलिस मुलाजिमों के खिलाफ आ रही शिकायतें साल दर साल बढ़ती जा रही हैं। साल 2019 में इनके खिलाफ 132 शिकायतें आईं। 2020 में शिकायतों में काफी कमी आई और कुल 66 शिकायतें अथॉरिटी को प्राप्त हुईं। इसके बाद साल 2021 में पिछले साल की तुलना में 3 गुना से भी ज्यादा शिकायतें अथॉरिटी के पास आईं। अथॉरिटी गोकुल पुलिस मुलाजिमों के खिलाफ 202 शिकायतें प्राप्त हुई। 2022 में शिकायतों और उछाल आया और कुल 369 शिकायतें प्राप्त हुईं, वहीं 2023 में पहले 3 महीने में अथॉरिटी को कुल 92 शिकायतें प्राप्त हुईं। बता दें कि आई हुई शिकायतों को सबसे ज्यादा मामलों में रिश्वतखोरी के केस व्यापक तौर पर हैं।
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