India News (इंडिया न्यूज़), Complaints in Haryana Human Rights Commission, चंडीगढ़ : हरियाणा में मानवाधिकारों को सुरक्षित करने के लिए ह्यूमन राइट कमीशन का गठन 2012 में किया गया। आयोग के पास तमाम तरह की शिकायतें आती हैं जिनका समाधान सुनिश्चित करना आयोग का काम है। प्रदेश मानवाधिकार आयोग द्वारा समस्याओं के उचित समय सीमा में समाधान का दावा किया जाता है तो वहीं मामलों को बैकलॉग भी चिंता का विषय रहता है। जानकारी में सामने आया है कि हर साल आयोग के पास औसतन 2500 से ज्यादा शिकायत आती हैं। ये शिकायत अलग अलग नेचर की होती हैं।
हालांकि कोरोना दौर के बाद शिकायतों के नेचर में थोड़ा बहुत बदलाव भी आया। हरियाणा मानवाधिकार आयोग अक्टूबर 2012 में अस्तित्व में आया था। आंकड़ों से साफ पता चलता है कि आयोग के पास आने वाली शिकायतों में पूर्व की तुलना में इजाफा हुआ है। अक्टूबर 2012 से लेकर अक्टूबर 2022 तक 11 साल 24250 मामले रिपोर्ट हुए हैं। इस लिहाज से 132 महीने की अवधि में औसतन हर महीने 184 शिकायत आई हैं।
इसके अलावा जनवरी 2017 से लेकर अगस्त 2023 के आंकड़ों पर नजर डालें तो पता चलता है कि कुल 17027 शिकायत आयोग के पास रिपोर्ट हुई हैं। इस तरह से कुल 80 महीने की अवधि में 213 शिकायत रिपोर्ट हुई हैं और आंकड़ों से देखा जा सकता है कि शिकायतों में पहले की तुलना में इजाफा हो रहा है। पिछले 80 महीनों के आंकड़ों की बात करें तो पता चलता है कि साल 2017 से 2022 तक 72 महीने की अवधि में कुल 15565 शिकायतों रिकॉर्ड पर आई हैं और साल 2023 में जनवरी से अगस्त तक 8 महीने की अवधि में कुल 1513 शिकायत दर्ज हुई हैं। इसके अतिरिक्त ये भी सामने आया है कि आयोग के पास 2017 से 2022 तक आरटीआई के कुल 1692 आवेदन प्राप्त हुए जिसमें से 1689 आवेदनों की सूचना निर्धारित समय के भीतर प्रदान की गई।
जानकारी के अनुसार आयोग में आने वाले मामलों में ज्यादातर मामले पुलिस के होते हैं तो इसके अलावा स्कूलों में सुविधाओं की कमी, स्कीम से वंचित होने, प्रॉपर्टी पर कब्जा, अतिक्रमण प्रशासन, सरकारी स्कीम का लाभ नहीं मिलने, वृद्धावस्था सम्मान भत्ता योजना, प्रशासनिक काम में कमी, समाज कल्याण विभाग तथा डॉक्टरों द्वारा मेडिकल अनदेखी आदि से संबंधित होते हैं।
कई दफा स्वास्थ्य विभाग से लेकर पुलिस कई विभागों के लोग न्याय के लिए मानवाधिकारों की रक्षा के लिए आयोग का दरवाजा खटखटाते हैं। यहां तक कि स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे भी आयोग से संपर्क करते हैं। स्कूलों में लड़कियों के लिए अलग से टॉयलेट नहीं होना गंभीर मामला है। स्कूलों के ऊपर से हाईटेंशन तार गुजरना, निजी स्कूलों की बसों की अच्छी कंडीशन नहीं होने के मामले भी आयोग के पास आते रहे हैं। स्कूलों में बेंच और डेस्क नहीं होने का मामला भी आयोग में कई दफा आते रहते हैं। इसके अलावा, शिक्षा से संबंधित अधिकारों, अनुसूचित जाति एवं जनजाति समुदायों से संबंधित व्यक्तियों के अधिकारों के हनन एवं वृद्ध व्यक्तियों के अधिकार सुरक्षित नहीं होने के मामले भी रिपोर्ट होते हैं।
आयोग के पास हर महीने नई शिकायत आती हैं और इनका निपटान भी होता है। वहीं पिछली शिकायतों का बैकलॉग भी बना रहता है, जिसके निपटान की जरूरत है। हालांकि कुछ मामले सबजूडिस भी हो जाते हैं जिसके वो लंबित रहते हैं। अगर साल 2023 के बैकलॉग की बात करें तो इसमें इजाफा हुआ है। हालांकि पिछले कुछ वर्षों में तो इसमें कमी आई है। जनवरी 2023 में पुरानी शिकायतों की संख्या 697 थी और अगस्त के अंत तक शिकायतों का बैकलॉग 799 रहा।
पिछले कुछ वर्षों में पुलिसिंग सिस्टम में सुधार से इंकार नहीं किया जा सकता लेकिन ये उम्मीदों के अनुरूप नहीं है। आयोग के पास आने कुल शिकायतों में से आधे से ज्यादा तो पुलिस विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों के ही खिलाफ होती हैं। राज्य मानवाधिकार आयोग द्वारा जारी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार कुल शिकायतों में से औसतन 60 फीसद तो पुलिस कर्मचारियों और अधिकारियों के खिलाफ ही होती हैं।
आयोग पहले भी पुलिस विभाग की कार्यशैली पर सवाल खड़े करता रहा है। ऐसे में विभाग को भी मंथन की जरूरत है। इनमें पुलिस विभाग के खिलाफ यौन शोषण, शोषण, वसूली, हिरासत में मारपीट , रिश्वत और छेड़छाड़ जैसी गंभीर शिकायतें भी रहती हैं। इसके अलावा कस्टडी में मारपीट या फिर कस्टडी में मौत को लेकर भी शिकायत आयोग के पास आती है। इसके अलावा अन्य विभागों के कर्मचारियों व अधिकारियों के खिलाफ भी शिकायत आयोग के पास रिसीव होती हैं।
मानवाधिकार आयोग के जनसंपर्क व सूचना अधिकारी पुनीत अरोड़ा का कहना है कि आयोग आने वाली शिकायतों के उचित निपटान के लिए प्रतिबद्ध है। आयोग की कोशिश रहती है कि पीड़ितों को हर हाल में न्याय मिले और उनके मानवाधिकार सुरक्षित रहें। आयोग मामलों की गंभीरता को देखते हुए स्वत संज्ञान भी लेता है और कई बार आयोग की सिफारियों के आधार पर सरकार आवश्यक कदम उठाती है। पिछले कुछ समय में आयोग के पास आने वाली शिकायतों में इजाफा हुआ है और बेहतर कार्यशैली के जरिए आयोग ने अपनी अलग पहचान बनाई है।
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