India News (इंडिया न्यूज), Congress Announces : कांग्रेस विधायक दल ने शुक्रवार को चंडीगढ़ में पत्रकारों से बातचीत में भाजपा पर तीखे निशाने साधे। इस दौरान कांग्रेस ने ऐलान किया है कि पार्टी हरियाणा में सरकार नहीं बनाएगी, बल्कि सरकार के पास बहुमत नहीं होने पर राष्ट्रपति शासन लगाया जाए। नेताओं का कहना है कि इसमें एक दिन की देरी भी घातक साबित हो सकती है। साथ ही कांग्रेस नेताओं ने चुनाव आयोग से पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल की जेड प्लस सिक्योरिटी हटाने की भी मांग की है। उनका आरोप है कि सरकार सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग कर रही है।
उल्लेखनीय है कि पहले कांग्रेस विधायक दल शुक्रवार को उपनेता आफताब अहमद की अगुआई में चंडीगढ़ राजभवन पहुंचा, लेकिन राज्यपाल से नेताओं से मिलने से पहले ही निकल गए। चूंकि कांग्रेस को राज्यपाल से मुलाकात का समय नहीं मिला था। इस दौरान कांग्रेस विधायक दल के उपनेता आफताब अहमद और चीफ व्हिप बीबी बत्रा ने राजभवन में अपना ज्ञापन सौंपा है। इस दौरान कांग्रेस नेताओं ने ऐलान किया कि वह अब सरकार नहीं बनाएंगे, बल्कि सरकार के पास बहुमत नहीं होने पर राष्ट्रपति शासन लगाया जाए।
वहीं हरियाणा में अल्पमत में आई सरकार को बचाने के लिए भाजपा ने नया प्लान तैयार कर लिया है। भाजपा के सूत्रों की मानें तो सरकार को गिरने से रोकने के लिए जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) के 3 बागी विधायक इस्तीफा दे सकते हैं। इनमें देवेंद्र बबली, रामनिवास सुरजा खेड़ा और जोगीराम सिहाग शामिल हो सकते हैं।
वहीं प्रेस वार्ता को सम्बोधित करते हुए कांग्रेस नेता आफताब अहमद का आरोप लगाया कि भाजपा वर्ष 2019 से ही विधायकों की खरीद-फरोख्त में जुटी है। ऐसे में कांग्रेस ने जजपा, इनेलो और समर्थन वापस लेने वाले निर्दलीय विधायकों के साथ राज्यपाल के नाम अपना पत्र सौंप दिया है। अब उनका फर्ज बनता है कि वह भी अपनी कार्रवाई को आगे बढ़ाएं। आफताब ने कहा कि भाजपा को अब सत्ता में बना रहने का नैतिक अधिकार नहीं रहा है।
उन्होंने कहा कि अगर कांग्रेस के 30 विधायकों की परेड की बात है तो राज्यपाल निर्देश करें, पार्टी अपने विधायकों को उनके सामने पेश करने के लिए तैयार है। भाजपा के पास विधायकों की संख्या घटने के बाद 43 बची है। उन्होंने कहा कि नैतिकता के आधार पर सरकार को भी अपना त्यागपत्र दे देना चाहिए। राज्यपाल का कर्तव्य बनता है कि वह प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू करें। इसके बाद जल्द से जल्द विधानसभा चुनाव करवाए जाएं, ताकि जनता अपने विचार को वोट के माध्यम से प्रस्तुत कर सके।
वहीं सूत्रों की मानें तो वीरवार को पानीपत में पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल के साथ बैठक में रणनीति तैयार की गई है। जिसमें यह चर्चा की गई कि अगर फ्लोर टेस्ट या अविश्वास प्रस्ताव आता है तो फिर विपक्ष के गणित को फेल करने के लिए यह कदम उठाया जा सकता है। हरियाणा विधानसभा में भाजपा के ही स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता है तो तीनों विधायकों का इस्तीफा स्वीकार करने में कोई दिक्कत नहीं होगी। इसके बाद हरियाणा विधानसभा में 88 में से 85 विधायक बचेंगे और भाजपा का समूचे विपक्ष से एक विधायक ज्यादा हो जाएगा।
उधर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने प्रदेश में सरकार बनाने से इनकार कर दिया है। उन्होंने कहा कि सवाल हमारा सरकार बनाने का नहीं है, सरकार के लिए सिर्फ 3 महीने ही बचे है। सवाल यह है कि अब सरकार अल्पमत में है। भाजपा नंबर साबित करें, विधायकों की परेड कराएं। उन्होंने दावा किया कि अभी 45 विधायक सरकार के खिलाफ हैं। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष उदयभान ने दिल्ली में कहा कि भाजपा सरकार बचाने के लिए हॉर्स ट्रेडिंग कर सकती है, इसलिए फ्लोर टेस्ट होना चाहिए। सरकार को बहुमत साबित करना चाहिए। यदि नहीं करते हैं तो राष्ट्रपति शासन लगना चाहिए। राष्ट्रपति शासन लगेगा तो हॉर्स ट्रेडिंग नहीं होगी।
बता दें कि हरियाणा विधानसभा में कुल 90 विधायक हैं। अभी 2 सीटें खाली हैं। मौजूदा वक्त में 88 विधायक हैं। भाजपा के पास 40 अपने, 2 निर्दलीय और 1 हलोपा विधायक को मिलाकर 43 विधायक हैं। वहीं विपक्ष के पास 30 कांग्रेस, 10 जजपा, 1 इनेलो और 4 निर्दलीय विधायक यानि कुल 45 विधायक माने जा रहे हैं। जजपा के 6 विधायक अभी बागी हो चुके हैं। अगर उनमें से 3 विधायक इस्तीफा दे दें तो भाजपा के पास तो 43 विधायक ही रहेंगे, लेकिन विपक्ष के पास 42 विधायक ही रह जाएंगे। ऐसे में भाजपा के पास बहुमत हो जाएगा।
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