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नगर निगम में करोड़ों की गड़बड़ी, सरकार तक पहुंची बात

BY: • LAST UPDATED : March 30, 2021

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फरीदाबाद/देवेंद्र कौशिक

नगर निगम में हर वक्त नए नए घपले और गड़बड़ी की बात सरकार तक पहुंच रही है, ऐसा ही एक और मामला सीएम अनाउंसमेंट से जुड़ा है. जिसके कार्य की शैली में परिवर्तन कर लागत बढ़ा दी गई और सरकार से इसकी इजाजत भी नहीं ली गई है. नगर निगम सूत्रों की मानें तो चीफ इंजीनियर स्तर पर हुई इस गड़बड़ी के कारण जहां सेक्टर 12 में बन रहे नए नगर निगम बिल्डिंग की लागत 42 करोड़ रूपये थी. तो अब वह बढ़ कर 52 करोड़ रूपये के करीब हो चुकी है. इस गड़बड़ी की सूचना जब नगर निगम कमिश्नर यशपाल यादव को दी गई तो उन्होंने तुरंत मौके का मुआयना किया, और देखा कि अभी तक केवल बेसमेंट का काम ही पूरा हुआ है, जबकि 7 मंजिला बिल्डिंग का काम अभी बाकी है, और ठेकेदार ने 21 करोड़ रूपये की पेमेंट का बिल लगा दिया है. बाकी के बचे हुए पैसों में 7 मंजिला बनाने का काम नहीं हो सकता है, इसलिए अब सरकार को कमिश्नर ने इस गड़बड़ी की सूचना दी है, जिसके बाद ये कयास लगाए जा रहे हैं कि बड़े अधिकारियों पर कार्रवाई हो सकती है।

ठेकेदार और अधिकारियों ने मिल कर की गड़बड़ी

बता दें कि नगर निगम मुख्यालय इस वक्त एनआईटी में है, लोगों की मांग थी कि मुख्यालय सेक्टर 12 में बनाया जाए. इसको लेकर सीएम अनाउंसमेंट 7 जून 2015 को हुई थी, जिसमें मुख्यमंत्री ने नया निगम मुख्यालय बनाने की घोषणा की है, इसमें प्लान और ड्राइंग बनाई गई, भव्य बिल्डिंग 7 मंजिला बनाई जानी है जिसमें बेसमेंट भी होगा, वहीं पार्षदों के लिए अलग रूम, अधिकारियों के लिए रूम और कांफ्रेंस हॉल का प्रावधान भी इसमें करना है.

नगर निगम ने करीब 42 करोड़ 40 लाख का एस्टीमेट बना कर ठेकेदार को काम सौंप दिया है, ठेकेदार ने 25 अक्टूबर 2018 में कार्य शुरू किया और इसे अक्टूबर 2021 को पूरा करना है, लेकिन अभी तक ये काम आधा भी पूरा नहीं हो सका है. नगर निगम अधिकारियों के अनुसार चीफ इंजीनियर कार्यालय में बिल्डिंग के स्कोप ऑफ वर्क में कुछ ज्यादा चीजें जोड़ दी गई हैं, अच्छी क्वालिटी का सीमेंट इस्तेमाल समेत बिल्डिंग की चौड़ाई भी बढ़ा दी गई, लेकिन इसके लिए सरकार से अधिकारियों ने इजाजत नहीं ली.

जबकि किसी भी एस्टीमेट और कार्य की शैली में परिवर्तन होता है तो उससे पहले सरकार से इजाजत ली जाती है. लेकिन नगर निगम अधिकारियों और ठेकेदार ने सांठ गांठ करके एस्टीमेट को अपने स्तर पर ही बदल दिया जो बड़ी गड़बड़ी की तरफ इशारा कर रहा है, एस्टीमेट बदलने से बिल्डिंग की लागत भी बढ़ गई है।

कमिश्नर ने सरकार को लिखी चिट्टी, कमेटी की गठित

नगर निगम कमिश्नर यशपाल यादव को जब इस बारे में पता चला कि ठेकेदार ने 21 करोड़ रूपये का बिल लगा दिया है, और कार्य केवल बेसमेंट बनाने तक हुआ है, तो वह हैरान रह गए क्योंकि आधे से ज्यादा पेमेंट होने का मतलब है, कि आधा काम पूरा हो जाना लेकिन ठेकेदार ने केवल बेसमेंट ही तैयार किया है. जबकि 7 मंजिला बिल्डिंग बननी अभी बाकी है, इसके अलावा कुछ बदलाव जो किये गए उससे पहले सरकार से इजाजत नहीं ली गई, इसलिए यशपाल यादव ने सरकार को लेटर लिख दिया है. और पूछा है कि इसमें आगे क्या कार्रवाई की जाए, वहीं एक कमेटी का गठन एसई रवि शर्मा की अध्यक्षता में किया गया है ताकि वह पूरे कार्य की डिटेल उन्हें दें।

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