India News Haryana (इंडिया न्यूज), Scam In Labour Fund : हरियाणा में बिल्डिंग एंड अंडर कंस्ट्रक्शन वर्कर्स वेलफेयर बोर्ड के फंड में गबन किए जाने का मामला सामने आया है, जिसमें करोड़ों रुपये की हेराफेरी करने के आरोप सामने आ रहे हैं। आरोप है कि निर्माण कार्यों में लगे श्रमिकों के नाम पर फर्जी कार्ड बनाकर सरकारी फंड से राशि निकालने का खेल किया गया। सूत्रों के मुताबिक यह गबन क़रीब 20 हज़ार से अधिक फर्जी कार्डों के माध्यम से हुआ है, जिनमें श्रम विभाग के कर्मचारी और अधिकारी भी शामिल हैं।
उल्लेखनीय है उक्त मामले में एडवोकेट सुभाष चंद्र पाटिल ने एक लंबी लड़ाई लड़ी है और फरवरी 2020 में पहली बार सीएम विंडो पर शिकायत दर्ज करवाई थी। उनके मुताबिक, श्रमिकों के लिए 21 योजनाएं हैं, जिनमें मातृत्व व पितृत्व लाभ, बच्चों की शिक्षा के लिए वित्तीय सहायता, कन्यादान योजना, सिलाई मशीन योजना और औजार खरीदने तक की योजनाएं शामिल हैं। फर्जी श्रमिकों के नाम पर राशि निकालने का खेल किया गया है।
शिकायतकर्ता का आरोप है कि इस गबन में दलालों और अफसरों की मिलीभगत रही है। बड़ी शातिरता के साथ फर्जी श्रमिकों को खड़ा करने के बाद अधिकारियों से मिलकर बोर्ड से राशि निकाली गई, जिसमें 2 लाख रुपए की मदद लेने के लिए झूठा मरने का प्रमाणपत्र भी बनवाया गया। इस मामले में एक महिला के खिलाफ केस भी दर्ज किया जा चुका है।
एडवोकेट पाटिल ने बताया कि उनकी शिकायत के बाद एसीएस ने संयुक्त निदेशक की देखरेख में एक कमेटी बनाई, जिसने एक महीने की जांच के बाद एनके सिंघल और हरेंद्र मान समेत 15 कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की थी। इसके अलावा, उच्च स्तरीय एसआईटी की जांच की भी सिफारिश की गई थी।
बता दें उक्त मामले में एसआईटी ने करीब तीन महीने की जांच के बाद अपनी रिपोर्ट पेश की, जिसमें 3600 फर्जी मामले सामने आए और लगभग 10 करोड़ रुपए का फर्जीवाड़ा पाया गया। बावजूद इसके अभी तक अफसरों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। वहीं शिकायतकर्ता ने इस मामले में हाईकोर्ट में याचिका दायर की, जहां राज्य लेबर कमिश्नर ने मामले में मोहलत मांगी और केस दर्ज कराया। इस इतने बड़े फर्जीवाड़े ने हरियाणा में श्रमिक कल्याण योजनाओं की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
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