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Deenbandhu Chhotu Ram University Sonipat में वीसी के विरोध में बुद्धि-शुद्धि हवन करवाया 

India News Haryana (इंडिया न्यूज), Deenbandhu Chhotu Ram University Sonipat : सोनीपत की दीनबंधु छोटू राम यूनिवर्सिटी (DCRUST) में लगातार पीएचडी शोधार्थियों का वीसी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन जारी है। प्रदर्शन के तहत बुधवार को यूनिवर्सिटी में वीसी के विरोध में बुद्धि-शुद्धि हवन यज्ञ करवाया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि यह प्रदर्शन पिछले 8 दिन से लगातार जारी है। यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर के खिलाफ यह धरना प्रदर्शन हो रहा है। शोधार्थियों के समर्थन में टीचिंग स्टाफ और नॉन टीचिंग स्टॉफ भी प्रदर्शन कर रहे हैं। शोधार्थियों ने ऐलान किया है कि जब उनकी मांगे पूरी नहीं होंगी तब तक यह धरना जारी रहेगा।

Deenbandhu Chhotu Ram University Sonipat : अपनी मनमानी कर रहे है नए चीफ वार्डन

उल्लेखनीय है कि यूनिवर्सिटी में 80 विद्यार्थी फुल टाइम और 20 विद्यार्थी पार्ट टाइम पीएचडी कर रहे हैं। आरोप है कि अवैध रूप से चीफ वार्डन को हटाकर नए चीफ वार्डन एके सिंह की नियुक्ति की गई है और नए चीफ वार्डन अपनी मनमानी कर रहे है। 4 साल पूरे होने के बाद विद्यार्थियों को हॉस्टल से निकालने के आदेश जारी किए गए हैं। पीएचडी शोधार्थी 5 से 8 साल तक शोध करते हैं। आरोप है कि नए वार्डन ने उन्हें 4 साल के बाद हॉस्टल छोड़ने के लिए कहा है। बॉयज हॉस्टल में रहने वाले 15 पीएचडी स्कॉलर स्टूडेंट है, जिसमें से 4 साल की कंडीशन में शामिल 6 शोधार्थी को जाने के लिए कहा गया है।

वार्डन और चीफ वार्डन के खिलाफ जांच की मांग

आरोप ये भी लगाए जा रहें कि वीसी की मीटिंग के बिना ही चीफ वार्डन विजय कुमार को हटाया गया और नए चीफ वार्डन एके सिंह की नियुक्ति की गई है। हॉस्टल छात्र फंड के दुरुपयोग करने का भी आरोप लगाया जा रहा है। साथ ही वार्डन और चीफ वार्डन के खिलाफ जांच की मांग उठाई गई है।

ये हैं विद्यार्थियों के मांगे

मांग की जा रही है कि पीएचडी संबिशन के लिए Web of Science में प्रकाशित शोध पत्र की शर्त को हटाकर UGC CARE की शर्त लागू की जाए। वहीं लड़कियों के हॉस्टल की टाइमिंग 7 बजे से बढ़ाकर 10 बजे की जाए ताकि लैब में आराम से काम किया जा सके। साथ ही बताया गया है कि सेंट्रल इंस्ट्रूमेंट लैबोरेट्री में कोई भी इंस्ट्रूमेंट वर्किंग में नहीं है, जिसके चलते शोधार्थियों को बाहर जाकर काम करना पड़ता है और अलग से पैसे खर्च करने पड़ते हैं। (eg. XRD, FTIR, BET, TGA-DSC) सभी टेस्ट की सुविधा शोधार्थियों को मुफ्त में उपलब्ध करवाई जाए।

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Anurekha Lambra

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