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Demand of Separate Capital and High Court : विधानसभा चुनाव से पहले उठ रही अलग राजधानी और हाईकोर्ट की मांग 

BY: • LAST UPDATED : July 8, 2024

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India News Haryana (इंडिया न्यूज), Demand of Separate Capital and High Court : हरियाणा में अक्टूबर में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले प्रदेश के लिए अलग से राजधानी और हाईकोर्ट की मांग लगातार उठ रही है। इसको लेकर बुद्धिजीवी वर्ग के लोग लगातार यह मांग यह कहते हुए उठा रहे हैं कि हरियाणा के लिए अलग राजधानी और हाईकोर्ट होना सांस्कृतिक राजनीतिक और आर्थिक हर लिहाज से जरूरी है।

Demand of Separate Capital and High Court : मुहिम को मिला भारी समर्थन

इसी कड़ी में नरवाना में इस मुहिम को अप्रत्याशित समर्थन जनप्रतिनिधियों व विभिन्न किसान एवं सामाजिक संगठनों से मिला। कार्यक्रम की अध्यक्षता मोर खाप के प्रधान रणधीर सिंह मोर ने की और उन्होंने कहा कि हरियाणा अलग होने के बाद हर किसी संगठन ने प्रदेश के असल मुद्दे को उठाने का काम किया है। कार्यक्रम की संयोजक एवं मुख्य वक्ता विमला चौधरी ने हरियाणा की अलग राजधानी और अलग हाईकोर्ट होना चाहिए। हरियाणा की अधिकतर बार एसोसिएशनों ने इस अभियान का समर्थन किया है।

हरियाणा को पंजाब से अलग हुए 57 वर्ष बीत चुके

बिमला चौधरी ने कहा कि हरियाणा को पंजाब से अलग हुए अब तक 57 वर्ष हो गए हैं। लेकिन हरियाणा को अलग से राजधानी और हाईकोर्ट नहीं मिला। संयुक्त पंजाब की राजधानी चंडीगढ़ को केंद्र प्रशासित घोषित कर दोनों राज्यों की सांझी राजधानी बना दिया गया। हरियाणा को अलग होने के बावजूद आज तक पहचान नहीं मिल पाई। चौधरी ने कहा कि विडंबना इस बात की भी है कि रेलवे स्टेशन पंचकूला बनाया गया है और पूरी दुनिया के नक्शे पर इसे चंडीगढ़ का रेलवे स्टेशन कहा जाता है। इसी तरह एयरपोर्ट के लिए हरियाणा का योगदान भी है। लेकिन इसे मोहाली का एयरपोर्ट कहा जाता है। मांग के समर्थन में बिमला चौधरी ने कहा कि हरियाणा का अलग हाईकोर्ट नहीं होने के कारण हरियाणा के जजों को टाइम पर प्रमोशन भी नहीं मिल पाता। अलग राजधानी और अलग हाईकोर्ट हरियाणा प्रदेश की जनता का हक है और यह हक मिलना चाहिए। प्रदेश की राजधानी चाहे सरकार जहां भी बनाए वह उनकी शान होगी।

अलग हाईकोर्ट बनने पर मिलेगा समय पर न्याय

अलग हाई कोर्ट बनेगा तो लोगों को समय उनको न्याय मिलेगा। प्रदेश की अलग राजधानी अलग हाईकोर्ट के महत्व पर जरूर पर प्रकाश डाला उन्होंने कहा कि हरियाणा की 1966 में सदियों बाद हरियाणा क्षेत्र को पूर्ण प्रशासनिक इकाई के रूप में मान्यता मिली। इसी समय हिमाचल प्रदेश का गठन हुआ था, परंतु हिमाचल प्रदेश के राजनीतिक चिंतकों ने परिपक्व दूर दृष्टि का परिचय देते हुए अपनी अलग राजधानी और उच्च न्यायालय बनाकर अपने प्रदेश का एक अलग पहचान और पूर्णतया प्रदान कर ली। उन्होंने आगे कहा कि प्रशासनिक अधिकारियों ने एक स्वर में मजबूती से हरियाणा की नई राजधानी और अलग-अलग हाईकोर्ट की जोरदार मांग उठाई गई। उन्होंने कहा कि हरियाणा को पंजाब से अलग हुए बेशक 57 वर्ष हो गए हैं। लेकिन दुर्भाग्य इस बात का है कि पूर्ण स्वायत्त राज्य का दर्जा अब तक नहीं मिल सका।

अलग राजधानी और अलग हाईकोर्ट की मांग मानवाकर ही रहेंगे

उन्होंने कहा कि हरियाणा के इस महत्वपूर्ण मुद्दे को उजागर करने के लिए समाज के अन्य वर्गों से भी शामिल किया जा रहा है और नरवाना सहित उतरी भारत के किसान संगठनों व बुद्धिजीवी लोगों ने इस अभियान का अहम हिस्सा बनेंगे और अलग राजधानी अलग हाईकोर्ट की मांग को मानवाकर रहेंगे। उन्होंने कहा क्या भले ही वे अलग राजधानी और अलग हाईकोर्ट की मांग कर रहे हैं। लेकिन चंडीगढ़ पर हरियाणा का हक नहीं छोड़ा जाएगा। उन्होंने कहा कि हरियाणा देश का एकमात्र राज्य है जिसकी अपनी राजधानी नहीं है और प्रदेशों के विपरीत यहां राज भाषा चंडीगढ़ का प्रयोग किया जाता है। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे को प्रमुखता से उठते और केंद्र व प्रदेश सरकार पर दबाव बनाने के लिए समाज के सभी वर्गों को साथ लिया जाएगा।

14 लाख से अधिक मामले कोर्ट में लंबित

उन्होंने बताया कि प्रदेश के अनेक अधिवक्ता हरियाणा पंजाब के अलग बार काउंसिल की प्रमुखता से मांग उठा रहे हैं। उन्होंने बताया कि रिकार्ड के अनुसार हरियाणा के 14 लाख से अधिक मामले हरियाणा के विभिन्न जिलों में सेशन कोर्ट अधिनिष्ठ न्यायालयों के समक्ष लंबित है और जबकि करीब 62 लाख से अधिक मामले उच्च न्यायालय के समक्ष लंबित है। यही नहीं लाखों मामले अन्य अयोग, न्यायाधिकरणों और प्राधिकरण के समक्ष लंबित है। उन्होंने कहा कि कोर्ट केसों के त्वरित निर्णय के लिए हरियाणा और पंजाब दोनों राज्यों को अलग उच्च न्यायालय की आवश्यकता है।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए किसान नेता सरदार संतोख सिंह ने कहा कि किसी भी प्रदेश की पहले पहचान उसकी राजधानी होता है। लेकिन प्रदेश को तो 57 वर्ष बाद भी यह सौभाग्य प्राप्त नहीं हुआ है। अलग राजधानी अलग हाई कोर्ट मिले इसके लिए जन आंदोलन बनना पड़ेगा। हरियाणा प्रदेश अपने आप में पूर्ण राज्य बने इसके लिए राजधानी की पहली आवश्यकता है और लोगों को समय पर न्याय मिले इसके लिए हाई कोर्ट की आवश्यकता है।

उन्होंने हरियाणा बनाओ अभियान के संयोजकों को बधाई दी और कहा निश्चित ही अभियान के संयोजकों ने सोच विचार के बाद यह कार्यक्रम उठाया है और उसको कामयाब होने तक हर वर्ग का सहयोग मिलना आवश्यक है। कार्यक्रम को वीरेंद्र मोर, बलवान सुंदरपुर, बलविंदर, वीरभान  जगदीश, ओमप्रकाश चोपड़ा  सरपंच राजेंद्र सिंह, ज्ञानी बलविंदर सिंह खालसा, नंबरदार सतीश दिल्ली ने संबोधित किया और मुद्दे का समर्थन करते हुए मांग मंगवाने तक अभियान जारी रखने का संकल्प लिया।

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