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Sonipat News: सोनीपत में अलग अंदाज में प्रदर्शन, घोड़े पर आए जिला परिषद ने सरकार से कर डाली बड़ी मांग

PUBLISHED BY: • LAST UPDATED : October 23, 2024

India News Haryana (इंडिया न्यूज), Sonipat News: आपने शायद ही पहले कभी ऐसा प्रदर्शन देखा होगा। दरअसल, सोनीपत के जिला पार्षद ने हरियाणा सरकार के सामने एक बड़ी मांग रख दी है, सोनीपत में जिला पार्षदाें ने एकत्रित होकर नगर निगम पार्षदाें की तर्ज पर कार्य करने की शक्ति और उन्हें ग्रांट मुहैया करवाने की मांग की है। लेकिन इस प्रदर्शन की खास बात तो यह है कि जिला परिषद घोड़े पर बैठकर सड़क पर निकले। दरअसल, जिला पार्षद संजय बड़वासनी घोड़े पर बैठ सिर पर गठड़ी रखकर बाकी जिला पार्षदों के साथ रोष जताते हुए पुलिस लाइन से अतिरिक्त उपायुक्त कार्यालय तक पहुंचे। अब उनकी इस प्रदर्शन की फोटो भी सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही है।

  • संजय ने बताया इस अंदाज की वजह
  • विकास कार्यों के लिए की बड़ी रकम की मांग

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संजय ने बताया इस अंदाज की वजह

संजय के इस अंदाज को लेकर देशभर में चर्चा हो रही है। अब इसे लेकर संजय बड़वासनी ने कहा कि सिर पर गठड़ी रखने का मतलब यह है कि सभी जिला पार्षदों पर करीब 18-18 गांवों के विकास कार्यों का बोझ है। उन्हें इन गांवों में विकास के लिए सांसद और विधायक की तर्ज पर वर्ष में एक बार कोटा दिया जाए, ताकि वो गांवाें में विकास कार्य करवा सकें। विकास कार्यों के लिए सरकार की ओर से बहुत कम ग्रांट दी जा रही है।

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विकास कार्यों के लिए की बड़ी रकम की मांग

आपकी जानकारी के लिए बता दें, पार्षदों ने विआस कार्यों को करवाने के लिए सरकार से बड़ी रकम की मांग की है। दरअसल उन्होंने राज्य सरकार से मांग की है कि प्रत्येक पार्षद का ग्रांट के अतिरिक्त एक करोड़ रुपये मुहैया करवाया जाए, ताकि वो विकास कार्य को आसानी से करवा सकें। आज नगर परिषद के पार्षद के पास 15 हजार, जिला पार्षद के पास वार्ड की 55 से 60 हजार वोट है, जबकि नगर निगम पार्षद 70 से 80 करोड़ रुपये हर साल लगा रहा है। इसके अलावा उन्होंने कहा कि जिला पार्षद की ओर से दो साल में 40 से 45 लाख रुपये ही लगाए जा रहे हैं। सरकार ने जिला पार्षदों के हाथ बांधने का काम किया है।

ऐसे में वो विकास कार्य करवाने में संपन्न नहीं हैं। जहाँ सरकार पराली का मसला सुलझाने में लगी है वहीँ अब उनके लिए पार्षदों की मांग एक बड़ी जिम्मेदारी बनकर खड़ी हो गई है। अब देखना यह है क्या राज्य सरकार पार्षदों की इस मांग पर ध्यान देगी या कुछ और समाधान निकालेगी।

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