India News Haryana (इंडिया न्यूज), Dengue : स्वास्थ्य विभाग के तमाम प्रयासों के बावजूद हरियाणा में डेंगू के नए मामले नियंत्रित नहीं हो पा रहे और डेंगू की रोकथाम के लिए कोई अतिरिक्त कदम नहीं उठाया तो प्रदेश में भयावह स्थिति पैदा हो सकती है। इसी कड़ी में यह भी सामने आया है जिस तरह से प्रदेश में डेंगू के मामले बढ़ रहे हैं, उनकी तुलना में फॉगिंग कम की जा रही है।
प्रदेश के पंचकूला में कुल मामलों में से अब तक करीबन एक तिहाई रिपोर्ट हुए हैं जो जिले में स्थिति की भयावहता को दर्शाता है। इसके अलावा जीटी रोड बेल्ट पर पड़ने वाले कई जिलों में डेंगू के केस लगातार रिपोर्ट हो रहे हैं, जिसके चलते स्थिति चिंताजनक हो गई है। हिसार औरे पंचकूला डेंगू का हॉट स्पॉट सेंटर बन गए हैं। सबसे ज्यादा प्रभावित इलाकों में हिसार, पंचकूला, गुरुग्राम, पानीपत करनाल, रेवाड़ी, सोनीपत व कुरुक्षेत्र जिले हैं।
हरियाणा में बीमारी से इस साल अब तक 5 लोगों की जान जा चुकी है। हालांकि माना जा रहा है कि ज्यादातर लोगों की मौत बीमारी से हुई है लेकिन विभाग द्वारा कुछ मौत को संदिग्ध मौत की कैटेगरी में रखा है। वहीं ये भी बता दें कि हरियाणा में पिछले साल 2022 में बीमारी से सबसे ज्यादा 18 लोगों की मौत हुई थी।
2015 में बीमारी ने 13 लोगों की जान ले ली। 2016 से लेकर साल 2020 तक 5 साल की अवधि में बीमारी से कोई मौत नहीं हुई है। साल 2015 से लेकर 2023 तक 9 साल की अवधि में कुल 44 लोगों की मौत हई है। इस लिहाज से हर साल औसतन 5 से ज्यादा लोगों की मौत बीमारी के चलते हई है।
हरियाणा में प्रचलित सभी चार वीबीडी को महामारी रोग अधिनियम 1897 के तहत 31 मार्च 2027 तक अधिसूचित किया गया है और सभी निजी अस्पतालों/प्रयोगशालाओं को अधिसूचना जारी कर दी गई है कि वे प्रत्येक मामले की जानकारी पता लगने के 24 घंटे के भीतर स्वास्थ्य अधिकारियों को दें। मलेरिया के निदान के लिए सभी जिलों में घर-घर जाकर बुखार की निगरानी तेज कर दी गई है। मई से अक्टूबर तक हर महीने की 1 से 10 तारीख तक मलेरिया के लिए बुखार के मामलों की जांच के लिए सभी गांवों में रैपिड फीवर सर्वे किया गया। सभी जिलों में डेंगू की जांच को मजबूत किया गया है।
सीएचसी/पीएचसी स्तर पर भी रक्त के नमूने लेने शुरू कर दिए गए हैं, जिसमें उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया गया है। राज्य में कुल 27 डेंगू जांच प्रयोगशालाएं कार्यरत हैं, जिनमें से प्रत्येक जिले में कम से कम एक प्रयोगशाला है। इसके अलावा, निजी अस्पतालों/प्रयोगशालाओं को अनुशंसित डेंगू जांच (एलिसा आधारित एनएस1/आईजीएम) के लिए अधिकतम 600 रुपए शुल्क लेने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
राज्य के सरकारी अस्पतालों में भर्ती हरियाणा के मूल निवासी डेंगू रोगियों के लिए निःशुल्क सिंगल डोनर प्लेटलेट्स (एसडीपी) का प्रावधान किया गया है। वर्तमान में, राज्य में कुल 7 प्लेटलेट एफेरेसिस सुविधाएं कार्यरत हैं (सिविल अस्पताल पंचकूला, गुरुग्राम, हिसार और फरीदाबाद, पीजीआईएमएस रोहतक, केसीजीएमसी करनाल और बीपीएसजीएमसी खानपुर कलां, सोनीपत)। इसके अलावा, सरकारी अस्पतालों में भर्ती हरियाणा के मूल निवासी डेंगू रोगियों को निजी ब्लड बैंकों से निःशुल्क एसडीपी प्रदान करने का भी प्रावधान किया गया है, जिसका खर्च राज्य सरकार द्वारा वहन किया जाता है।