सोशल मीडिया से जुड़े लोग नहीं ले सकेंगे सरकारी बाइट और वर्जन

मनोज मलिक, Kaithal: फेसबुक और यूट्यूब पर अनधिकृत रूप से खबरें चलाने वालों पर प्रतिबंध लगाने की मांग को लेकर कैथल के प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से जुड़े पत्रकार आज उपायुक्त प्रदीप दहिया से उनके आॅफिस में मिले। पत्रकारों ने अपनी मांगों का ज्ञापन भी उपायुक्त को सौंपा। ज्ञापन में कहा गया कि कुछ लोग अनधिकृत रूप से फेसबुक और यू-ट्यूब पर खबरें दिखाते हैं, जिसका उनको कोई अधिकार नहीं है।

इनके कोई चैनल आरएनआई से मंजूर या अधिकृत नहीं हैं। ये गैरकानूनी रूप से खबरें चलाते हैं जोकि रजिस्ट्रेशन आॅफ प्रेस एंड बुक एक्ट का भी उल्लंघन है। ज्ञापन में कहा गया है कि ये लोग दर्जनों की संख्या में प्रेस वार्ता और अन्य सरकारी व गैर सरकारी कार्यक्रमों में आ धमकते हैं और असली पत्रकारों के लिए परेशानी खड़ी करते हैं। ये लोग प्रेस वार्ता में आयोजक से अनाप-शनाप सवाल पूछते हैं।

ये लोग सरकारी अधिकारी, विधायकों, सांसदों और मंत्रियां के इंटरव्यू करते हैं और वर्जन लेते हैं। इसी प्रकार सरकार द्वारा स्थापित किए गए मीडिया सेंटर में भी कुछ लोग अकारण पड़े रहते हैं। वहां पर भी ये अन्य पत्रकारों के लिए परेशानी का सबब बने हुए हैं। पत्रकारों ने मांग की है कि ऐसे पत्रकारों की कवरेज पर प्रतिबंध लगाया जाए और मीडिया सेंटर में इनका आना बंद किया जाए।

पत्रकारों के साथ बैठक में उपायुक्त प्रदीप दहिया ने लिया निर्णय

उपायुक्त प्रदीप दहिया ने कहा कि यदि ऐसा कोई व्यक्ति जो किसी पत्रकारिता के संस्थान से नहीं जुड़ा और व्यक्तिगत रूप में किसी कार्यालय व संस्थान में जाकर अपने आपको मीडिया कर्मी बताकर कवरेज करता है तो उसके खिलाफ प्रशासन द्वारा कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ऐसे व्यक्ति को मीडिया की श्रेणी में न समझा जाए। उन्होंने कहा कि मीडिया कर्मियों व जिला प्रशासन के अधिकारियों के साथ बातचीत करने के बाद यह निर्णय लिया गया कि कुछ ऐसे व्यक्ति जिनके पास रजिस्टार आॅफ न्यूजपेपर फॉर इंडिया (आरएनआई) व सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार से रजिस्ट्रड संस्थान का नियुक्ति पत्र नहीं हैं, ऐसे व्यक्ति को मीडिया कर्मी की श्रेणी में शामिल नहीं माना जाएगा। जिला प्रशासन ने फैसला लिया है कि कोई भी व्यक्ति कानून को अपने हाथ में न ले। बिना नियम के ऐसी खबर न दिखाएं जो जन हित में नहीं है। यदि कोई व्यक्ति नियम के अनुसार कार्य नहीं करता, उसके खिलाफ तथ्यों के आधार पर कार्यवाही अमल में लाई जाएगी।

मीटिंग से डीआईपीआरओ हुए नदारद

जब पत्रकार उपायुक्त से बात कर रहे थे तो इसी बीच विधायक लीला राम वहां आए। उपायुक्त ने शिष्टाचार के नाते उन्हें अंदर रिटायरिंग रूम में बैठने को कहा। डीआईपीआरओ धर्मवीर सिंह भी विधायक के साथ अंदर रिटायरिंग रूम में चले गए और जब तक पत्रकारों से डीसी की मीटिंग चली वे बाहर नहीं आए। यहां महत्वपूर्ण है कि पत्रकार अपनी समस्या लेकर डीसी से मिलने आए थे जोकि डीआईपीआरओ कार्यालय से संबंधित थी। डीआईपीआरओ को वहां बातचीत में बैठना चाहिए था।

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