India News Haryana (इंडिया न्यूज), ICAR-IIWBR Karnal : नवंबर का महीना करीब आधा आने वाला है। लेकिन बीते सालों की अपेक्षा इस बार ठंड कम है। जो किसानों के लिए एक चिंता का विषय बना हुआ है। क्योंकि हरियाणा में गेहूं की बिजाई चल रही है और गेहूं की बिजाई के लिए सर्दियों का मौसम सबसे उचित माना जाता है। जितनी ज्यादा सर्दियां होती है उतनी ही गेहूं की ज्यादा पैदावार होती है और जिस समय गेहूं की बिजाई करते हैं उस समय से सर्दियां शुरू हो जाती है लेकिन इस बार अन्य वर्षो की अपेक्षा कम ठंड है जिसके चलते किसानों के चेहरे पर चिंता की लकीरें साफ दिखाई दे रही है।
जिस किसान भाई ने अपने खेत में धान की कटाई के बाद खेत की बुवाई करने के बाद पानी लगाया था। उनके खेत तो अभी तक गेहूं की बिजाई के योग्य नहीं हुई है क्योंकि इस बार हवा भी नहीं चल रही, जिसे किसानों की गेहूं में देरी हो रही है। तो इन्हीं सभी मुद्दों पर भारतीय गेहूं एवं जो अनुसंधान संस्थान करनाल के निदेशक से बातचीत की और जाना की मौजूदा समय में जो मौसम बना हुआ है उसका गेहूं की बिजाई पर क्या प्रभाव पड़ेगा।
डॉ रतन तिवारी निदेशक भारतीय गेहूं एवं जौं अनुसंधान संस्थान करनाल ने बताया कि इस बार मौसम में इतनी ठंडक नहीं हुई है अभी एक दिन से ही मौसम में थोड़ी ठंडक हुई है लेकिन पिछले कुछ दिनों में तापमान ज्यादा नीचे नहीं गया जिसके चलते कुछ किसानों को ऐसा लग रहा है कि गेहूं की बिजाई में उससे कोई प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने कहा कि अभी तक गेहूं की बिजाई पर कोई भी प्रभाव नहीं पड़ने वाला है और जैसे ही आज से मौसम में एकदम से परिवर्तन हुआ है काफी अच्छा है लेकिन जींस किसान भाई ने गेहूं की बिजाई नहीं की है उनके लिए यह थोड़ी समस्या भी खड़ी कर सकता है।
संस्थान के निदेशक ने बताया कि 15 नवंबर तक गेहूं की बिजाई का सबसे उचित समय माना जाता है। लेकिन कुछ किसान भाइयों के खेत बिजाई के योग्य नहीं हुए हैं और अगर उनको किसी वजह से देरी हो रही है। तो वह भूल कर भी 25 नवंबर के बाद आगे की किस्म की बिजाई ना करें। 25 नवंबर के बाद केवल पछेती किस्म की ही बिजाई करें । संस्थान के द्वारा ऐसी कई वैरायटी निकली हुई है जो 25 नवंबर के बाद बिजी जा सकती हैं उनका ही प्रयोग करें ।
उन्होंने बताया कि किसान परंपरागत तरीके से अपने खेत में खाद डालते आ रहे हैं। एक बार बिजाई होने के बाद किसान अपने खेत में यूरिया खाद का प्रयोग करते हैं ताकि उनकी पैदावार अच्छी हो। लेकिन कृषि विशेषज्ञ ने अपनी शोध में यह पता किया है कि अगर किसान भाई पानी देने के बाद खाद डालने की बजाय पानी देने से एक दिन पहले यूरिया खाद डालते हैं तो उसमें फसल की पैदावार काफी अच्छी होती है।
इसलिए वह सभी किसानों से कहना चाहते हैं कि परंपरागत तरीके से खाद डालने की बजाय पानी देने से पहले ही खाद खेत में डाल दें जिसे पैदावार में बढ़ोतरी होगी और उनको अच्छा मुनाफा होगा। वहीं अगर किसी किसान के खेत में बिजाई के बाद सुंडी या दीमक की शिकायत मिलती है। जो पहला पानी 21 दिन पर लगाया जाता है । इसकी बजाय वह दो-तीन दिन पहले ही पानी लगाए और उसमें सुंडी के नियंत्रण के लिए किसी दवाई का इस्तेमाल करें।
उन्होंने बताया कि इस बार ज्यादातर किसान डीबीडब्ल्यू 187, डीबीडब्ल्यू 303 , डीबीडब्ल्यू 327 , डीबीडब्ल्यू 222 की ज्यादा बिजाई की गई है और यह काफी अच्छे बीज हैं इस बार ज्यादा किसानों की रुचि इसमें बनी हुई है। उन्होंने कहा कि वैसे तो संस्थान के द्वारा कहीं वैरायटी के बीज यहां पर दिए जाते हैं लेकिन किसान ज्यादातर इन वैरायटी को ही पसंद कर रहे हैं ।
उन्होंने कहा कि हर वर्ष संस्थान के द्वारा किसानों के हितों को देखते हुए नई किस्म पर काम किया जाता है और उनका काफी अच्छा लगता है जब किसान उनके द्वारा तैयार की गई किस्म को अपने खेत में लगाते हैं और उनका उत्पादन काफी अच्छा होता है। इस बार करीब 10 ऐसी किस्म है जिनके प्राइवेट फॉर्म और किसानों ने बीच बचने के लिए सर्टिफिकेट बनवाए हैं इसके चलते 11 नवंबर को दिल्ली में एक संस्थान से उनके संस्थान को प्रशंसा पत्र दिया गया है कि उनकी इन 10 किस्म को सबसे ज्यादा किसानों के द्वारा पसंद किया जा रहा है।
पिछली बार पूरे भारत में गेहूं का उत्पादन 113.29 मिलियन टन हुआ था इस बार 115 मिलियन टन लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने बताया कि गेहूं के मुख्य राज्य पंजाब और हरियाणा है लेकिन मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के भी कुछ हिस्से में गेहूं की अच्छी पैदावार होने लगी है जिसके चलते उनका अनुमान है कि हमारा उत्पादन इस बार काफी अच्छा जाने वाला है। उन्होंने कहा कि किसान सुपर सीडर से ही बिजाई करें। इसे लाइनों में बिजाई होती है और पैदावार में भी बढ़ोतरी होती है।
उन्होंने बताया कि धान की कटाई के बाद किसानों के सामने फसल अवशेष की काफी बड़ी समस्या रहती है लेकिन किसान भाई इसमें आग लगाने की बजाय खेत में ही इसका प्रबंध कर तो वह ज्यादा फायदेमंद होता है। कृषि यंत्र से खेत में जो फसल अवशेष है उसके छोटे-छोटे टुकड़े कर दे और उसको खेत में ही फैला दे , वह खाद का काम करता है और उस फसल के उत्पादन में भी बढ़ोतरी होती है।
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