इशिका ठाकुर, Haryana (Family Planning) : प्रदेश सरकार तथा स्वास्थ्य विभाग के प्रयासों के बावजूद प्रदेश में महिलाओं के मुकाबले नसबंदी को लेकर पुरुषों की संख्या के आंकड़े काफी कम हंै जो कि बेहद चिंताजनक है।
वहीं अगर करनाल स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों की बात करें तो जिले में अप्रैल-2022 से जनवरी-2023 तक महिलाओं के मुकाबले नसबंदी करवाने के लिए पुरुषों का योगदान काफी कम रहा, जिसको देखकर लगता है कि सरकार तथा स्वास्थ्य विभाग द्वारा किए जा रहे संयुक्त प्रयास पुरुषों में परिवार नियोजन के प्रति जागरुकता लाने में काफी कम रहे हैं।
स्वास्थ्य विभाग द्वारा पुरुष नसबंदी पर 2,000 रुपए प्रोत्साहन राशि देने का प्रावधान है। महिलाओं को नलबंदी पर 1,400 रुपए प्रोत्साहन राशि देने का प्रावधान है। पुरुष या महिला की नसबंदी फेल होने पर 30 हजार रुपए मुआवजे की व्यवस्था है। आॅपरेशन के दौरान मौत होने पर 2 लाख रुपए देने का भी प्रावधान है। जिलेभर में अप्रैल-2022 से जनवरी 2023 तक 2219 महिलाओं ने नलबंदी करवाई तो वहीं महिलाओं के मुकाबले कुल लगभग 260 पुरुषों ने नसबंदी करवाई है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा दिए गए आंकड़ों के अनुसार पुरुषों में नसबंदी के प्रति रुचि बेहद कम है जोकि परिवार नियोजन तथा समाज के लिए बेहद चिंताजनक है।
वहीं करनाल सीएमओ डॉक्टर योगेश शर्मा ने बताया कि पुरुष नसबंदी ज्यादा सुरक्षित होने के साथ ही किसी तरह का कोई साइड इफेक्ट नहीं होता। ये ही नहीं एनएसवी जैसी तकनीक से किसी तरह का चीरा या टांका भी नहीं लगता। जबकि महिलाओं को बड़े दर्द से गुजरना पड़ता है। वहीं पुरुषों के मुकाबले लंबे समय तक बाय पोस्ट पर रहना पड़ता है। पुरुषों में भ्रांति है कि इस आॅपरेशन से शारीरिक कमजोरी आती है परंतु ऐसा कुछ भी नहीं है। सीएमओ ने अपील करते हुए कहा कि पुरुषों को भी फैमिली प्लानिंग के लिए आगे आना चाहिए। इससे परिवार का संतुलन भी बना रहेगा और समाज का भी विकास होगा।
जिला स्वास्थ्य विभाग द्वारा दिए गए आंकड़ों से साफ तौर पर देखा जा सकता है कि परिवार नियोजन के लिए किए जा रहे सरकार तथा प्रशासन के प्रयास नाकाफी हैं। सरकार को चाहिए कि परिवार नियोजन के लिए चलाए जा रहे जागरुकता अभियान के तरीकों में बदलाव किया जाए, ताकि इनके सुखद परिणाम सामने आ सके।
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