India News Haryana (इंडिया न्यूज),Haryana News: आजादी से पहले से ही कहीं न कहीं महिलाओं की स्थति काफी बेकार और झंझोर कर रख देने वाली थी। जिसके चलते कई नेआओं ने उनकी स्थति में सुधार के लिए बड़े कदम उठाए। इसी बीच आज से ठीक 10 साल पहले यानी 22 जनवरी 2015 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी पानीपत की धरती से बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान की शुरुआत की थी। इस योजना का उद्देश्य महलाओं की स्थति में सुधार करना और अच्छी शिक्षा दिलवाना था। वहीँ इस योजना का असर हरियाणा में देखने को भी मिला।
बेशक 2015 के मुकाबले 2024 तक एक हजार बेटों के मुकाबले बेटियों के जन्म में 32 अंकों का सुधार हुआ, लेकिन बीते तीन सालों से हालात बिगड़ने लगे हैं। वही साल 2019 में एक हजार लड़कों के पीछे 922 लड़कियां हो गई थीं, लेकिन 2023 में 916 और 2024 में और नीचे 910 पर पहुंच गया। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान के करीब 14 माह बाद अप्रैल 2015 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने एक हजार बेटों पर बेटियों की संख्या 950 तक करने का लक्ष्य रखा था।
फिलहाल लिंगानुपात के मामले में चरखी दादरी और रेवाड़ी की सबसे खराब और यमुनानगर व सिरसा की सबसे बेहतर है। आपकी जानकारी के लिए बता दें अभी सबसे बेहतर स्थिति में जो जिले हैं उनमे यमुनानगर 939, सिरसा 936, नूंह 928, करनाल 925, जींद 919 वहीँ जिन जिलों की सबसे खराब स्थिति है उनमे गुरुग्राम 899, फतेहाबाद 899, रोहतक 888, रेवाड़ी 873, दादरी 869।
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