इंडिया न्यूज, चंडीगढ़।
Exotic Birds in Haryana हरियाणा सरकार की सामुदायिक सहभागिता की परिकल्पना के अंतर्गत मुख्यमंत्री मनोहर लाल की ‘मेरा पानी-मेरा विरासत’ (Mera Pani Meri Virasat Yojana) की अवधारणा को साकार करने हेतु वन विभाग व जनता के आपसी सामंजस्य से सारसा गांव में स्थित छिलछिला वन्य जीव विहार में 25 वर्ष के अन्तराल के बाद मेहमान पक्षियों का कलरव सुनाई देने लगा है। वन विभाग के एक प्रवक्ता ने बताया कि इन पक्षियों में मुख्य रूप से पेन्टेड स्टोर्क, रेड नेक्ड आइबिस, लिटिल कोरमोरन्ट, ग्रेट हेरोन, लिटिल एंड कैटल इग्रेटद्द्द्दस, कोम्ब डक, लिटिल ग्रेब जैसी मेहमान पक्षी इस बार छिलछिला की मेहमाननवाजी का लुत्फ उठाने यहां आए हैं।
छिलछिला वन्य जीव विहार की सफलता को देखते हुए मुख्यमंत्री मनोहर लाल (Chief Minister Manohar Lal) ने कहा है कि यह सब सारसा गाव के लोगों तथा वन विभाग के आपसी सहयोग से संभव हुआ है, जिन्होंने प्रवासी पक्षियों के लिए उपयुक्त भोजन-पानी तथा परिवेश का निर्माण किया। उन्होंने कहा कि 25 साल बाद इन दुर्लभ पक्षियों का आगमन हमारे लिए एक सीख है कि यदि हरियाणा में सारसा जैसे लोग व स्थान मिलता है तो पर्यावरण संरक्षण एवं मानव जीवन साथ-साथ चल सकते हैं।
छिलछिला वन्य जीव विहार की सफलता पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए वन मंत्री कंवर पाल (Kanwar Pal) ने कहा कि यह वन विभाग का बहुत ही प्रशंसनीय कार्य है जिन्होंने गांव वालों की समस्याओं के समाधान के साथ-साथ वन्य जीवों के लिए आश्रय स्थल का निर्माण किया। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में नागरिकों तथा विभाग की साझी भागीदारी से वन्य प्राणियों हेतु और भी आश्रय स्थल का निर्माण किया जाएगा।
छिलछिला वन्य जीव विहार गांव सारसा (Sarsa) जिला कुरूक्षेत्र में और सैयदा से 4 किलोमीटर की दूरी पर पिहोवा-कुरुक्षेत्र सड़क पर स्थित है तथा इसका कुल क्षेत्रफल 28.92 हेक्टेयर है। ग्राम पंचायत सारसा द्वारा 28 फरवरी, 1986 को एक प्रस्ताव पारित करके इस क्षेत्र को वन्य प्राणी विकार के रूप में घोषित करने के अनुरोध पर सरकार द्वारा 28 नवंबर, 1986 को एक अधिसूचना जारी कर के इसे वन्य प्राणी विहार घोषित किया गया। (sarsa village)
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