Drone Farming : करनाल में बैलगाड़ी से ड्रोन तक पहुंचा खेती का सफर

  • किसानों को भा रही ड्रोन तकनीक

इशिका ठाकुर, (Drone Farming) : खेतों में बैलगाड़ी से शुरू हुआ सफर अब ड्रोन तक पहुंच गया है। नए युग में बदल रहे खेती के स्वरूप को किसानों के खेतों में साफ देखा जा सकता है। यहां महाराणा प्रताप बागवानी विश्वविद्यालय द्वारा प्रतिदिन ड्रोन तकनीक से दवाई और नैनो यूरिया के छिड़काव का प्रदर्शन किया जा रहा है।

केंद्र सरकार द्वारा ड्रोन तकनीक का प्रशिक्षण देने के लिए हरियाणा की पहली महाराणा प्रताप बागवानी विश्वविद्यालय को मान्यता दी गई है जो प्रदेश के 150 किसानों के करीब 400 एकड़ क्षेत्र में ड्रोन तकनीक का प्रदर्शन कर चुकी है। ड्रोन तकनीक को जानने और समझने के लिए प्रतिदिन 1 दर्जन से अधिक किसान विश्वविद्यालय के कृषि अधिकारियों से संपर्क कर रहे हैं।

ड्रोन तकनीक को लेकर किसानों में उत्साह

Drone Farming

किसानों के अंदर ड्रोन तकनीक को लेकर किस तरह का उत्साह है, यह करनाल के निसिंग क्षेत्र में दिखाई दे रहा है, जहां इस तकनीक का प्रदर्शन देखने के लिए आसपास के काफी किसान इकट्ठा हुए थे। किसानों का कहना था कि इस तकनीक से समय की काफी बचत होती है और पानी का भी कम इस्तेमाल होता है। एक किसान ने बताया कि इस तकनीक से न केवल कम ऊंचाई वाली फसलों बल्कि ज्यादा ऊंचाई वाली फसलों जैसे गन्ने आदि पर भी आसानी से दवा का छिड़काव किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि खेती बाड़ी में यूरिया और दवाई के स्प्रे के लिए यह तकनीक काफी कारगर है।

Drone Farming

महाराणा प्रताप बागवानी विश्वविद्यालय के शिक्षा विस्तार विभाग के निदेशक डॉ. सत्येंद्र यादव ने कहा कि आमतौर पर 1 एकड़ में दवा के छिड़काव के लिए कम से कम 160 लीटर पानी की आवश्यकता होती है, जबकि ड्रोन तकनीक में केवल 10 लीटर पानी में 1 एकड़ में दवा का छिड़काव किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि मानवीय तरीके से 1 एकड़ में दवा और यूरिया का छिड़काव करने में एक घंटे लगता है जबकि इस तकनीक से 6 से 8 मिनट में छिड़काव किया जा सकता है।

आने वाले समय में खेतीबाड़ी का स्वरूप पूरी तरह से बदलेगा

उन्होंने कहा कि यह तकनीक सब्जी, गेहूं और धान सहित सभी तरह की फसलों में कारगर है और आने वाले समय में खेतीबाड़ी का स्वरूप बदल देगी। उन्होंने कहा कि काफी संख्या में किसान इस तकनीक में रुचि ले रहे हैं और इसे देखने-समझने के लिए आगे आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि कोई भी किसान अथवा छात्र इस तकनीक का प्रशिक्षण लेकर आधिकारिक रूप से ड्रोन पायलट बन सकता है जिसका उसे विश्वविद्यालय की ओर से प्रमाण पत्र भी दिया जाएगा।

Drone Farming

इंसान पर दवा का नहीं होता कोई दुष्प्रभाव

दवा कंपनी के एरिया प्रबंधक दिनेश कुमार ने बताया कि निसिंग में करीब 20 एकड़ खेतों में ड्रोन से दवा स्प्रे का प्रदर्शन किया गया है। इस तकनीक के द्वारा इंसान पर दवा का कोई दुष्प्रभाव नहीं होता, इसके अलावा फसलों पर एक समान छिड़काव होता है। उन्होंने इस तकनीक को भविष्य के लिए काफी आशाजनक बताया और किसानों से इस तकनीक को अपनाने की बात कही।

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