India News Haryana (इंडिया न्यूज), Assembly Elections 2024 : हरियाणा में अक्टूबर माह में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर सत्ताधारी भाजपा और मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस जीत के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ क्षेत्रीय दल जिनमें इंडियन नेशनल लोक दल और जननायक जनता पार्टी शामिल हैं, उनकी भी कोशिश है कि किसी रूप में सत्ता में वापसी की जाए।
फिलहाल के राजनीतिक परिदृश्य से साफ नजर आ रहा है कि भाजपा और कांग्रेस में टिकटों के लिए सबसे ज्यादा मारामारी होने वाली है। एक सीट पर टिकट के कई-कई कैंडिडेट दावेदार होने के चलते दोनों पार्टियों ने सर्वे रूपी रास्ता अख्तियार किया है इसके अलावा पार्टी कार्यकर्ताओं के जरिए भी फीडबैक लिया जा रहा है। इसके अलावा सभी दलों की उन नेताओं पर भी नजर है जो टिकट कटने की स्थिति में पाला बदल सकते हैं और अगर ऐसे नेता जिनके पल्ले ठीक-ठाक वोट बैंक है तो दूसरी पार्टी उनको अपने पाले में लेने में गुरेज नहीं करेगी।
भाजपा और कांग्रेस में अभी से टिकटों के लिए भाग दौड़ देखी जा सकती है।। खुद को मजबूत कैंडिडेट समझ रहे दावेदार लगातार दिल्ली में हाई कमानके चक्कर काटते नजर आ रहे हैं। चुनाव को लेकर सभी राजनीतिक दलों में बैठकों का सिलसिला जारी है तो उम्मीदवारों को लेकर भी मंथन का दौर चल रहा है। इसके साथ ही अब भाजपा एवं कांग्रेस की ओर से प्रदेश में मजबूत उम्मीदवारों के चयन को लेकर सर्वे भी करवाए जा रहे हैं।
सर्वे के आधार पर आंकड़े एवं फीडबैक जुटाते हुए ही उम्मीदवारों का चयन करने की रणनीति अपनाई जाएगी।।इससे पहले इन दोनों ही दलों ने संसदीय चुनाव के लिए भी सर्वे करवाए थे। यह भी बता दें कि कुछ ऐसे नेता भी लगातार चर्चा में है जो सत्ताधारी और मुख्य पक्षी दल में नहीं है लेकिन संबंधित विधानसभा सीट पर वह चुनाव के हार या जीत के नतीजे प्रभावित कर सकते हैं।
चुनाव में महज करीब 3 महीने शेष रहने के बाद तमाम सियासी दल एक्टिव मोड में नजर आ रहे हैं। कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव लड़ने के इच्छुक कैंडिडेट्स के लिए 5 जुलाई से आवेदन मांगने की प्रक्रिया शुरू कर दी है जिसकी अंतिम तिथि अब 31 जुलाई रहेगी इसके अलावा यह भी बता दे कि गत लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने कैंडिडेट्स के आवेदन मांगे थे और 10 लोकसभा सीटों पर 300 से ज्यादा कैंडिडेट्स ने चुनाव लड़ने की इच्छा जताई थी।
राजनीतिक जानकारों का का मानना है कि कांग्रेस की ओर से आवेदन प्रक्रिया खत्म होने के बाद पैनल बनाए जाएंगे और सभी सीटों पर हर तरह के समीकरणों को ध्यान में रखते हुए ही उम्मीदवारों का चयन किया जाएगा। कांग्रेस नेता और राज्यसभा सांसद चुनाव से ठीक पहले हरियाणा मांगे हिसाब अभियान चला रहे हैं तो वहीं पार्टी में विपक्षी खेमे की कुमारी सैलजा जुलाई वहां के अंत में पदयात्रा निकलेंगी।
इसी तरह इनेलो का बसपा के साथ गठबंधन हो चुका है। गठबंधन तहत इनेलो 53 जबकि शेष 37 सीटों पर बसपा चुनाव लड़ेगी। इनेलो के हिस्से में आई कुछ सीटों पर शिरोमणि अकाली दल के उम्मीदवार मैदान में उतर सकते हैं। वहीं दूसरी तरफ सत्ता में साढ़े चार साल साल तक साझेदार रही जेजेपी लगातार उम्मीदवारों के चयन को लेकर मंथन की मुद्रा में नजर आ रही है।
इनेलो व बसपा गठबंधन के नेता जल्द प्रदेश की कुछ सीटों पर सर्वे भी करवा सकते हैं। जजपा भी कुछेक सीटों पर सर्वे करवाने की रणनीति पर विचार कर रही है। ऐसा माना जा रहा है कि हर बार की तरह इस बार के चुनाव में भी टिकट न मिलने पर अनेक दलों से नेता पाला बदल सकते हैं और आने वाले समय में यह सिलसिला काफी तेज होने की संभावना है। इनेलो बसपा दोनों ही फिलहाल राजनीतिक हाशिए पर चल रहे हैं और दोनों की कोशिश है कि एक दूसरे के जरिए इस राजनीतिक वैतरणी को तरा जाए
गत लोक सभा चुनाव में भाजपा को बड़ा झटका लगा और उसकी 10 सीट घटकर पांच रह गई। इस बड़े डेंट के बाद अब भाजपा मंथन की मुद्रा में है और लगातार कार्यकर्ता और नेताओं के साथ बैठकों का आयोजन कर आगामी चुनाव की रणनीति पर चिंतन मंथन कर रही है।
मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी स्वयं अलग-अलग जिलों में कार्यकर्ताओं की बैठक आयोजित कर उनका फीडबैक ले रहे हैं इसके अलावा नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष मोहनलाल बडोली भी लगातार सक्रिय नजर आ रहे हैं तो वहीं पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल लगातार हरियाणा के लिए समय निकालते हुए कार्यकर्ताओं और संगठन की बैठक ले रहे हैं। मकसद सिर्फ एक ही है कि कार्यकर्ताओं द्वारा मिले फीडबैक के आधार पर आगामी चुनाव के लिए टिकट वितरण और जीत सुनिश्चित करने के लिए पूरी ताकत झोंक देना।
गत लोकसभा चुनाव में इंडी गठबंधन के तहत आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार डॉ सुशील गुप्ता को चुनावी रण में उतारा गया, लेकिन वह जीत नहीं पाए। पार्टी के नेताओं ने अपनी हार के लिए कांग्रेस नेताओं को जिम्मेदार ठहराया विधानसभा चुनाव से पहले आप के स्पष्ट कर चुके हैं कि वह अकेले ही चुनाव लड़ेंगे।
प्रदेशाध्यक्ष डा. सुशील गुप्ता एवं वरिष्ठ प्रदेश उपाध्यक्ष अनुराग ढांडा लगातार बैठकें कर चुनावी मंथन में जुटे हुए हैं। पार्टी की हर संभव कोशिश है कि हरियाणा की राजनीति में किसी तरह से एक बार खाता खोला जाए। गौरतलब है कि जब से अपने हरियाणा की राजनीति में कदम रखा है वह एक भी लोकसभा या विधानसभा सीट नहीं जीत पाई है।
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