India News Haryana (इंडिया न्यूज), Panipat News : गांव धर्मगढ़ की पंचायत द्वारा सार्वजनिक स्थल पर आमजन की सुविधा के लोहे की बेंच बनवाए गए थे, ताकि आम आदमी को खड़ा रहने की बजाए बैठने की सुविधा मिल सके, परन्तु खंड मडलौडा के गांव धर्मगढ़ व शेरा गांव में किसी भी सार्वजनिक स्थल पर बेंच नजर नहीं आएगा। इस बारे हमने गांव धर्मगढ़ के करनाल-मडलौडा मेन रोड पर बनी एससी चौपाल, बैकवर्ड चोपाल चौपाल के सामने बनाए सुंदर तालाब, पार्क व बस स्टॉप पर कोई भी बेंच नहीं रखा गया। फिर पंचायत द्वारा लगभग 6 लाख रुपए के बेंच कहां गए।
मेन सड़क व तालाब के सामने खड़े गांव के मेहर चंद, सतबीर, विजय लोहार, शेर सिंह, तेजबीर, दिनेश, बिंदर सरपंच, सतीश, जयपाल, किताब सिंह ने इस बारे बताया कि बैंच तो बहुत बनाये गए है। परंतु ग्रामीणों ने अपने घरों व घर के बाहर रख लिये ।वे अपने लिये प्रयोग कर रहें हैं। ग्रामीणों ने कहा कि लोगों ने ये चोरी नहीं की है, ये आपसी तालमेल है। कुछ लोगों ने कहा कि ये चोरी के साथ सीनाजोरी भी है। ये सब की संपत्ति है किसी की पर्सनल नहीं है। ग्रामीणों ने कहा कि ये बैंच सार्वजनिक स्थल के लिये बनाये गए थे, परंतु गांव के लोग इनका इस्तेमाल अपने लिए कर रहे हैं जो गलत है।
लोहे के बैंचों के बारे गांव धर्मगढ़ के सरपंच बिंदर मान से जानना चाहा तो उन्होंने बताया कि पंचायत द्वारा लगभग 6 लाख रुपये के लोहे के बैंच बनवाये गए थे, जो एक बैंच की किम्मत लगभग 5 व 6 हजार रुपये है। बैंच सार्वजनिक स्थल पर रखे गए थे, लोगों द्वारा इन्हें अपने घरों व घर के सामने रख लिया है। लोहे के बैंच का चोरी होने का भी खतरा रहता है।
जल्दी सभी बैंचों को सीमेंट के फाउंडेशन बना कर सार्वजनिक स्थलों पर रखवाया जाएगा। गांव शेरा में भी इसी तरह लाखों रूपये के लोहे के बेंच बनवाये गए थे, परन्तु गांव के बस स्टॉप, मंदिर, पशु अस्पताल, कोऑपरेटिव सोसाइटी, अस्पताल स्कूल के बाहर मैन सड़क पर कंही भी बैंच नहीं रखा गया। व्यक्तिगत जरूरत समझ कर ग्रामीणों ने अपने-अपने घरों व घर के बाहर रख लिए।
लोहे के बैंचों के बारे जानना चाहा तो उन्होंने बताया कि बेंच सार्वजनिक स्थलों के लिये बनवाया गया था। किसी के घरों के लिए नहीं। अगर ऐसा पाया गया तो कार्यवाही की जाएगी। दो दिन के अंदर ही सभी बेंच सार्वजनिक स्थलों पर रखें होंगे।
एससीपीओ नवीन ने सरपंच से बेंचो बारे पूछा तो सरपंच ने कहा कि सार्वजनिक स्थल स्कूल, अस्पताल,पशु अस्पताल,बस स्टॉप, मंदिर, धर्मशाला, तालाब आदि सार्वजनिक स्थल पर इसलिए नहीं रखे गए कि लोहे के बेंच चोरी होने का खतरा है। अक्षर चोरी हो जाते हैं। इसपर एससीपीओ ने सरपंच से कहा कि लोहे की बजाए सीमेंट के बनवाते सस्ते और टिकाऊ होते और उन्हें कोई चोरी भी नहीं करता। पिछली पंचायतों ने दस वर्ष पूर्व सीमेंट के बैंच बनवाये थे, जो आज तक रखे हुए है।
आमजन के कहना है फ्री की सहायता ने आमजन की आदतों को खराब कर दिया है। हर आदमी ये समझने लगा है सरकार के सामान को कब्जे में लेकर व्यक्तिगत जायदाद समझना कोई चोरी नहीं हमारा अधिकार।
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